दीपावली का पर्व प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को ही मनाया जाता है। अमावस्या के दिन दीपावली मनाने का महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन सबसे अधिक काली अंधकारपूर्ण रात्रि होती है तथा ऐसी स्थिति में आसुरी शक्तियों का प्रभाव काफी अधिक बढ़ जाता है। आसुरी शक्तियों को रोशनी या प्रकाश सबसे अधिक अप्रिय व कष्टकारी होता है। अतः आसुरी शक्तियों को दूर रखने के लिए घर-आंगन को अधिक से अधिक प्रकाशित रखने का प्रयास किया जाता है। इसीलिए अधिक से अधिक रोशनी वाली आतिशबाजी का प्रयोग भी इस दिन किया जाता है।
घरों में ऐसी जगहों पर भी दीपक जलाए जाते हैं जहां पर वर्ष भर कभी दीपक नहीं जलाए गए होते, जैसे शौचालय या स्नानागार की नालियां आदि ताकि दैत्य या पैशाचिक शक्ति किसी भी मार्ग से घर में प्रवेश न कर सके। इसीलिए कई तांत्रिक इस रात अपनी तांत्रिक सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से पूजा-अर्चना तथा तांत्रिक क्रियाएं भी करते हैं तथा बड़ी-बड़ी सिद्धियों को प्राप्त करते हैं।
दूसरी विचारधारा के अनुसार, यह पर्व हमें अज्ञानता रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाता है, इसलिए हम दीपावली पर अधिक से अधिक प्रकाश करते हैं, ताकि हमारे जीवन में अधिक से अधिक ज्ञान रूपी ज्योति जल सके। हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार दीपावली का पर्व निर्धनता को दूरकर सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है।
इसलिए इस दिन ऋद्धि-सिद्धिदायक श्री महालक्ष्मी जी की पूजा बड़ी ही निष्ठा व प्रेम के साथ करते हैं तथा लक्ष्मी जी को मनाने या उनको प्रसन्न करने के लिए विविध पूजा-अर्चना, मंत्र जप, यंत्र पूजा आदि करते हंै। पूजा में लक्ष्मी जी का प्रिय पुष्प कमल का उपयोग काफी महत्वपूर्ण है। इस दिन जो व्यक्ति श्रीयंत्र की स्थापना करके निम्न मंत्र का जप अधिक से अधिक करता है, उस व्यक्ति को वर्ष भर सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य व धन आदि की प्राप्ति बड़ी ही सुगमता से होती है। ध्यान रहे इस मंत्र का जप कमलगट्टे की माला पर किया जाना आवश्यक है।
मंत्र: ऊँ ऐं Âीं श्रीं क्लीं श्रीमहालक्ष्म्यै नमः
किसी पर्व विशेष पर किए गए उपाय का ही संपूर्ण लाभ मिल पाता है, क्योंकि पर्व विशेष पर ग्रह की रश्मियां अधिक मात्रा में पृथ्वी पर पहुंचती हैं जिससे उसका महत्व अधिक हो जाता है। जैसे राहु के दोष निवारण के लिए सूर्य या चंद्र ग्रहण का काल, नागपंचमी तथा शिवरात्रि का समय महत्वपूर्ण होता है, शनि के दोष निवारण के लिए शनैश्चरी अमावस्या का विशेष महत्व है, उसी प्रकार धन संबंधी दोष के निवारण के लिए पंच पर्व दीपावली का विशेष महत्व है।
धन-संबंधी दोष में सभी प्रकार के दोष शामिल हो जाते हैं, जैसे धन का आगमन वांछित मात्रा में न होना, धन का आगमन है, परंतु घर में एकत्र न रह पाना, कर्ज से मुक्ति न हो पाना, रुका हुआ धन प्राप्त न हो पाना, धन का सदुपयोग न होकर व्यर्थ में इधर-उधर, बीमारी या मुकद्दमे आदि में खर्च हो जाना आदि। दीपावली के दिन लक्ष्मी एवं समृद्धि प्राप्ति हेतु निम्नलिखित विशेष उपाय किए जाने चाहिए या किए जा सकते हैं।
प्रचुर मात्रा में धनागमन हेतु:
दीपावली से पूर्व धन त्रयोदशी के दिन लाल वस्त्र पर धातु से बने कुबेर एवं लक्ष्मी यंत्र को प्रतिष्ठित करके उनकी लाल पुष्प, अष्टगंध, अनार, कमलगट्टा, कमल के फूल, सिंदूर आदि से पूजा करें। फिर कमलगट्टे की माला पर कुबेर के मंत्र का जप करें तथा माला को गले में धारण कर लें।
मंत्र: ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन्याधिपतये, धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।
धन संग्रह हेतु:
दीपावली के दिन प्रातः काल स्नानादि करके मां भगवती के श्रीसूक्त का पाठ करें। लक्ष्मी जी की प्रतिमा को लाल अनार के दानों का भोग लगाएं और आरती करें। घर की उŸार दिशा की ओर से प्रस्थान करके बेल का छोटा पेड़ घर में लाएं और उसे लक्ष्मी सूक्त पढ़ते हुए घर की उŸार दिशा में किसी गमले में लगाएं। फिर प्रत्येक सायंकाल वहां शुद्ध देशी-घी का दीपक जलाएं।
कर्ज मुक्ति हेतु:
दक्षिणावर्ती गणेश जी की उपासना करें तथा ‘गजेन्द्र मोक्ष’ नामक स्तोत्र का पाठ करें। दक्षिणावर्ती गणेश जी की मूर्ति के साथ गणपति यंत्र को भी स्थापित करें। इस यंत्र की दाहिनी ओर कुबेर यंत्र को स्थापित करना चाहिए। जप के पश्चात् हवन, तर्पण, मार्जन आदि करना आवश्यक माना गया है।
व्यापार में धन वृद्धि हेतु:
शालिग्राम को श्वेत कमल एवं लक्ष्मी यंत्र को लाल कमल के पुष्प पर स्थापित करके पुरुष सूक्त, लक्ष्मी सूक्त को आपस में संपुटित कर पाठ करें।
मंत्र:
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्। अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद मे गृहात्। दीपावली के अवसर पर निम्नलिखित सामग्री से पूजा करना विशेष लाभकारी होता है और किस सामग्री से किस चीज के लिए पूजा की जानी चाहिए, वह इस प्रकार है।
पारद लक्ष्मी गणेश:
दीपावली के दिन पारद लक्ष्मी-गणेश युगल की पूजा करने से सभी विघ्न-बाधाओं का नाश होता है। व्यापार एवं नौकरी में तरक्की, परिवार में सुख, शांति, समृद्धि एवं मांगलिक कार्य होते हैं।
स्फटिक श्रीयंत्र:
यदि श्रीयंत्र स्फटिक का हो तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इस यंत्र की पूजा, साधना करने से साधक की सभी मनोकमानाएं पूर्ण होती हैं।
कमलगट्टे की माला:
इस माला पर लक्ष्मी यंत्र का जाप करने से साधक को शीघ्र मनोवांछित सफलता प्राप्त होती है।
कुबेर यंत्र:
धन तेरस या दीपावली के दिन इस यंत्र को लक्ष्मी-गणेश की पूजा के उपरांत तिजोरी में रखने से नवीन आय के स्रोत बनते हैं और धन कोष भरा रहता है।
महालक्ष्मी यंत्र:
इस यंत्र की पूजा करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा धन स्थायी रूप से चिरकाल तक बना रहता है।