देश को स्तब्ध कर देने वाला निठारी, हत्याकांड आज भी सुर्खियों में है। उत्तर प्रदेश के सबसे पाॅश शहर नोएडा के बीचो-बीच स्थित निठारी उस बदनाम कोठी डी-5 में दो दरिंदे लगभग दो साल तक हैवानियत का नाच करते रहे और मृतकों के परिवार वालों को सहयोग देने की बजाय दुत्कारते रहे और जब भांडाफोड़ हुआ, तो पूरा देश सकते में आ गया।
कोठी में लगभग 17 महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार करने के बाद उनकी हत्या कर दी गई। आखिर कोठी डी - 5 में ही इस प्रकार की हैवानियत का नाच क्यों नाचा गया? इस कोठी में ऐसा क्या था? इसका वास्तु विश्लेषण करने पर यह बात आईने की तरह साफ हो गई, कि इसमें इतने ज्यादा वास्तुदोष हैं कि यहां ऐसी घटनाओं का होना वास्तु की दृष्टि से कोई विशेष बात नहीं थी, क्योंकि किसी भी भवन में दो या दो से अधिक दोष होने पर उसमें ऐसी घटनाएं होने की संभावना अधिक रहती है।
इस कोठी के प्रमुख वास्तुदोष इस प्रकार हैं। कोठी एक मंजिली है। इसके गैराज के नीचे बेसमेंट है। इसकी पहली मंजिल पर गैराज के ऊपर स्नान घर है जिसमें आने का रास्ता पीछे आंगन में बनी लोहे की सीढ़ियों से है और पश्चिम में एक कमरा बना हुआ है। पिछले भाग का आंगन लोहे की जाली से ढका हुआ है। कोठी का भूखंड 40 अंश पर तिरछा है। इसके मुख्य द्वार का एक कोना पूर्व और दूसरा दक्षिण में है अर्थात दक्षिण-पूर्व यह रोड पर स्थित कोठी है।
किसी भवन के सामने इन दिशाओं में सड़क हो तो उसमें निवास करने वाले मौजमस्ती करने वाले और अय्याश होते हैं। कोठी की चहारदीवारी का द्वार दक्षिण र्नैत्य में है और घर का द्व ार भी दक्षिण र्नैत्य में ही स्थित है। वास्तुशास्त्र के सिद्धांत के अनुसार जिस घर की चहारदीवारी या घर का द्वार दक्षिण र्नैत्य में हो उस घर के लोग बदनामी और दुर्घटना के शिकार होते हैं, जेल जाते हैं या फिर खुदकुशी करते हैं।
उनकी मौत हृदयघात, आॅपरेशन, दुर्घटना, हत्या, लकवे के कारण होती है या उनकी हत्या होती है क्योंकि यह द्वार शत्रु स्थान का है। कोठी के आगे बाहर चहारदीवारी से लगा हुआ एक नाला है जहां कंकाल मिले है अर्थात् कोठी का आग्नेय कोण, दक्षिण एवं दक्षिण र्नै त्य का भाग नीचा है। नाले का बहाव भी र्नैत्य कोण की ओर है, और यहीं पर मुख्य द्वार भी है, इसलिए नाले के चहारदीवारी के बाहर होने के बावजूद इस दोष का बुरा प्रभाव इस मकान पर पड़ रहा है।
कोठी का उत्तर, ईशान व पूर्व का भाग लगभग 2 फुट ऊंचा है। इस वास्तुदोष के कारण भवन का स्वामी अपवित्र कार्य में लिप्त रहता है, उसमें मानसिक अस्थिरता होती है और वह व्यसनों का दास होता है। घर का पश्चिम, र्नैत्य एवं दक्षिण क्रमशः नीचा होते हुए ढलान लिए हुए हैं जहां भूमिगत नाली पर सीवेज लाइन के तीन चैंबर भी बने हुए हैं। इस भाग पर निर्माण न होने के कारण यह भाग खुला हुआ है, इसके विपरीत उत्तर, पूर्व एवं ईशान दिशा कोठी की अंत तक निर्माण कार्य होने के कारण ढकी हुई है।
इस कारण भवन के उत्तर, पूर्व एवं ईशान वाले भाग का फर्श ऊंचा है। जिन मकानों में इस प्रकार की बनावट होती है, उनमें निवास करने वाले लाइलाज बीमारियों से ग्रस्त होते है। उन्हें धन हानि, शत्रु भय, कारावास, मृत्युभय आदि अनेक कष्टों का सामना करना पड़ता है। पश्चिम में गैराज बना हुआ है जिसके फलस्वरूप पश्चिम ढका हुआ है और इसी के नीचे गैराज से बड़ा, लंबाई लिए हुए बेसमेंट है।
इसके कारण धन की हानि और वंश का नाश होता है। इस दोष का प्रभाव विशेषकर पुरुषों पर पड़ता है। पश्चिम दिशा में गैराज के ऊपर वह स्नान घर है जहां सुरेंद्र कोहली हत्याएं करता था। किसी भवन की पश्चिम दिशा का ढका होना अशुभ होता है। इस दोष के कारण उसमें रहने वाले कुसंगति और कुकर्मों के शिकार होते हैं।
वे व्यसनों के दास होते हैं, जिद्दी होते हैं और उनका धन नष्ट होता है। भूखंड पर पूर्व दिशा की ओर से सड़क में घुमाव है जिसके फलस्वरूप कोठी के र्नै त्य कोण को मार्ग प्रहार हो रहा है। नाले के कारण र्नैत्य नीचा भी है। इस दोष का प्रभाव विशेषकर स्त्रियों पर पड़ता है। इसी दोष के कारण यहां लड़कियों का यौन शोषण कर उनकी हत्याएं की गईं।
कोठी की बाहरी हालत बहुत खराब है, कई जगह से प्लास्टर टूट रहा है। आगे के लाॅन की पूर्व दिशा में मिट्टी का ढेर है और दक्षिण दिशा के मध्य जमीन एक से डेढ़ फुट नीचे दबी हुई है। इस दिशा का स्वामी राहु है। वास्तु में राहु टूटी हुई खिड़कियों, दरवाजों, उखड़े प्लास्टर, पपड़ीदार रंगरोगन, दीवार में दरारों, टूटे हुए पलंग, कब्रिस्तान इत्यादि का प्रतिनिधित्व करता है।
राहु प्रभावित घर का यदि द्वार भी र्नैत्य कोण में हो, (डी - 5 का प्लाॅट एवं कोठी दोनों का द्वार र्नैत्य कोण में है) उसमें वास करने वाले स्वभाव से तामसी, घमंडी, लुच्चे तथा धूर्त होते हैं। इन सब गंभीर वास्तुदोषों ने मिलकर निठारी की कोठी डी - 5 में ऐसी नकारात्मक ऊर्जा पैदा कर दी कि वहां ऐसा घिनौना कार्य किया जाता रहा।
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