ज्योतिष शास्त्र में मृत्युदायी
रोग का विचार दूसरे और
सप्तम भाव से किया जाता है क्योंकि
ये मारकेश भाव होते हैं। इन भावों के
सहायक रोग देने वाले भाव तृतीय,
षष्ठ, अष्टम एवं द्वादश होते हैं। जिस
समय मारकेश की महादशा होती है,... और पढ़ें
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