रत्नों द्वारा बाधा निवारण आचार्य रमेश शास्त्री ह मारी भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में प्राचीन काल से ही रत्न धारण की परंपरा रही है। नाना प्रकार के कार्यों की सिद्धि के लिए रत्न-उपरत्न धारण करने से लाभ प्राप्त होता है।
कन्या के शीघ्र विवाह हेतु: यदि किसी कन्या के विवाह में परेशानियां आ रही हों, तो जन्मकुंडली दिखाकर पुखराज धारण करने से वे परेशानियां दूर होती हैं।
सरकारी नौकरी में उन्नति के लिएः सरकारी विभाग में नौकरी में पदोन्नति में बार-बार बाधाएं आ रही हों अथवा परेशानियां अधिक हांे तो जन्मपत्री की जांच कराकर अच्छी गुणवत्ता वाला माणिक्य धारण करने से लाभ होता है।
कोर्ट-कचहरी की बाधाओं के निवारण हेतु: यदि कोर्ट कचहरी की समस्याए ं बार-बार आती हो ं,ता े अच्छी गुणवत्ता वाला मूंगा धारण करने से समस्या के निवारण में कठिनाइयां कम होती हैं और कार्य शीघ्रता से संपन्न होता है।
पति-पत्नी के बीच कलह से मुक्ति के लिए: पति-पत्नी के बीच यदि परस्पर प्रेम आकर्षण में कमी हो, अनबन बनी रहती हो, तो फिरोजा रत्न धारण करने से मनोमालिन्य दूर होता है तथा प्रेम आकर्षण में वृद्धि होती है।
तंत्र-मंत्र नजर दोष आदि से रक्षा के लिए: यदि तंत्र-मंत्र, जादू-टोने, नजर लगने आदि का भय बना रहता हो तो पन्ना रत्न धारण करने से भय से मुक्ति मिलती है तथा इन दोषों से रक्षा होती है।
मानसिक शांति के लिए: यदि मान¬सिक तनाव बना रहता हो, सब सुख सुविधाएं होते हुए भी मानसिक संतुष्टि न रहती हो, तो मोती और रुद्राक्षयुक्त माला धारण करने से लाभ होता है।
संपूर्ण बाधाओं से रक्षा के लिए: जीवन में अनेक प्रकार की बाधाओं से बचने तथा सभी प्रकार की खुशहाली के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली नवरत्न माला अथवा नवरत्न अंगूठी धारण करने से लाभ प्राप्त होता है।
लड़के के शीघ्र विवाह के लिए: यदि लड़के का विवाह न हो रहा हो, बार-बार बाधाएं आ रही हों, तो अच्छी गुणवत्ता वाला ओपल अंगूठी में धारण करने से बाधाएं दूर होती हंै।
पेट संबंधी बीमारी तथा कार्यों में रुकावट के निवारण के लिए: यदि पेट से संबंधित कोई समस्या हो बार-बार औषधि के उपयोग से भी लाभ न हो रहा हो ऐसी स्थिति में बायें हाथ की मध्यमा में पंच धातु की अंगूठी में शनिवार को सूर्य अस्त होने के बाद गोमेद धारण करने से लाभ होने की संभावना होती है। साथ ही यदि कार्यों में रुकावटें अधिक आ रही हांे तो ऐसी परिस्थिति में भी गोमेद धारण करने से लाभ होता है।
भूत प्रेतादि बाधा निवारण के लिएः यदि भूत प्रेतादि बाधा के कारण पा¬रिवारिक अशांति बनी रहती है। बुरे स्वप्न दिखाई देते हों ऐसी स्थिति में लहसुनिया रत्न को पंचधातु की अंग¬ूठी में बुधवार के दिन कनिष्ठिका में धारण करने से लाभ होता है। जिन बीमारियों की जांच करने पर भी पता न चलता हो दवाई असर न कर रही हो ऐसी परिस्थितियों में भी यह रत्न धारण करने से लाभ होने की संभावना होती है। दवाई असर करने लगती है।
अगर यदि कोई भी इन असली रत्नों को धारण करने में असमर्थ हो तो इनके स्थान पर इनके उपरत्न जैसे पन्ना के उपरत्न अनाॅस्क, पुखराज का सुनेला, नीलम का नीली आदि रत्नों के उपरत्न धारण करने से भी सामान्यतः लाभ होता है। यदि अंगूठी में इनको धारण करने में असुविधा हो रही हो तो इन रत्नों को लाॅकेट रूप में गले में धारण करने से भी लाभ प्राप्त होता है विशेष जानकारी के लिए किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेकर रत्न धारण कर सकते हैं।
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