किस वस्तु का व्यापार करेंकिससे होगा लाभ पं. हरीश चंद्र त्रिपाठी व्या पार से धन कमाने के लिये किस माध्यम से प्राप्त होने का योग है, इसके लिए कुंडली में देखें कि लग्न अथवा चन्द्रमा से दद्गाम में कौन सा ग्रह बलवान है। उसी ग्रह के अनुसार व्यापार से धन प्राप्त होगा। लग्न तथा दद्गाम में कौन अधिक बलवान है। जो अधिक बलवान हो उससे दद्गाम में कौन सी राद्गिा पड़ती है। उस राद्गिा का स्वामी किस नवांद्गा में बैठा है उसका स्वामी जो ग्रह होगा, उसी ग्रह से संबंधित व्यापार से धन प्राप्त होगा। इनके अतिरिक्त यह भी देख लेना चाहिये कि नौकरी अथवा व्यापार किस दिद्गाा में सफल होगा। यदि ग्रह बलबान हो तो नौकरी अथवा व्यापार से धन आसानी से प्राप्त हो जाता है।
किंतु नवांद्गा का स्वामी दुर्बल हो तो थोड़े धन की प्राप्ति होती है। किस दिद्गाा में व्यापार करने से धन की प्राप्ति होगी। इसके लिए दद्गाम स्थान में जो राद्गिा है, उससे संबंधित दिद्गाा में धन की प्राप्ति होगी। यदि यह राद्गिा या नवांश राद्गिा अपने स्वामी से युत या दृष्ट हो तो जातक अपने देद्गा में रहकर कार्य व्यापार से ध् ानोपार्जन करने में सफल रहेगा।
यदि दद्गामेद्गा स्थिर नवांश में हो तो जातक अपने देद्गा में रहकर कार्य-व्यापार से धनोपार्जन करने में सफल रहता है। किन्तु दद्गाम राद्गिा या नवांद्गा राद्गिा में अपने स्वामी के साथ और भी ग्रह बैठें हो या अन्य ग्रहों से दृष्ट हों अथवा भाव का स्वामी चर राद्गिा में हो तो विदेद्गा में व्यापार से ही भाग्योदय होता है अर्थात् ऐसा जातक अपनी जन्मभूमि में कार्य-व्यापार में सफल नहीं होगा। यदि भाग्येद्गा द्विस्वभाव वाली राद्गिायों जैसे मिथुन, कन्या, धनु, और मीन में हो तो जातक कभी घर, कभी परदेद्गा में रहकर दोनों जगह से धन कमा लेता है। यह भी विचार कर लेना चाहिए कि व्यापार में साझेदारी सफल रहेगी अथवा नहीं।
यदि सफल होगी तो किस राद्गिा, नक्षत्र के व्यक्ति के साथ व्यापार करना उचित होगा। कौन से ग्रह दुर्बल हैं और कैसे उनको बलबान बनाया जाये ताकि कार्य व्यापार में मनवांछित सफलता प्राप्त हो सके। कुंडली में दद्गाा, अंतर दद्गाा देख लेनी चाहिये। व्यापार हेतु चयन किये गए स्थान अथवा नया निर्माण करवा रहे हैं, तब भी यह आवद्गयक है कि उसका वास्तु निरीक्षण करा लें यदि दोष हो तो पूर्व में समाधान करा लें। यदि असमंजस में है कि नौकरी करें या व्यापार करे, किससे धन कमा सकते है तो इसके लिये कुंडली के द्वारा विवेचना करा लेनी चाहिये। और यदि किसी प्रकार की कमी या दोष नजर आते हैं, तो उनका उपाय कर लेना चाहिये। कौन ग्रह किस व्यापार से लाभ करायेगा सूर्य-नौकरी द्वारा, सरकारी सेवा से ऊनी वस्त्र, दवा, धातु, मंत्र जप, सट्टा, चालाकी ,धोखा, झूठ बोलकर या किसी सम्मानित व्यक्ति की नौकरी करने आदि से।
चन्द्रमा-जल से उत्पन्न पदार्थ जैसे मोती, मछली, सिंघाड़ा, खेती से, गाय, भैंस के दूध-दही, तीर्थाटन, किसी स्त्री के आश्रय से या वस्त्र की खरीद फरोखत आदि से। मंगल-लोहा, तांबा, विविध धातु व्यापार, विद्युत उपकरण, पुलिस सेवा, फौज, डकैती, सर्राफ, रेस्टोरेन्ट, शस्त्र के द्वारा, साहस के कार्यों से , मुखबिरी या चोरी आदि से। बुध-पुस्तक लेखन, ज्योतिष, पांडित्य, वेद पाठ, लेखाकार, कम्प्यूटर, गणित, दलाली आदि से। गुरु-ब्राहणों के आश्रय से, देवालय, मठ, मंदिर, राजदरबार, धार्मिक व्याखयान, ब्याज, बैंक, व्यापार आदि। शुक्र-कंप्यूटर, दूरसंचार, फिल्म जगत, सौन्दर्य प्रसाधन, वाद्ययंत्र, महिला, नेत्री, अभिनेत्री, कविता, गीत-संगीत, भोग विलास के अन्य साधन आदि। शनि-नौकरी करें, नौकरो से काम करायें, नीच जन, दुष्टजनों से धन प्राप्त हो, रिद्गवत, अन्याय, अधर्म, लकड़ी, फर्नीचर आदि के कार्यों से।