जी हां, ऐसा ही हुआ प्रियंका के साथ, प्रियंका बचपन से बहुत होनहार और होशियार बच्ची थी। जीवन में बड़े-बड़े सपने देखती थी। माता-पिता बहुत ही रईस थे। उसे ऊंची से ऊंची शिक्षा दिलाना चाहते थे। प्रियंका ने दिल्ली के टाॅप काॅलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद फैशन मैनेजमेंट में पोस्टग्रे्रजुएशन की और इसी बीच उसके माता-पिता ने एक बड़े बिजनेसमैन के बेटे अंकुर से उसका विवाह कर दिया। अंकुर अपनी तीन बहनों का लाडला भाई था जो उससे उम्र में काफी बड़ी थीं। अंकुर अपने माता पिता की प्रौढ़ अवस्था की संतान था। इसलिए उसे जरूरत से ज्यादा प्यार और दुलार मिला था। प्रियंका अपनी आंखों में बड़े-बड़े सपने लेकर अपनी ससुराल में गई। वहां से एक नहीं चार-चार मांओं का प्यार मिलना था क्योंकि उसकी तीनों ननदें भी बहुत बड़ी थीं।
चूंकि प्रियंका अपने मां-बाप की इकलौती संतान थी, उसे नये माहौल में एडजस्ट करने में थोड़ा समय लग रहा था। अंकुर और उसे हर काम के लिए सबकी अनुमति लेनी पड़ती थी और अंकुर भी अपनी मां और बहनों के लाड़ प्यार में इतना मस्त रहता था कि प्रियंका को भूल ही जाता था। प्रियंका को अपना वजूद बेमानी सा लगने लगा। शुरू के कुछ महीने तो उसने एडजस्ट करने की बहुत कोशिश की लेकिन जब उसे अंकुर की अय्याशियों के बारे में पता चला तो वह लगभग डिप्रेशन में ही चली गई। वह बिल्कुल गुमशुम सी रहने लगी और जब उसके माता-पिता को पता चला तो वे उसके ठीक इलाज के लिए अपने घर ले गये। वहां कुछ दिन हाॅस्पिटल में रहने के बाद उसने अपने माता-पिता को सब कुछ बताया तो उन्होंने अपनी प्यारी बेटी को वहां न भेजने में ही भलाई समझी। उधर अंकुर प्रियंका पर जोर डालने लगा कि उसे अपने पति अथवा माता-पिता किसी एक को चुनना होगा तो उसने अपने माता-पिता को ही चुना।
जब अंकुर ने विवाह के छः महीने में मनचाहा प्यार नहीं दिया तो प्रियंका जन्म के माता-पिता का साथ कैसे छोड़ सकती थी। प्रियंका को डिप्रेशन से उबारने के लिए उसके माता-पिता ने उसे लंदन भेज दिया। वहां पर प्रियंका ने कुछ हाॅबी क्लास ज्वाइन कर ली। पांच-छः महीने वहां रहने के बाद उसका मन बदलने लगा और उसके जीवन में फिर नई आशाएं, उमंगें पनपने लगीं। जिंदगी फिर से खूबसूरत लगने लगी और जब वह वापिस आई तो मां-बाप की खुशी का ठिकाना न रहा, उन्हें अपनी प्रियंका वापिस मिल गई थी। कुछ माह बाद प्रियंका के पापा ने अब फिर से उसके लिए दूसरी मंजिल तलाशनी शुरू की और शायद प्रियंका की किस्मत भी यही चाहती थी। इस बार उन्हें सार्थक से रिश्ता आया। सार्थक भी अपनी विवाह की एक पारी खेल चुके थे पर उन्हें भी सफलता नहीं मिली थी।
पूरी तरह से आश्वस्त होकर दोनों परिवारों की ओर से हां हुई। सार्थक प्रियंका को भी कई बार मिलने का मौका दिया गया ताकि वे सब कुछ ठीक से परख लें और कुछ ही दिन में जनवरी 2014 में प्रियंका अपने दूसरे घर में आ गई। यहां आकर मानो उसकी आकांक्षाओं को पंख लग गये। सारे सपने पूरे होते दिखने लगे और कुछ ही दिन में वह अपने नये घर में ऐसे रम गई जैसे वह उसी परिवार की थी। उसके माता-पिता भी उसकी खुशी से बहुत खुश थे और अब तो उसमें एक खुशी और जुड़ गई थी क्योंकि वे शीघ्र ही नाना-नानी बनने वाले थे और इधर प्रियंका भी अपनी दूसरी मंजिल को पाकर पहले सारे गम भूल गई थी और अपने नये मेहमान की खातिरदारी में जुटी थी। प्रियंका की कुंडली का विश्लेषण करें तो इनका सप्तमेश चंद्रमा दशम भाव में क्रूर ग्रह मंगल के साथ युति बना रहा है। पति कारक ग्रह गुरु भी राहु से ग्रस्त है इसलिए पहला विवाह अधिक दिन तक नहीं चला।
लेकिन पराक्रम भाव में स्वगृही गुरु व राहु का संयुक्त प्रभाव होने से इनमें संघर्ष करने की हिम्मत है इसीलिए विपरीत परिस्थितियों में भी प्रियंका ने हिम्मत नहीं छोड़ी और एक नये रिश्ते में बंधी। राहु यदि स्वगृही या उच्च राशिस्थ ग्रह से संयुक्त हो तो वह इस ग्रह के बल को चार गुना बढ़ा देता है। गुरु ग्रह के बली होने से प्रियंका न केवल सुशिक्षित, सभ्य, संस्कारी, ज्ञानी व गुणवान बनी अपितु पराक्रमेश को अतिरिक्त बल प्राप्त होने के फलस्वरूप जीवन का अदम्य साहस व कठिन परिश्रम से सामना करने में समर्थ भी हो सकी तथा इन्होंने अपने जीवन की पुनः सफल शुरूआत की। विवाह के कारक शुक्र के साथ दो अलगाववादी ग्रहों की युति तथा अलगाववादी राहु की दृष्टि के कारण इनकी कुंडली में डिवोर्स अर्थात् पहले पति से अलगाव का योग बना। शनि में अष्टमेश सूर्य की अंतर्दशा में इसका दूसरा विवाह हुआ। सूर्य चूंकि कुंडली में लाभ स्थान में बैठे हैं इसलिए दूसरे विवाह का लाभ प्राप्त हुआ और इसमें अब कोई विघ्न नहीं आएगा। प्रियंका के दशम भाव में मंगल होने से उसे दिग्बल प्राप्त हो रहा है और चंद्र मंगल की युति से लक्ष्मी योग भी बन रहा है जिसके फलस्वरूप प्रियंका को पैसे की कोई कमी नहीं हुई और अपने माता-पिता का पूर्ण स्नेह और धन का लाभ मिला।
मातृ कारक चंद्रमा तथा चतुर्थेश मंगल की चतुर्थ भाव पर दृष्टि होने से एवं दशमेश की लाभ भाव में तथा लाभेश का दशम भाव में परिवर्तन होने से भी प्रियंका को अपने माता-पिता का भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है और आज जीवन फिर से खुशहाल है। वर्तमान में गोचर में बृहस्पति अपनी उच्च राशि से पंचमेश शुक्र को देख रहे हैं और अगले वर्ष प्रियंका को मां बनने का सौभाग्य भी प्राप्त हो जाएगा और इस तरह वह अपनी नयी मंजिल पर अधिक खुशी से अपना जीवन व्यतीत करेगी।