चाय पीएं और स्वस्थ रहें
चाय पीएं और स्वस्थ रहें

चाय पीएं और स्वस्थ रहें  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 6983 | जुलाई 2007

हरी चाय फेफड़े, उदर आदि के कैंसरों से बचाव में सहायक होती है। जापान में हुए एक शोध के अनुसार हरी चाय के नियमित सेवन (रोज तीन प्याली से ज्यादा) से छाती के आरंभिक कैंसर से बचाव होता है। इसमें मौजूद पाॅलिफेनाॅल- एपिगैलोकैटेशिन डीएनए के रेप्लिकेशन में श्वेतरक्तता की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है जिसके फलस्वरूप इन कोशिकाओं की मौत हो जाती है।

आज हम में से हर कोई चाय और उसके महत्व के बारे में जानता है। हर चाय, वह चाहे दूध की हा े या हरी, लाल हा े या भरू ी या फिर काली और फिर वह कहीं की भी हो सदाबहार पौधे की पत्तियों से बनती है। पहले चाय पर चीन का एकाधिकार था। उसके इस एकाधिकार को समाप्त करने के लिए उन्नीसवीं सदी में भारत में चाय उगाने के अंग्रेजों के निर्णय के बाद, चाय के पौधों और बीजों की खोज हुई। तब पता चला कि वास्तव में चाय के पौधे पहले से ही असम की पहाड़ियों में मौजूद थे, पर किसी को इसका पता नहीं था।

चाय के पौधे दक्षिण एशिया, थाइलैंड, बर्मा, दक्षिण पश्चिम चीन और असम के लिए कोई अजनबी नहीं हैं। काली और हरी चाय में क्या फर्क है? चाय की दोनों ही किस्में - काली और हरी - कैमेलिया साइनेंसिस नामक एक खास किस्म के पौधे की पत्तियों से बनी होती हैं, इसलिए इनमें कोई मौलिक फर्क नहीं है।

फर्क वस्तुतः इन्हें तैयार करने की प्रक्रिया में होता है। काली चाय की पत्तियां पूरी तरह आॅक्सीकृत होती हैं जबकि हरी चाय की पत्तिया ंे का उसक े सख्ू ान े क े पहले ही हल्का सा वाष्पीकरण कर चाय तैयार की जाती है। काली चाय मुख्यतः अफ्रीका, भारत, श्री लंका और इंडोनीशिया के बागानों में तैयार होती है जबकि हरी चाय का उत्पादन चीन और जापान जमससे सुदूर पूर्व के देशों में होता है।

चाय की संरचना काली और हरी दोनों चायों में फ्लेवनाॅयड की मात्रा समान होती है, किंतु दोनों की रासायनिक संरचना में फर्क होता है। हरी चाय में कैटेशिंस नामक साधारण फ्लेवनाॅयड की मात्रा अधिक होती है जबकि काली चाय के आॅक्सीकरण की प्रक्रिया में यह तत्व थियाफ्लेविंस तथा थियारुबिजिंस नामक अधिक संश्लिष्ट पदार्थों में बदल जाता है।

फ्लेवनाॅयड के स्वास्थ्य संबंधी फायदे हालांकि आॅक्सीकरण प्रक्रिया से मौजूद फ्लेवनाॅयड में थोड़ा परिवर्तन हो जाता है। हरी और काली चायों में विद्यमान तत्व हृदय रोगों, पक्षाघातों और कैंसर की विभिन्न किस्मों से बचाव करते हैं। हरी चाय के स्वास्थ्य संबंधी फायदे शोधों से पता चला है कि हरी चाय फेफड़े, उदर आदि के कैंसरों से बचाव में सहायक होती है।

जापान में हुए एक शोध के अनुसार हरी चाय के नियमित सेवन (रोज तीन प्याली से ज्यादा) से छाती के आरं.ि भक कैंसर से बचाव होता है। इसमें मौजूद पाॅलिफेनाॅल-एपिगैलोकैटेशिन डीएनए के रेप्लिकेशन में श्वेतरक्तता की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है जिसके फलस्वरूप इन कोशिकाओं की मौत हो जाती है।

हरी चाय एंटिकार्सिनोजेनिक, प्रबल उपचायक रोधी, प्रदाहक रोधी, थ्रौंबोसिस रोधी, विषाणु रोधी और जीवाणु रोधी होती है। इसके अतिरिक्त यह कोलेस्ट्राॅल की बढ़ी मात्रा को भी कम कर उसे नियंत्रित रखती है। हरी चाय कैंसर के विकास में बाधा डालती है। इसका पराबैंगनी विकिरण त्वचा की समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।

हरी चाय और वजन में कमी अमेरिकन जर्नल आॅफ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार हरी चाय वसा उपचयन को बढ़ाकर शरीर के वजन को कम करने में सहायता कर सकती है। हरी चाय के गुण इस प्रकार हैं।

हरी चाय कैंसर के विकास को रोकती या उसे मंद करती है रक्त कोलेस्ट्राॅल के स्तर को नियंत्रित रखती है उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखने में सहायक होती है रक्त शर्करा को कम करती है शरीर पर बुढ़ापे के प्रभाव को दूर करती है दांतों में होने वाले विवर (कैविटी) के विकास को रोकती या कम करती है विषाणुओं से लड़ती है हरी चाय का प्रमुख घटक, कैटेचिन, सर्वाधिक लाभकारी है।

इसके अतिरिक्त इसमें विटामिन ए, सी और इ भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जिनके लाभकारी गुणों के बारे में सभी जानते हैं। इसमें फ्लोराइड भी पाया जाता है जो दांतों को उनमें होने वाले विवर से बचाता है। कौन सी चाय पीएं चाय कौन सी पीएं यह आप पर निर्भर करता है क्योंकि चाय के मूल गुण काली और हरी दोनों में मौजूद हैं।

दोनों में ही कैफीन की मात्रा समान होती है और दोनों ही कैमेलिया साइनेंसिस पौधे से तैयार की जाती हैं। चाय में मौजूद पौष्टिक तत्व चाय यदि दूध के साथ पी जाए तो कुछ पोषक तत्वों में और भी वृद्धि होती है। तीन से चार प्यालियां दूध की चाय पीने से 108 मिग्रा. खनिज, 0.36 मिग्रा. कैल्सियम, 0.3 मिग्रा. जस्ता, 0.8 मिग्रा मैंगनीज, 232 मिग्रा. पोटैशियम आदि मिलते हैं।

इनके अतिरिक्त वि. टामिनों में 219 एमसीजी थियामिन, 54 एमसीजी रिवोफ्लेविन, 0.66 एमसीजीविटामिन बी 6, 0.3 एमसीजी. फोलेट, 0.36 एमसीजी. नियासिन, आदि भी मिलते हैं। हड्डियों और दांतों के लिए कैल्सियम बहुत ही जरूरी है। जस्ता बहुत से एंजाइमों में मौजूद होता है और ऊतकों के संवर्द्धन तथा परिपक्व काम के लिए जरूरी है।

पोटैशियम शरीर में द्रव पदार्थों के संतुलन और स्नायुओं तथा मांसपेशियों के साथ साथ कोशिकाओं को सुचारु रखने के लिए जरूरी है। मैंगनीज एंजाइमों के विकास के लिए जरूरी है और अस्थि तथा उपास्थि का महत्चपूर्ण घटक है। थियामिन कार्बोहाइड्रेट से ऊर्जा के उत्सर्जन में सहायक होता है। रिवोफ्लेविन प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट से ऊर्जा के उत्सर्जन में काम आता है। विटामिन बी 6 प्रोटीन का चयापचय करता है।

चाय के उपचायक रोधी गुण अपने सफाई करने के गुण के कारण उपचायक रोधी तत्व शरीर से फ्री रेडिकल्स का सफाया कर सकते हैं जिससे विभिन्न अवयवों पर प्रभाव डालने वाले हानिकर तत्व बाधित होते हैं। फ्री रेडिकल्स हृदयाघात (हृद धमनी की बीमारी, पक्षाघात), रक्तचाप, मधुमेह, गठिया, मोतियाबिंद और अल्झाइमर की बीमारी के वाहक होते हैं।

उपचायक रोधी तत्व फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाली बहुत सी उपचायी प्रतिक्रियाओं को रोकते हैं जिससे कोशिकाओं और ऊतकों का क्षरण कम होता है। चाय में अन्य सभी पौधों से अधिक फ्लेवनाॅयड तत्व पाए जाते हैं। चाय में उपचायक रोधी के रूप में वर्गीकृत विभिन्न तत्व पाए जाते हैं जिनमें अस्थिर आवेष्टित आॅक्सीजन परमाणु, जिन्हें फ्री रेडिकल्स कहा जाता है, में मिल जाने की क्षमता होती है।

ये फ्री रेडिकल्स डीएनए को भी क्षति पहुंचा सकते हैं जिससे स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याओं के पनपने की संभावना रहती है। इस तरह, चाय में पाए जाने वाले उपचायक रोधी तत्व फ्री रेडिकल्स को दूर करते हैं जिससे स्वास्थ्य बना रहता है। विटामिन सी और इ अन्य उपचायक रोधी तत्व हैं। चाय में पाए जाने वाले उपचायक रोधी तत्व इन विटामिनों से अधिक शक्तिशाली होते हैं।

शोधों से पता चला है कि गैर-आॅक्सीकृत चाय (उजली, हरी, पीली) में उपचायक रोधी तत्वों की मात्रा सर्वाधिक होती है। हरी चाय, जिसमें बड़ी मात्रा में ये उपचायक रोधी तत्व पाए जाते हैं, का प्रचलन इसके स्वास्थ्य संबंधी लाभ के कारण बढ़ा है और चीन तथा जापान जैसे देशों में इसका सेवन आम है। उजली चाय दूसरी गैर-आॅक्सीकृत चाय है, जिसका प्रचलन बहुत कम है।

यह चाय यहां भारत में दार्जीलिंग में उगती है। आॅक्सीकृत चाय में भी उपचायक रोधी तत्व बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए आॅक्सीकृत चाय भी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। चाय और हृदय इंसुलिन प्रतिरोधी सिंड्रोम, लिपोप्रोटीन का आॅक्सीकरण, शोथ और अंतःस्तरीय क्षरण, होमोसिस्टीन का उच्च स्तर, बिंबाणु समूहन और आसंजन, थक्के बनाने वाले तत्व,मधुमेह,रक्तचाप, धूम्रपान, हाइपरलिपिडेमिया आदि हृद धमनी की बीमारी के प्रमुख कारक हैं।

इन्ह ंे धूम्रपान के परित्याग, नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार के सेवन, तनाव प्रबंधन, फलों और सब्जियों के सेवन, नमक के अल्प सेवन और मदिरा पान के परित्याग से दूर या कम किया जा सकता है। तीन प्याली चाय रोज लेने से कार्डियोवैस्कुलर की बीमारी का खतरा 64 प्रतिशत तक कम हो जाता है। हृदयाघात से पीड़ित साठ वर्ष के लगभग 1900 स्त्रियों और पुरुषों पर किए गए हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं के एक नए शोध से पता चला है कि चाय के नियमित सेवन से हृदयाघात के शिकार लोगों में जीवन क्षमता बढ़ जाती है।

शोध के दौरान पता चला कि ये सभी रोगी चाय का नियमित सेवन (हफ्ते में 7 प्यालियां, दो हफ्तों में 28 प्यालियां, महीने में 56 प्यालियां और एक वर्ष में 730 प्यालियां) करते थे, अतः इनमें चाय न पीने वालों की तुलना में मृत्यु दर 14 प्रतिशत कम थी। संतुलित रूप से चाय पीने वालों में हृदयाघात का खतरा 44 प्रतिशत तक कम हो जाता है।

चाय और ब्रेन स्ट्रोक रोजाना तीन कप चाय पीने से उसमें मौजूद फ्लेवनाॅयड ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को 50 प्रतिशत तक कम कर देता है। चाय और कैंसर जापान में संचालित एक अध्ययन से पता चला है कि चाय का सेवन करने वालों में कैंसर की बीमारी कम होती है।

एक अन्य शोध के अनुसार चाय का नियमित सेवन करने वालों में, जो नहीं पीते उनकी तुलना में पेट के कैंसर का खतरा 48 प्रतिशत और चिरकालिक गैस्ट्राइटिस का 51 प्रतिशत तक कम रहता है। वहीं रोजाना तीन प्यालियों से अध् िाक चाय के सेवन से फेफड़े और छाती के कैंसर का खतरा कम होता है। चाय में यह कैंसर रोधी गुण उसकी उपचायक रोधी गतिविधि, नाइट्रोसेमीन की प्रतिक्रियाओं को रोकने की क्षमता, कोशिकाओं की अतिशयता को रोकने की क्षमता आदि के कारण होता है।

If you are facing any type of problems in your life you can Consult with Astrologer In Delhi



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.