शब्द, स्पर्श, रूप, रस एवं गंध का ज्ञान हेतु ईश्वर ने पांच ज्ञानेंद्रियों का सृजन, जीवन में क्रिया, जिसमें नेत्र सर्वोपरि माना जाता है। कोई भी व्यक्ति जहां शतायु होने की कामना करता है वहीं अंतिम क्षण तक देखते रहने की इच्छा रखता है।... और पढ़ें
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