चिकित्सा ज्योतिष (पृष्ठ-3)

चिकित्सा ज्योतिष


ज्योतिष एवं स्वास्थ्य

ज्योतिष एवं स्वास्थ्य

राजेंद्र कुमार मिश्र

स्वास्थ्य शब्द मूलतः सु $ अवस्था से व्युत्पत्तित है: अर्थात् शरीर के अंग-अवयवों की सु (सुंदर, या शुभ) अवस्था। ज्योतिष के व्याख्याता ऋषियों एवं आकाशीय पिंड वेत्ताओं ने एकमत से ”यत् ब्रह्मांडे तत् पिंडे“ की अवधारणा को प्रमाणित किया ... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2004

व्यूस: 6171

माईग्रेन से मुक्ति

माईग्रेन से मुक्ति

फ्यूचर पाॅइन्ट

मानव जीवन पर वर्तमान जीवनशैली से रोग प्रतिरोधक क्षमताओं का विकास अवरुद्ध हो रहा है, जिससे कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है और कुछ रोगों का समूल समाप्त होना लगभग असंभव सा प्रतीत होता है। वैज्ञानिकों, चिकित्सकों के ... और पढ़ें

स्वास्थ्यचिकित्सा ज्योतिषविविध

जुलाई 2014

व्यूस: 5636

कैंसर ज्योतिष के आईने से

हमारे शरीर में कई अंग हैं जो अवयवों व नाड़ी जाल से मिलकर बने हैं। इन सबके समुचित ढंग से कार्य करते रहने से यह शरीर सुचारु रूप से कार्य करता रहता है। हमारे शरीर में असंख्य सूक्ष्म कोशिकाएं हैं जिनसे अंग-प्रत्यंग बने हैं। ये कोशिकाएं... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2008

व्यूस: 6509

लग्न रोग एवं उपाय

लग्न रोग एवं उपाय

शशि कुमार सैनी

ज्योर्तिविज्ञान के अंतर्गत 12 राशियों के अनुरूप ही 12 लग्नों का भी व्यक्तियों के जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है और लग्नों के अनुसार ही व्यक्ति विशेष की मानसिक प्रवृत्ति, शरीरगत लक्षणों के साथ-साथ उसके शरीर में विभिन्न रोगों एवं चरित... और पढ़ें

स्वास्थ्यउपायकुंडली व्याख्याघरचिकित्सा ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2011

व्यूस: 11851

ज्योतिर्विज्ञान से कैसर रोग

ज्योतिर्विज्ञान से कैसर रोग

ब्रजेंद्र श्रीवास्तव

इस आलेख में कैंसर रोग की कारक ग्रह स्थितियों का उदाहरण सहित वर्णन किया गया है।... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यकुंडली व्याख्याघरचिकित्सा ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2009

व्यूस: 7110

हृदय रोग के ज्योतिषीय कारण

ज्योतिष में काल पुरुष के अंगों में चार अंक की राशि कर्क को हृदय का स्थान माना जाता है एवं वहीं पांच अंक की राशि सिंह हृदय का सूचक मानी जाती है। अतः जहां भी हृदय की बात उठेगी, वहां कर्क एवं सिंह राशि, चंद्र एवं सूर्य ग्रह की बात अव... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2013

व्यूस: 7993

ज्योतिष: ग्रह, राशि एवं रोग

ज्योतिष शास्त्र के अध्ययन से रोग की प्रकृति, उसके प्रभाव क्षेत्र, उसके निदान, उसके प्रकट होने की अवधि तथा कारणों का विश्लेषण भली भांति किया जा सकता है। यद्यपि आजकल चिकित्सा विज्ञान ने पर्याप्त उन्नति कर ली है तथा कई आधुनिक और उन्न... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2007

व्यूस: 8002

नीचस्थ लग्नेश और रोग

नीचस्थ लग्नेश और रोग

रघुनंदन प्रसाद गौड़

मानव जीवन और रोग का अटूट संबंध है। विश्व में ऐसा कोई जातक नहीं है, जिसे कभी कोई रोग न हुआ हो, चाहे वह छोटा रोग हो, चाहे बड़ा। पूर्व जन्म के अशुभ कर्मों के कारण जातक को रोग होते हैं। ज्योतिष के आधार पर रोग, उसकी तीव्रता तथा उसके सम... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषग्रह

जुलाई 2007

व्यूस: 12066

रक्तचाप के कारण, लक्षण एवं उपाय

सामान्यतः जिस ग्रह की महादशा अंतदर्शा में रोग होता है उस ग्रह से संबंधित देवता के अराधना से व्याधि शांत होती है। रक्तचाप में विशेष रूप से रूद्राक्ष का धारण विशेष लाभदायक है। इसमें भी विशेष रूप से तीनमुखी रूद्राक्ष धारण अपेक्षित है... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यउपायचिकित्सा ज्योतिष

अकतूबर 2008

व्यूस: 7923

नकसीर

नकसीर

अविनाश सिंह

जब नाक से खून बहने लगता है तो इसी अवस्था को नकसीर कहते हैं। नकसीर विशेष कर गर्मियों के मौसम में होती है। गर्मियों के दिनों में गर्मी के कारण धमनियों पर अधिक दबाव पड़ने से नाक से खून बहने लगता है। कई बार बहने वाले रक्त की मात्रा स... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यचिकित्सा ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

मई 2016

व्यूस: 3717

चिकित्सा ज्योतिष का महत्व

ज्योतिष एक ऐसी विद्या है जिसके द्वारा बीमारियों का पूर्वानुमान लगाकर उनसे बचने के उपाय किए जाते हैं या उसकी तीव्रता कम की जा सकती है। प्रस्तुत है इस संदर्भ में विभिन्न ग्रह व जन्मपत्री के प्रत्येक स्थान व राशि से शरीर के कौन-कौन स... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकराशि

जनवरी 2010

व्यूस: 9456

ज्योतिष एवं आयुर्वेद में रोग संकेत

हमारा शरीर पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश इन पांच महाभूतों से निर्मित है। यत्पिंडे तत्ब्रह्मांडे अर्थात जो पिंड में है वही ब्रह्मांड में है। जीवन का विज्ञान आयुर्वेद भी शरीर में पंचभूतों की उपस्थिति स्वीकार करता है। यह मनुष्य या सं... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2006

व्यूस: 12402

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