पारिवारिक कलह: कारण एवं निवारण
पारिवारिक कलह: कारण एवं निवारण

पारिवारिक कलह: कारण एवं निवारण  

डॉ. अरुण बंसल
व्यूस : 4648 | जुलाई 2006

ज्योतिष में सप्तम भाव अपने साथी का भाव माना गया है- वह जीवन साथी हो या व्यापार मंे साझेदार। सप्तम भावेश लग्नेश का सर्वदा शत्रु होता है। जैसे मेष, लग्न के लिए लग्नेश हुआ मंगल एवं सप्तमेश हुआ शुक्र और दोनों में आपस में शत्रुता है। शायद हमारे ऋषि मुनियों को यह ज्ञात था कि साथ में कार्य करने वालों में मतभेद होता ही है, इसलिए उन्होंने इस प्रकार के ज्योतिष योगों का निर्माण किया।

यदि आध्यात्मिक दृष्टि से विचार किया जाए तो प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वभाव से बंधा हुआ है। इसके विपरीत चलने में उसे कष्ट होता है। साथ ही दूसरे को भी वह अपने स्वभाव के समानांतर चलाने की कोशिश करता है। यह प्रकृति का एक नियम है। लेकिन दो व्यक्तियों के स्वभाव आपस में कितने भिन्न हैं यह ज्योतिष द्वारा दोनों के लग्नों एवं राशियों के माध्यम से ज्ञात किया जा सकता है। इससे संबद्ध कुछ तथ्य इस प्रकार हैं:

  • यदि लग्न एक दूसरे के 3-11 हो तो आपसी सामजस्य उत्तम रहता है। एक लग्न दूसरे को मित्र मानता है तो दूसरा पहले को अपना पराक्रम अर्थात कष्ट का साथी। जैसे मेष लग्न के लिए मिथुन लग्न उसका पराक्रम का साथ है एवं कुंभ लग्न उसका मित्र।
  • लग्नों में 4-10 का संबंध भी उत्तम रहता है, लेकिन व्यापारिक में साझेदारी यह संबंध अति उत्तम पाया गया है। जिसका लग्न दशम भाव में हो, वह कर्मशील रहता है और जिसका चैथे में हो, वह आर्थिक व मानसिक सहायता द्वारा अपना योगदान देता है। जैसे मेष व कर्क लग्नों की साझेदारी में कर्क लग्न मेष के चैथे भाव में पड़ता है, अतः मेष लग्न के जातक के लिए कर्क लग्न का जातक आर्थिक व मानसिक सहायता प्रदान करेगा और कर्क लग्न के लिए मेष लग्न वाला जातक कर्म द्वारा अपने कार्यभार संभालेगा।
  • नवम-पंचम संबंध भी शुभ फल प्रदान करता है। लेकिन जिस जातक का लग्न दूसरे के नवम का सूचक होता है, वह अपने साथी के लिए सर्वदा भाग्य का सूचक रहता है एवं साथी को हर प्रकार का सुख पहुंचाता है। इसके विपरीत पंचम कारक जातक अपने साथी के लिए पिता जैसा व्यवहार तो रखता है, लेकिन साथी से सर्वदा लेने की भावना भी रखता है। इस प्रकार मेष लग्न के लिए सिंह लग्न शुभ होते हुए भी लाभ की स्थिति में रहता है जबकि मेष लग्न सिंह से नवम होने के कारण उसके लिए सर्वदा लाभकारी रहता है।
  • द्विद्र्वादश संबंध सर्वदा अशुभ माना गया है, लेकिन इसमें भी दूसरे भाव में पड़ने वाला लग्न शुभदायक रहता है एवं द्वादश में पड़ने वाला अशुभ जैसे मेष के लिए वृष शुभ एवं मीन अशुभ।
  • षडाष्टक संबंध अधिकांशतः कलह का कारण बनते हैं।
  • समसप्तक संबंध अर्थात् एक लग्न या सप्तम लग्न एक साधारण संबंध की ओर ही संकेत करता है। इस स्थिति में एक जातक दूसरे जातक को अति महत्वपूर्ण एवं अभिन्न साथी समझता है, लेकिन साथ रहने पर किसी न किसी कारणवश वैमनस्यता उत्पन्न हो जाती है।

उपर्युक्त सभी फल राशि के अनुसार भी घटित होते हैं।

गुण मिलान में उपर्युक्त फलों की भकूट दोष के द्वारा जाना जाता है। उपर्युक्त तथ्यों का पिता-पुत्र, भाई-बहन, पति-पत्नी एवं नौकर-मालिक के संबंधों को जानने में भी उपयोग किया जा सकता है।

कुंडली मिलान में अष्टकूट मिलान एवं मंगल दोष मिलान को प्राथमिकता दी गई है। अष्टकूट गुण मिलान में वर्ण एवं वश्य मिलान कार्यशैली को दर्शाता है। तारा से उनके भाग्य की वृद्धि में आपसी संबंध का पता चलता है। योनि-मिलान से उनके शारीरिक संबंधों की जानकारी मिलती है। ग्रह मैत्री स्वभाव में सहिष्णुता को दर्शाता है। गण मैत्री से उनका व्यवहार, भकूट से आपसी संबंध एवं नाड़ी से उनके स्वास्थ्य और संतान के बारे में जाना जाता है।

उपर्युक्त अष्ट गुणों में केवल ग्रह मैत्री एवं भकूट ही ऐसे दो गुण हैं जो आपसी संबंध को दर्शाते हैं।

अन्य गुण जीवन की अन्य भौतिकताओं को पूरा करने में सहायक होते हैं। मंगल दोष मिलान भी उनके अन्य संबंधों के बारे में संकेत न देकर वैवाहिक जीवन का संकेत देता है। अतः परिवार में यदि सभी सदस्यों का आपस में द्विद्र्वादश या षडाष्टक संबंध न हो तो पारिवारिक कलह की संभावनाएं कम रहती हैं।

कलह निवारण के लिए निम्नलिखित उपायों को उपयोग में लाया जा सकता है:

  • पुरुष वर्ग पांच मुखी रुद्राक्षों की माला में एक मुखी, आठ मुखी व पंद्रह मुखी रुद्राक्ष डालकर धारण करें। इस माला पर प्रतिदिन प्रातः नमः शिवाय मंत्र का जप करें।
  • पत्नी मांग भरें, लाल बिंदी लगाएं और चूड़ियां धारण करें।
  • घर में विघ्नहर्ता श्री गणेश यंत्र स्थापित करें। नमः शिवशक्तिस्वरूपाय मम गृहे शांति कुरु कुरु स्वाहा मंत्र का जप करें।
  • स्फटिक श्रीयंत्र की प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित करें।
  • पति-पत्नी बीच कलह को दूर करने के लिए गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करना उत्तम फलदायक होता है।
  • पानी से भरे चांदी के लोटे या गिलास में चंद्रमणि डालकर वह पानी परिवार के जिस सदस्य को क्रोध अधिक आता हो उसे पिलाएं।
  • वास्तु दोष को दूर करने के लिए एक कलश में पानी भरकर उसे नारियल से ढककर ईशान कोण में स्थापित करें और उसका जल प्रतिदिन बदलते रहें।

तात्पर्य यह कि परिवार में कलह की संभावना हमेशा रहती है। इसके कई कारण हो सकते हैं, किंतु यदि आस्था और निष्ठापूर्वक इनके निवारण के उपाय किए जाएं तो कलह से मुक्ति अवश्य मिल सकती है।


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.