माईग्रेन से मुक्ति
माईग्रेन से मुक्ति

माईग्रेन से मुक्ति  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 5547 | जुलाई 2014

मानव जीवन पर वर्तमान जीवनशैली से रोग प्रतिरोधक क्षमताओं का विकास अवरुद्ध हो रहा है, जिससे कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है और कुछ रोगों का समूल समाप्त होना लगभग असंभव सा प्रतीत होता है। वैज्ञानिकों, चिकित्सकों के अथक शोध, अनुसंधान के बावजूद भी उन रोगों का निदान निकालना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि ज्यादातर चिकित्सा पद्धति में जो दवाएं बनती हैं उनके कुछ न कुछ अलग असर होते हैं जिनका हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है। माईग्रेन पेन अर्थात् आधा शीशी का दर्द हमारे सिर में होने वाला असहनीय पीड़ाकारक दर्द है। ये आधे सिर में होने वाला ऐसा पीड़ा कारक दर्द है जो हर उम्र के लोगों को हो जाता है और जीवन पर्यंत लाईलाज रहता है।

हमारा खान-पान भी इसमें अहम् भूमिका अदा करता है। आवश्यकता से अधिक, असमय मांसाहार, रात्रि भोजन नहीं करने से हम तकरीबन 200 प्रकार की विभिन्न बीमारियों से बचे रह सकते हैं। हमारा पाचन तंत्र दुरुस्त हो तो हम काफी हद तक स्वस्थ रह सकते हैं। जैन धर्म में ‘‘भक्तामर’’ स्तोत्र की रचना आचार्य भगवन्त श्री मानतुन्ग स्वामीजी ने की थी। इस स्तोत्र में 48 श्लोक हैं। इसी स्तोत्र में जो 26वां श्लोक है वह माईग्रेन दर्द का शमन कर सकने में पूर्णतः समर्थ है। इस श्लोक का सूर्योदय के समय 26 बार श्रद्धा सहित जाप करें। 26 दिन तक करने से निःसन्देह लाभ होगा।


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इस श्लोक को वैसे सूर्योदय से लेकर मध्याह्न 12ः00 बजे तक ही जपना चाहिए लेकिन विशेष परिस्थितियों में आप इसका जाप शुद्ध स्थान पर कभी भी कर सकते हैं। शरीर और स्थान शुद्धता अनिवार्य रूप से रखें। इसके परिणाम अद्भुत व आश्चर्यजनक आते हैं। भक्तामर स्तोत्र का 26वां श्लोक: तुभ्यम् नमस् त्रिभुवनार्ति हराय नाथ। माईग्रेन से मुक्ति तुभ्यम् नमः क्षिति-तलामल भूषणाय।। तुभ्यम् नमस् त्रिजगतः परमेश्वराय। तुभ्यम् नमो जिन भवोदधि शोषणाय।। स्तोत्र से संबंधित अनुभव: लेखक उस समय सिर्फ 10 वर्ष के थे जब इन्हंे माईग्रेन दर्द प्रथम बार हुआ और इसकी पीड़ा इतनी तीव्र थी कि जीना दुभर हो गया। शिक्षा में भी व्यवधान पड़ा। एक दिन अकस्मात ही इन्हें एक साध्वी का संकल्प स्मृत हुआ और ये दर्द में ही इस महास्तोत्र का जाप करने लगे।

ज्योंहि 26वां श्लोक इन्होंने पढ़ा इनका माईग्रेन आकस्मिक रूप से ठीक हो गया। इन्हें तत्क्षण ही प्रतीत हुआ कि 26वें श्लोक में जरूर कुछ विशेष बात है और इन्होंने इसे नियमित जपना प्रारंभ कर दिया। आज ये 42 वर्ष के हैं और तब से आजतक इन्हें माईग्रेन नहीं हुआ।



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