‘‘त्यक्त्वाऽधो मणिबन्धं या रेखा स्यात्
कर गामिनी।
सुवर्ण रत्न राज्यश्री दायिका सा न
संशयः।।
‘‘स्कन्ध शारीरिक’’ ग्रंथों के अनुसार
मणिबंध से यदि भाग्य रेखा का प्रारंभ
हो और जीवन रेखा से मिलती हुई
आगे बढ़ती जाय और शनि पर्वत
के... और पढ़ें
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