पक्षाघात रोग: कारण एवं निवारण
पक्षाघात रोग: कारण एवं निवारण

पक्षाघात रोग: कारण एवं निवारण  

आलोक शर्मा
व्यूस : 10260 | जुलाई 2014

पक्षाघात में शरीर का एक पक्ष क्रियाहीन हो जाता है। मिथ्या आहार विहार के सेवन से वात दोष प्रकुपित होकर शरीर के अर्ध भाग में अधिष्ठित होकर शिरा व स्नायु में स्थान संचय करके उनका शोषण कर देता है। पक्षाधात में रस, रक्त तथा मांस धातु की दृष्टि एवं स्नायु विकृति होती है। पक्षाघात में शिरा सक्रीय होने के कारण पोषणाभाव से मांस धातु का क्षय होने लगता है जिससे प्रभावित भाग कृश व दुर्बल हो जाता है।

सम्प्रेषित घटक हेतु


Know Which Career is Appropriate for you, Get Career Report


- वात प्रकोपक निदान, विषमाग्नि दोष

- वात प्रधान त्रिदोषज व्याधि दूष्य-रस, रक्त, मांस, मेद, नाड़ी संस्थान स्रोतस

- रसवह, रक्तवह, मांसवह, मेदोवह, प्राणवह स्रोती दृष्टि प्रकार

- संग अधिष्ठान - शरीरार्ध रोगमार्ग-मध्यम स्वभाव-सागुकारी/ चिरकारी स ाध् य ास ाध् यत ा

-कृ च्छ ू साध्य, याप्य पक्षाघात की विभिन्न अवस्थाएं एकांगघात, पक्षवध, अध् ारांगघात, सर्वांगघात पक्षाघात के लक्षण

-शरीर के प्रभावित भाग की चेष्टा का नाश

-बोलने में कठिनाई, हनुग्रह, मन्याग्रह, स्तब्ध नेत्र

-हस्तपाद संकोच, शरीरार्घ में तीव्र पीड़ा

- शिरा स्नायु शोथ, हस्तपाद शोथ, मांस क्षय

- मुख, नासा, हनु, नेत्र, भू, ललाट की वक्रता

-शिरकम्प, रोमहर्ष, अविरल नेत्रता

- हास्य एवं भोजन ग्रहण में कठिनाई पक्षाघात का ज्योतिषीय कारण ज्योतिष के अनुसार किसी भी रोग का कारण व निदान निम्नलिखित तालिका द्वारा किया जाता है-

-जन्मजात $ वंशानुक्रम रोग

- संचित कार्य के कारण

- आधान कुण्डली व जन्मकुण्डली के योगों द्वारा।

-महामारी $ संक्रमण $ दुर्घटना

- प्रारब्ध कर्म के कारण

- दशा आदि द्वारा।

-अनुचित आहार विहार

- क्रियमाण कर्म

- गोचर के द्वारा।

क्रियमाण कर्म संचित एवं प्रारब्ध कर्मों के प्रभाव होते हैं अतः ऐसे रोगों का विचार करते समय योग एवं दशा के साथ-साथ गोचर का अध्ययन आवश्यक होता है। पूर्वार्जित अशुभ कर्मों के प्रभाववश आयुर्वेद वर्णित असम्यक आहार-विाहार के सेवन से रोगोत्पत्ति होती है। वीर सिंहावलोक में त्रिशठाचार्य में पक्षाघात को पापकर्मों के प्रभाववश माना है।

ज्योतिष के ज्ञान को चिकित्सा में अत्यंत उपयोगिता को ध्यान में रखकर, ‘ज्योतिवैद्यो निरन्तरौ’ कहा है। द्वादश भावों में से प्रथम, षष्ठ, अष्टम एवं द्वादश भाव मनुष्य के स्वास्थ्य व रोगों के विचार से प्रत्यक्षतः संबंधित है। द्वितीय व सप्तम भाव मारक होता है। पक्षाघात के प्रमुख ज्योतिषीय योग - शनि के साथ चंद्रमा का ईसराफ योग हो (शीघ्रगति ग्रह से मंद गति ग्रह आगे हो) -चंद्रमा अस्तगत हो और पापप्रभाव में हो।

- षष्ठेश पापाक्रांत हो एवं गुरु से दृष्ट न हो और षष्ठ भाव में पापग्रह हो।

-कर्क राशि में स्थित सूर्य पर शनि की दृष्टि हो।

- पापग्रहों के साथ चंद्रमा षष्ठ स्थान में हो और इस पर पापग्रहों की दृष्टि हो।

-क्षीण चंद्रमा एवं शनि व्यय स्थान में हो। जन्मजात पंगुता के योग

-गर्भाधान कुंडली में मीन लग्न हो और उस पर चंद्रमा, मंगल व शनि की दृष्टि हो।

-जन्मकुंडली में मीन, वृश्चिक, मेष, कर्क या मकर राशि में पापग्रहों के साथ-साथ शनि व चंद्रमा हो।

- पंचम या नवम स्थानों में पाप ग्रहों के साथ शनि -चंद्रमा हो।

-शनि व षष्ठेश दोनों 12वें भाव में हो और इन पर पापग्रहों की दृष्टि हो।

-षष्ठ स्थान में शनि-सूर्य एवं मंगल साथ हो। मीन राशि व द्वादश भाव पैरों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ग्रहों में चंद्रमा बाल्यावस्था का तथा शनि पैरों का सूचक है।


Consult our expert astrologers to learn more about Navratri Poojas and ceremonies


अतः मीन राशि द्वादश भाव, शनि एवं चंद्रमा का षष्ठ स्थान या पाप प्रभाव में होना पैरों के विकार की सूचना देता है। प्रत्यक्ष रोगी दर्शन से इसके अतिरिक्त अनेक पक्षघात रोग ज्ञापक योगों का संकलन किया जा सकता है। पक्षाघात रोगियों के चिकित्सा लाभ का निर्धारण निम्नलिखित स्तर पर किया जाता है। पूर्ण रोग निवृत्ति - 75 प्रतिशत से अधिक लक्षण व चिह्नों में सुधार। प्रशंसनीय

सुधार

- 51 प्रतिशत से 75 प्रतिशत के बीच लक्षण व चिह्नों में सुधार।

सुधार

- 25 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक लक्षणों व चिह्नों में सुधार। अलाभ

- लक्षणों व चिह्नों में कोई सुधार नहीं। पक्षाघात क्योंकि पूर्वार्जित अशुभ कर्मों के प्रभाववश आहार

- विहार के असम्यक प्रयोग से होता है। अतः पक्षाघात का समन्वयात्मक अध्ययन अति आवश्यक है। औषधि प्रयोग के साथ-साथ मंत्र, मणि आदि का प्रयोग अपेक्षित है। पक्षाघात के रोगी को संपूर्ण लाभ दिया जा सकता है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.