सामुद्रिक में आयु रेखा से आयु का परिमाण ज्ञात होता है लेकिन हस्त रेखाओं से जन्म तारीख आदि संपूर्ण विवरण का ज्ञान एक नवीन धारणा और उद्भावना है। इस विधा पर इस लेख में सविस्तार प्रकाश डाला गया है। आइए, जानें प्रसिद्ध हस्तरेखाविद् द्वारा बताये गये इस संपूर्ण ज्ञान के विधान को। हस्तरेखाओं के माध्यम से जन्मतारीख व जन्मसमय निकालना सर्वाधिक कठिन ही नहीं वरन अभी तक सर्वाधिक गोपनीय भी रहा है। जन्मवर्ष एवं संवत् का ज्ञान: मध्यमा का मूल शनि पर्वत है तथा तर्जनी का मूल बृहस्पति पर्वत है। इन दोनों पर्वतों को ध्यान से देखें। शनि पर्वत पर जितनी खड़ी रेखाएं हों, उन्हें गिन लें। ये खड़ी रेखाएं वे होनी चाहिए जो लंबी, पतली, स्पष्ट, और निर्दोष हों तथा जिनका मूल मध्यमा उंगली के तीसरे पोर की जड़ हो। इसी प्रकार बृहस्पति के पर्वत पर भी जितनी ऐसी रेखाएं हों, उन्हें भी गिन लें। शनि पर्वत पर जितनी भी रेखाएं हो, उन्हें ढाई से तथा गुरु पर्वत पर जितनी हों उन्हें डेढ़ से गुणा करके परस्पर जोड़ दें, फिर इन्हें मंगल-पर्वत पर जितनी रेखाएं दिखाई दें, उन्हें भी जोड़ दें। व्यक्ति उतने ही वर्षों का होगा।
उदाहरणार्थ- किसी व्यक्ति के शनि पर्वत पर 12 रेखाएं तथा गुरु पर्वत पर आठ रेखाएं एवं मंगल पर्वत पर 6 रेखाएं हैं। तो उपर्युक्त नियमानुसार 12 को ढाई से गुणा करने पर 30, गुरु की 8 रेखाओं को डेढ़ से गुणा करने पर 12 तथा मंगल की 6 रेखाएं और जोड़ने पर 48 योग हुआ (30$12$6=48) अतः जातक की आयु 48 वर्ष होगी। इस समय सन् 2011 चल रहा है, इसमें से 48 वर्ष घटाने पर सन् 1963 सिद्ध होता है, अतः उस व्यक्ति का जन्म सन् 1963 का समझना चाहिए या इस समय यदि संवत 2067 चल रहा है तो 48 घटाने से संवत 2019 सिद्ध होता है। जन्म मास का निर्णय: जन्म मास ज्ञात करने के लिए राषि-चिह्नों को समझना चाहिए। राषि चिह्न तालिका में दिये गये हैं। अब अनामिका उंगली के नीचे सूर्य-पर्वत पर इन चिह्नों में से एक चिह्न अवश्य होगा। उस चिह्न को ध्यान से देख लें, फिर इस चिह्न के मुताबिक मास निकालें। इस प्रकार से व्यक्ति के जन्म-मास का ज्ञान किया जा सकता है।.... पक्ष ज्ञान: दाहिने हाथ के अंगूठे के पहले तथा दूसरे पोर की संधि पर यव चिह्न हो तो कृष्णपक्ष तथा यव चिह्न न हो तो शुक्लपक्ष का जन्म समझना चाहिए।
जन्मतिथि ज्ञान: मध्यमा उंगली के दूसरे तथा तीसरे पोर पर जितनी रेखाएं हों उसमें 32 जोड़कर 5 से गुणा कर दें तथा गुणनफल में 15 का भाग देने से जो लब्धि आवे वह जन्म तिथि समझनी चाहिए। जैसे- किसी व्यक्ति की मध्यमा उंगली के दूसरे तथा तीसरे पोर पर 4 रेखाएं हैं, उनमें 32 जोड़ने से 36 हुए, 36 को 5 से गुणा करने से गुणनफल 180 आया, इसमें 15 का भाग देने से 12 लब्धि आई, शेष शून्य रहा, अतः व्यक्ति का जन्म अमावस्या को समझना चाहिए। जन्माक्षर: अनामिका के दूसरे तथा पोर पर जितनी रेखाएं हों, उनमें 517 जोड़कर, 5 से गुणा कर 7 का भाग दें, जो शेष बचे, उसे रविवार से गिने। जैसे: अनामिका के दूसरे तथा तीसरे पोर पर तीन रेखाएं हो, उनमे 517 जोड़ें तो योग 520 हुआ, इसे 5 से गुणा किया तो 2600 हुए, इसमें 7 का भाग दिया, तो लब्धि 371 तथा शेष 3 रहे, रविवार से गिना, तीसरा वार मंगलवार आया, अतः व्यक्ति का जन्म वार मंगलवार समझना चाहिए। जन्म समय: सूर्य पर्वत पर तथा अनामिका पर, गुरु-पर्वत पर तथा तर्जनी पर, शुक्र पर्वत पर तथा अंगूठे पर एवं शनि पर्वत पर तथा मध्यमा पर जितनी खड़ी रेखाएं, हों, उन्हें गिन लें, फिर उसमें 811 जोड़कर 124 से गुणा कर दें, फिर इस गुणनफल में 60 का भाग दे दें, लब्धि घंटे तथा शेष मिनट समझना चाहिए यह लब्धि यदि 24 से ज्यादा हो तो 24 का भाग दे देना चाहिए।
जैसे- कुल रेखाएं 8 हुई इसमें 811 जोड़ें तो कुल 819 हुए, इसे 124 से गुणा किया तो गुणनफल 101556 हुए, इसमें 60 का भाग दिया तो लब्धि 1692 तथा शेष 36 रहे। 1692 में फिर 24 का भाग दिया तो लब्धि 70 तथा शेष 12 रहे, अतः 12 घंटे 36 मिनट का जन्म समय हुआ। जन्म समय की गणना अंग्रेजी पद्धति से रात बारह बजे से करनी चाहिए। इस प्रकार इस व्यक्ति का जन्म समय दिन के बारह बजकर 36 मिनट समझना चाहिए। जिन लोगों को अपनी जन्म तारीख एवं जन्म समय मालूम नहीं हैं इस पद्धति से वे आसानी से अपनी जन्म तारीख, जन्म समय, जन्मवार एवं सन् पता कर सकते हैं।