चिकित्सा ज्योतिष (पृष्ठ-2)

चिकित्सा ज्योतिष


कैसे किया जाए आयु निर्णय

पराशर जी ने आयु के सात प्रकार बताए हैं - बालारिष्ट, योगारिष्ट, अल्प, मध्य, दीर्घ, दिव्य व अमितायु ये सात प्रकार की आयु होती है। अब इनकी अवधि के बारे में विचार करते हैं।... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यकुंडली व्याख्याघरचिकित्सा ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2009

व्यूस: 11529

बालारिष्ट योग (आयु निर्णय)

बच्चे तथा उसके माता-पिता द्वारा किए गए पूर्व जन्म के दुष्कृत्यों से संचित शिशु की जन्मकालिक क्रूर ग्रह स्थिति आदि को रिष्ट या अरिष्ट कहा गया है। रिष्ट तथा अरिष्ट का अर्थ शब्दकोश के अनुसार शुभ और अशुभ है, किंतु आयु निर्णय में इसका ... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यकुंडली व्याख्याघरचिकित्सा ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2012

व्यूस: 21947

रोगों के कारक ग्रह और उनके ज्योतिषीय उपाय

रोग कारक ग्रह जब गोचर में जन्मकालीन स्थिति में आते हैं और अंतर-प्रत्यंतर दशा में इनका समय चलता है तो उसी समय रोग उत्पन्न होता है। यदि षष्ठेश, अष्टमेश एवं द्वादशेश तथा रोग कारक ग्रह अशुभ तारा नक्षत्रों में स्थित होते हैं तो रोग की... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यउपायज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2006

व्यूस: 18395

ज्योतिष द्वारा रोग निर्णय

नमामि धन्वन्तरिमादि देवं सुरासुरैर्वन्दिते पदमद्मम्। लोके जरा रूग्भयमृत्युनाशं धातारमीशं विविधौषधीनम्॥ भगवान धन्वन्तरि को नमन करने के साथ-साथ मैं उन अष्टादश ज्योतिषशास्त्र प्रवर्तक आयार्चों को भी नमन करता हूं जिनका उल्लेख काश्यप म... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यकुंडली व्याख्याघरचिकित्सा ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2009

व्यूस: 20159

पहला सुख निरोगी काया

पहला सुख निरोगी काया अर्थात् अच्छा स्वास्थ्य जीवन का सबसे बड़ा सुख है। यदि व्यक्ति स्वस्थ नहीं है तो अन्य सुख किस काम के। ज्योतिष में स्वास्थ्य का विचार मुख्यतः लग्न, लग्नेश, षष्ठभाव, षष्ठेश, अष्टम भाव, अष्टमेश एवं अष्टम भाव में स... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यउपायज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2008

व्यूस: 18521

आयु निर्णय

आयु निर्णय

डॉ. अरुण बंसल

जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सामान्यतः होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास केवल ज्योतिष के माध्यम से ही सम्भव है। ज्योतिष हमारा मार्गदर्शक शास्त्र है, नियामक नहीं। वस्तु स्थिति यह है कि शास्त्र व अनुभव ये दो आंखें हैं, इन्हीं आंखों के द... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यकुंडली व्याख्याघरचिकित्सा ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2013

व्यूस: 13899

ज्योतिष द्वारा कैसे जानें मानसिक रोग

मन के हारे हार है 'मन के जीते जीत' उक्त कहावत हमारे जीवन में बहुत सार्थक प्रतीत होती है। मानसिक बल के आगे शारीरिक बल न्यून हो जाता है। व्यक्ति का मन अगर भ्रष्ट या अविवेकी हो जाए तो व्यक्ति का चरित्र लांछित हो जाता है। मन रोगी व कम... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यकुंडली व्याख्याघरचिकित्सा ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2011

व्यूस: 20321

नेत्र रोग

नेत्र रोग

आलोक शर्मा

नेत्र की रचना : अपने अंगूठे मध्य भाग के बराबर जो अंगुल है, उन दो अंगुल के बराबर नेत्र बुद्बुद के अंतः प्रविष्ट नेत्र हैं। अक्षिगोलक लंबाई और चौड़ाई में अढ़ाई अंगुल है। यह आंख सुंदर, गोलाकार, गाय के स्तन के समान पांच भौतिक रचना है।... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यकुंडली व्याख्याघरचिकित्सा ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2009

व्यूस: 14953

मानसिक तनाव

मानसिक तनाव

अंजना जोशी

ज्योतिष, हस्तरेखाओं के माध्यम से मानसिक तनाव की स्थितियों का ज्ञान आसानी से किया जा सकता है और ज्योतिषीय, योग व शास्त्रीय उपायों से कुछ सीमाओं तक तनाव मुक्ति का प्रयास किया जा सकता है।... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यकुंडली व्याख्याघरचिकित्सा ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2010

व्यूस: 15197

स्तन कैंसर महिलाओं को होने वाला एक भयंकर रोग

महिलाओं में पाए जाने वाले सबसे खतरनाक रोग स्तन कैंसर के बारे में पूर्व जानकारी इस रोग के प्रारंभिक अवस्था में ही कैसे प्राप्त की जा सकती है और रोगी को कालग्रसित होने से आसानी से बचाया जा सकता है। आइए, जानें इस बारे में विभिन्न लग्... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषहस्तरेखा सिद्धान्तराशि

फ़रवरी 2011

व्यूस: 27765

नेत्र एवं ज्योतिष

शब्द, स्पर्श, रूप, रस एवं गंध का ज्ञान हेतु ईश्वर ने पांच ज्ञानेंद्रियों का सृजन, जीवन में क्रिया, जिसमें नेत्र सर्वोपरि माना जाता है। कोई भी व्यक्ति जहां शतायु होने की कामना करता है वहीं अंतिम क्षण तक देखते रहने की इच्छा रखता है।... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2008

व्यूस: 5313

रोगों का विचार कैसे करें

ज्योतिष में रोग विचार के लिए षष्ठ स्थान की विवेचना की जाती है। रोग विचार की दृष्टि से ग्रहों, राशियों, नक्षत्रों एवं भावों का विश्लेषण आवश्यक है। दृष्टि से भावों का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि लग्न, षष्ठ, अष्टम एवं द्वादश भावों का र... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यउपायज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरचिकित्सा ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2007

व्यूस: 5834

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