उच्च नीच के ग्रह क्यों और कैसे होते हैं? फ्यूचर पाॅइन्टज्योतिष में रुचि रखने वाले उच्च/ नीच के ग्रहों से रोजाना मुखातिब होते हैं और ग्रहों की इस स्थिति के आधार पर फलकथन भी करते हैं। शाब्दिक परिभाषा के आधार पर ‘उच्च’ का तात्पर्य सामान्य स्तर से ऊँचा और ‘नीच’ का तात्पर्य सामान्य ... moreज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2015Views: 51275
आर्थिक उन्नति कारक दक्षिणावर्ती शंख सीताराम त्रिपाठीदक्षिणावर्ती शंख का अपने चमत्कारी गुणों क कारण अपना विशेष महत्व है. यह शंख विदेश दुर्लभ तथा सर्वाधिक मूल्यवान होता है. असली दक्षिणावर्ती शंख कों प्राण प्रतिष्ठित कर के उद्दोग – व्यवसाय स्थल, कार्यालय, दुकान अथवा घर में स्थापित कर ... moreज्योतिषउपायमंत्रआगस्त 2009Views: 43797
तुरंत फलादेश विधि आभा बंसलज्योतिष में तुरंत उत्तर ही नहीं बल्कि जातक के मस्तिष्क में क्या सवाल है, वह भी जाना जा सकता है. सर्व प्रथम प्रश्न कुंडली उस समय व स्थान भी बनाएं जहां से जातक प्रश्न कर रहा है. यह ज्ञात रहे की ग्रह-गोचर जातक के दिमाग में... moreज्योतिषमार्च 2012Views: 65233
क्या और कैसे होते हैं-उच्च, नीच, वक्री एवं अस्त ग्रह दयानंद शास्त्रीउच्च तथा नीच राशि के ग्रह भारतवर्ष में अधिकतर ज्योतिषियों तथा ज्योतिष में रूचि रखने वाले लोगों के मन में उच्च तथा नीच राशियों में स्थित ग्रहों को लेकर एक प्रबल धारणा बनी हुई है कि अपनी उच्च राशि में स्थित ग्रह सदा शुभ फल दे... moreज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2015Views: 46195
व्यवसाय का निर्धारण तिलक राजहमारे जन्मांग चक्र में विभिन्न भावों को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष चार भागों में बांटा जाता है। 1, 5, 9 धर्म भाव, 2, 6, 10 अर्थ भाव, 3, 7, 11 काम भाव और 4, 8, 12 मोक्ष भाव है।... moreज्योतिषज्योतिषीय योगशिक्षाकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2009Views: 61188
टाॅन्सिलाइटिस अविनाश सिंहटाॅन्सिलाइटिस एक बाल रोग है, जो बच्चों को बचपन में ही अपने शिकंजे में जकड़ लेता है। इसका मुख्य कारण गलत खान-पान होता है। अगर बड़े होने पर भी खान-पान गलत रहे, तो बड़े होकर भी यह रोग हो सकता है। जो बालक बचपन में अपने खान-पान का... moreज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय विश्लेषणभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2017Views: 4662
नवग्रहों से रोग ज्ञान फ्यूचर पाॅइन्टरोग दो तरह के होते हैं-दोषज एवं कर्मज। जिन रोगों का उपचार दवाओं से हो जाता हो, उन्हें दोषज तथा जिनका उपचार दवाओं से नहीं हो उन्हें कर्मज कहते हैं। कर्मज रोग मनुष्य को पूर्व जन्म के बुरे कार्यों और पापी ग्रहों से पीड़ित होने क... moreज्योतिषस्वास्थ्यविविधसितम्बर 2006Views: 5460
रत्नों द्वारा रोग मुक्ति एवं ग्रह शांति फ्यूचर पाॅइन्टयह सर्वविदित है कि रत्नों में दैवीय शक्ति का वास होता है। इन रत्नों का यदि उचित उपयोग किया जाए तो अनेक रोगों, कष्टों, बाधाओं आदि से रक्षा हो सकती है। यहां विभिन्न रत्नों और उनके प्रभावों का विश्लेषण प्रस्तुत है।... moreज्योतिषस्वास्थ्यरत्नभविष्यवाणी तकनीकजून 2006Views: 5356
नक्षत्र और रोग पारस राम वशिष्टज्योतिष शास्त्र में मृत्युदायी रोग का विचार दूसरे और सप्तम भाव से किया जाता है क्योंकि ये मारकेश भाव होते हैं। इन भावों के सहायक रोग देने वाले भाव तृतीय, षष्ठ, अष्टम एवं द्वादश होते हैं। जिस समय मारकेश की महादशा होती है,... moreज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय विश्लेषणभविष्यवाणी तकनीकजून 2006Views: 6556
आयुर्वेद, ज्योतिष और निरोगी काया सीताराम सिंहआयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ मानव शरीर में ‘वात’ (वायु), ‘पित्त’ (अग्नि) और ‘कफ’ (जल) तत्व समान अनुपात में विद्यमान रहते हैं। इनका संतुलन बिगड़ने से रोगों की उत्पत्ति होती है। सर्वप्रथम वायु तत्व का संतुलन बिगड़ता है और उसके बाद ... moreज्योतिषस्वास्थ्यभविष्यवाणी तकनीकजून 2006Views: 6298
मोटापा- योग, संयोग, कारण और निवारण ! आर. के. शर्मादेह स्थूलता (मोटापा) योग 1. यदि लग्न जलराशि में शुभ ग्रहों से युत हो या लग्नेश जलीय ग्रह हो व शुभ ग्रहों से दृष्ट हो, तो ऐसे जातक का शरीर स्थूल (मोटा) होता है। 2. यदि लग्नेश शुभ ग्रहों के साथ जलीय राशि में हो तथा शुभ ग्रहों... moreज्योतिषस्वास्थ्यउपायविविधभविष्यवाणी तकनीकमई 2017Views: 6442
नकसीर अविनाश सिंहजब नाक से खून बहने लगता है तो इसी अवस्था को नकसीर कहते हैं। नकसीर विशेष कर गर्मियों के मौसम में होती है। गर्मियों के दिनों में गर्मी के कारण धमनियों पर अधिक दबाव पड़ने से नाक से खून बहने लगता है। कई बार बहने वाले रक्त की मात्रा स... moreज्योतिषस्वास्थ्यचिकित्सा ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकमई 2016Views: 5316