ज्योतिष को वेदों की आंख की संज्ञा दी गई है। ज्योतिष शास्त्र मनुष्य के जीवन की वह ज्योति है जो उसके आने वाले समय के बारे में इंगित करता है। हमारा विषय है कैरियर निर्धारण इसके ज्ञान के लिए हमें कुंडली के 12 भावों का अध्ययन करना आवश्यक है। जैसेः बारह भावों से सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है। प्रथम भाव: चरित्र, स्वभाव, बुद्धि, सौभाग्य, सम्मान, प्रतिष्ठा, समृद्धि द्वितीय भावः वाणी, संपŸिा, पारिवारिक, परिवेश, उद्देश्य तृतीय भावः साहस, निश्चय, बहादुरी, संचार, लेखन, शिक्षा बुद्धि चतुर्थ भावः शिक्षा, सुख, परिवार का हस्तक्षेप पंचम भावः बुद्धि, प्रसिद्धि, जीवन का स्तर, कलात्मकता, सफलता षष्ठ भावः बाधाएं, विरासत, युद्ध, शत्रु का प्रभाव सप्तम भावः इच्छाएं, विदेशों में प्रभाव एवं प्रतिष्ठा व पब्लिक रिलेशन अष्टम भावः बाधाएं, विरासत, युद्ध, शत्रु का प्रभाव नवम भावः लंबी यात्राएं, उच्च शिक्षा, सौभाग्य दशम भावः व्यवसाय, कीर्ति, सŸाा, सफलता, राजकीय सम्मान एकादश भावः लाभ, समृद्धि, इच्छाएं, कामनाओं की पूर्ति द्वादश भावः हानि, व्यय, लंबी यात्राएं, विदेश में व्यवस्था इन सभी भावों को समावेश करते हुए विचार करें कि इनमें बैठने वाले ग्रह, भावों के राशि स्वामी, भावों के कारक ग्रह, साथ ही नक्षत्रों के स्वामी का जब हम अध्ययन करते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि हमें किस ओर आगे बढ़ना चाहिए। ग्रहों के प्रभाव से विषय वस्तु का ज्ञान होता है। सूर्य का प्रभाव राजा के समान होता है। क्योंकि ग्रहों के मंत्रीमंडल में सूर्य राजा है।
चंद्र मंत्री हैं, मंगल सेनापति है, बुध राजकुमार है। गुरु, शुक्र सलाहकार है शनि सेवक है। सूर्य से प्रभावित व्यक्ति राजा के समान होता है, आदेश देना ही अच्छा लगता है। ऐसे व्यक्ति किसी के नीचे काम नहीं कर पाते। एसे लोग हमेशा उच्च स्थान पर रहते हैं। चंद्र प्रभावित व्यक्ति सूझ-बूझ कर शांत रहते हैं। समय आने पर कार्य करने वाले होते हैं। तरल पदार्थ का कार्य लाभ प्रद होता है। मंगल: मंगल ग्रह प्रभावित व्यक्ति बात-बात पर नाराज होते हैं। पर दृढ़ निश्चियी होते है। इन्हें ट्रांस पोर्ट एवं भूमि संबंधी कार्य से लाभ होता है। बुध: बहुत समझदार होते हैं। वाणी पर बहुत संयम रखकर बोलते हैं। व्यापार एवं गणित इनका बहुत ही अच्छा रहता है। इन्हंे ट्रेडिंग एवं मार्केटिंग का कार्य करना चाहिए। गुरु: गुरु सलाहकार है। गुरु प्रधान व्यक्ति से बहुत सम्मान मिलता है। यह सरल एवं समझदार होते हैं। यह सभी को सही सलाह ही देते हैं। इन्हें मीठे का कारोबार एवं पढ़ने सीखने का कार्य लाभ प्रद होता है। शुक्र: शुक्र ग्रह से प्रभावित व्यक्ति कलात्मक एवं सौंदर्य के कार्य में निपुण होते हैं।
पब्लिक रिलेशन, होटल, यात्रा ऐजेंसी इस तरह के कार्य में सफल होते हैं। शनि: शनि प्रभावी व्यक्ति बहुत मेहनती होता है। यह अपने रिसर्च, नए खोज के लिए जाने जाते हैं। यह बहुत ही तकनीकी व्यक्ति होते हैं और अपनी मर्जी से चलने वाले होते हैं। इन्हें सही योग एवं दशा मिल जाए तो व्यक्ति अच्छा, वैज्ञानिक, इंजीनियर एवं गणितज्ञ होता है। कैरियर के निर्धारण में पंचमेश की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। यह बुद्धि, प्रसिद्धि, जीवन का स्तर, सफलता के बारे में जान सकते हैं। अब पंचमेश ग्रह कौन सा है किन-किन ग्रहों के साथ है। उस पर किसकी दृष्टि है। उसी आधार पर उचित सलाह दे सकते हैं। जैसे- अर्थ शास्त्र: पंचमेश, चतुर्थ भाव एंव गुरु काॅमर्स (वाणिज्य शास्त्र): पंचमेश, सप्तम एवं एकादश भाव से बुध का संबंध होना चाहिए। गणित शास्त्र: पंचमेश, तृतीयेश एवं नवम भाव का संबंध शनि के साथ होना चाहिए। मेडिकल: पंचमेश, अष्टमेश, द्वादशेश के संबंध में सूर्य होना चाहिए तब ही मेडिकल की पढ़ाई करने से लाभ होता है। इन सभी प्रकार के विषयों के चयन हेतु सबसे पहले लग्न पर विचार करें लग्न मजबूत होगा तब ही वह व्यक्ति स्वस्थ एवं अछे चरित्र स्वभाव को ठीक रखते हुए अध्ययन करेगा और आगे बढ़ेगा।
इसी प्रकार पंचम, नवम, दशम एवं एकादश भावों का भी विस्तृत अध्ययन करना चाहिए कि कार्य तो करेगा पर लाभ हेागा कि नहीं, भाग्य साथ देगा कि नहीं। जिस कार्य को कर रहा है उसे कुशलता से कर पाएगा या नहीं। इसी को ध्यान में रखते हुए एकादशांश कुंडली पर अध्ययन करने से ज्ञात हुआ कि एकादशांश कुंडली से लाभ विचार किया जाता है। अगर हम पहले लिखे शब्दों को पढ़ंे एवं ध्यान में रखते हुए एकदशांश कुंडली को देखें तो कैरियर निर्धारण में काफी लाभ मिलेगा। एकादशांश कुंडली के लग्न को देखें उसमें बैठने वाले ग्रह तथा एकादशांश कुंडली का एकादश भाव को देखें उसमें जो ग्रह या राशि होता है उसी के प्रभाव से होने वाले व्यापार या कार्य क्षेत्र का निर्धारण किया जा सकता है। मैंने उसमें अध्ययन करके कुछ उदाहरण लिख रहा हूं। यह कुंडली एक व्यापारी की है जिनके एकादश में स्वराशि का बुध है। सिंह लग्न है। भाग्य में चंद्र राहु का योग बनता है।
इस व्यक्ति ने चंद्र की दशा अर्थात् 14 वर्ष की आयु तक बहुत मेहनत की, ग्रहण योग के कारण पारीवारिक परेशानियां बनी रहीं। 14 वर्ष के बाद मंगल की दशा में कुछ समय नौकरी भी की परंतु मन नहीं लगा। बुध का ग्यारहवें भाव में होने के कारण यह शुरु से टेªडिंग के व्यवसाय से जुड़े रहे। राहू की दशा से बार-बार व्यवसाय में परिवर्तन किया परंतु सफलता नहीं मिल रही थी। परंतु जब राहू में शुक्र की दशा चली तब इनके जीवन में स्थिरता आई और जब गुरु की दशा आई और कुंडली में गुरु बारहवें में बैठा है। परंतु एकादशांश में गुरु तृतीय बैठे हैं और एकादशांश के ग्यारहवें भाव में धनु राशि है।
जिसके प्रभाव से इन्हें मीठे का व्यवसाय में लाभ हुआ और आगे मीठे की टेªडिंग करते रहेंगे तो गुरु की दशा में लाभ मिलता रहेगा। इसी तरह प्रयोग में लाने से बहुत सफलता मिलती है कैरियर के निर्धारण में।