आय व्यय चक्र
आय व्यय चक्र

आय व्यय चक्र  

दीपा डुडेजा
व्यूस : 6009 | जुलाई 2016

आय-व्यय देखने की विधि: अपनी नाम राशि के नीचे लिखे आय-व्यय अंकों को जोड़िए। जोड़ने के बाद उसमें से 1 घटाएं और उसके बाद योग में 8 का भाग दीजिए। भाग देने के बाद जो शेष बचेगा उसका फल इस प्रकार से है:

यदि 1 बचे तो उस साल आपकी आय और व्यय कम होता है। धन संचय भी होगा।

यदि 2 बचे तो उस वर्ष आय व्यय बराबर रहता है।

यदि 3 बचे तो उस वर्ष आय कम और व्यय अधिक होता है। व्यर्थ व्यय मन को खिन्न करता है।

यदि 4 बचे तो आमदनी के मार्ग नए-नए खुलते हैं किंतु शारीरिक कष्ट/ रोगादि पर व्यय होता है।

यदि 5 बचे तो आमदनी। बहुत कम होती है किंतु खर्च भी उसी अनुपात में सिमट जाते हैं।

यदि 6 शेष बचे तो आमदनी नहीं के बराबर रहती है परिणामस्वरूप ऋण लेकर काम चलता है।

यदि 7 बचे तो अकस्मात् सट्टे/ लाॅटरी द्वारा या अन्य अनियोजित मार्गों से बड़ी मात्रा में धन लाभ होता है।

यदि 8 या 0 बचे तो आमदनी अच्छी होने के उत्साह में अनियोजित व्यय भी होता है। जैसे-जैसे कांत की राशि मिथुन होती है, इसमें लाभ 11 और व्यय 11 है। दोनों का योग 22 हुआ। इसमें 1 घटाने पर शेष 21 बचता है और इसमें 8 का भाग देने पर 5 शेष रहा। इस अंक फल के उपरोक्त विश्लेषण का निष्कर्ष है कि इस वर्ष आमदनी बहुत कम होगी और खर्च भी कम होंगे।



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