विवाहादि शुभ मुहूर्त : महत्व, साधन एवं दोष परिहार महेश चंद्र भट्टविवाह मेलापक एवं मुहूर्त साधन जैसे शुभ कार्यों में अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता होती है। छोटी सी असावधानी अनेक प्रकार के दोषों का सृजन करती है। प्रस्तुत लेख में कुछ ऐसे ही दोषों एवं उनके परिहार की विधि बताई गई है।... moreज्योतिषकुंडली मिलानविवाहमुहूर्तभविष्यवाणी तकनीकजून 2011Views: 15430
लाल किताब के विशेष नियम तिलक राजपाराशरी ज्योतिष पद्धति व लाल किताब ज्योतिष पद्धति में कुछ भिन्नता पाई जाती है। पाराशरी पद्धति में लग्न को बहुत महत्व दिया गया है। किसी व्यक्ति के जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर जो राशि उदित हो रही होती है वह व्यक्ति की लग्न ... moreज्योतिषकुंडली व्याख्यालाल किताबभविष्यवाणी तकनीकसितम्बर 2015Views: 13765
स्वतंत्र व्यवसाय के ग्रह योगों की विवेचना अशोक सक्सेनाजातक के कार्य, व्यवसाय निर्धारण में दशम भाव एवं सप्तम भाव का प्रभाव होता है। प्रस्तुत लेख में स्वतंत्र व्यवसाय के ग्रह योगों की विवेचना की गयी है।... moreज्योतिषज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीकजून 2010Views: 9333
जन्म पत्रिका में इंजीनियरिंग योग रश्मि चैधरीइंजीनियरिंग में सफलता के लिए शनि मंगल, सूर्य आदि कारक ग्रहों का लग्न, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम व दषम भाव और इन भावों के स्वामी के साथ संबंध होना अति आवष्यक है।... moreज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकव्यवसायदिसम्बर 2010Views: 10040
नक्षत्रों का महत्व विनय गर्गनक्षत्रों की खोज राशियों से पहले हुई थी। पृथ्वी से नक्षत्र राशियों से भी अधिक दूरी पर स्थित हैं। पृथ्वी से नक्षत्र राशियों से भी अधिक दूरी पर स्थित हैं। नक्षत्रों को अन्य धर्म में तारों के नाम से भी जाना जाता हैं।... moreज्योतिषनक्षत्रराशिफ़रवरी 2013Views: 13449
कृष्णमूर्ति पद्धति एवं विवाह सी. एल. शर्माभविष्यवाणियां करने की अनेक पद्धतियां हैं, जैसे टैरो कार्ड, अंक शास्त्र, हस्त रेखा, पाराशरी पद्धति, कृष्णमूर्ति पद्धति आदि। उपर्युक्त सभी पद्धतियों का उपयोग किया गया है, लेकिन सटीक भविष्यवाणियां तथा घटना कब घटित होगा, इसका निर्णय ज... moreज्योतिषज्योतिषीय योगदशाकुंडली व्याख्याकृष्णामूर्ति ज्योतिषविवाहभविष्यवाणी तकनीकगोचरजुलाई 2004Views: 15759
ज्योतिष भविष्य का दर्पण बाबुलाल शास्त्रीसंसार के सभी कार्य किरणों पर आधारित हैं। आज के वैज्ञानिक युग में साइंस ने सिद्ध कर दिया है कि किरणों ही सब कुछ है। टी.वी. रिमोट कंट्रोल, वायरलेस, रेडियों, टेलीफोन आदि के पीछे किरणों की प्रक्रिया छिपी है। जैसे हम एक खास जगह को पकड़न... moreज्योतिषअप्रैल 2010Views: 11206
कैरियर निर्माण की अनुभूत ज्योतिषीय प्रक्रिया बी. पी. विश्वकर्माज्योतिष ग्रंथों में कर्मक्षेत्र के चयन हेतु असंख्य सिद्धांत एवं नियम प्रतिपादित हैं। इन नियमों को किसी जातक की जन्मकुंडली में लागू कर उसके वास्तविक व्यवसाय का निर्धारण कर पाना अत्यंत कठिन एवं दुरूह है। सारे सिद्धांतों को लागू कर ल... moreज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरकृष्णामूर्ति ज्योतिषनक्षत्रग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसायसफलताअकतूबर 2005Views: 12108
शिक्षा, व्यवसाय और धन योग सेवाराम जयपुरियाकिसी जातक की कुंडली में चतुर्थ भाव का स्थान अति महत्वपूर्ण है। यह भाव माता का भाव है। इसका शिक्षा से गहरा संबंध है, क्योंकि बच्चे की मां उसकी पहली शिक्षक होती है। कुंडली के पंचम, अष्टम और नवम भाव भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। भाव, भा... moreज्योतिषज्योतिषीय योगशिक्षाकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकव्यवसायसंपत्तिजनवरी 2005Views: 11143
किस वस्तु का व्यापार करें किससे होगा लाभ हरिश्चंद्र त्रिपाठीकौन ग्रह तथा किस तरह के विषेष ग्रह योगों से और किस व्यापार से लाभ होगा। इस लेख में इस विषय पर संक्षेप में बड़ी उपयोगी और सटीक जानकारी दी गई है।... moreज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकसफलतासंपत्तिराशिअप्रैल 2011Views: 9675
राहु के उद्भव की गाथा राजेंद्र शर्मा ‘राजेश्वर’सर्वप्रथम राहु का उल्लेख सूर्य के प्रसंग में ऋग्वेद में प्राप्त होता है जिसका अर्थ अंधकार है। ऋग्वेद में राहु उस दैत्य का नाम प्रतीत होता है जो सूर्य-चंद्र ग्रहण का कारण बनता है। इसे स्वर्भानु कहा गया है, जो सूर्य के प्रकाश को... moreज्योतिषग्रहजुलाई 2014Views: 12753
ज्योतिष की नजर में वर्षा जगदम्बा प्रसाद गौडजिस प्रकार लोकतांत्रिक राज्यों को चलाने के लिए मंत्री परिषद बनाए जाते हैं। उसी प्रकार विश्व चक्र को चलाने के लिए प्रतिवर्ष ग्रहों की आकाशीय कौंसिल बनाई जाती है। जिसमें हर विभाग का मंत्री एक ग्रह को नियुक्त किया जाता है। इस लिए वर्... moreज्योतिषमेदनीय ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2009Views: 12177