आज के युग में हम हर काम व जानकारी तुरंत पाना चाहते हैं। आज टी. वी. मोबाइल व इंटरनेट का युग है। कोई भी खबर तुरंत टीवी पर देख सकते हैं, मोबाइल पर बात कर सकते हैं व कोई भी जानकारी इंटरनेट पर तुरंत पा सकते हैं। इसी प्रकार से ज्योतिष द्वारा भी हम तुरंत उत्तर चाहते हैं। कोई व्यक्ति कहीं से अपने ज्योतिषी को फोन करता है, अपना सवाल बताता है और उम्मीद करता है कि ब्रह्मा की तरह ज्योतिषी भी सटीक उत्तर तुंरत प्रदान करें। इसके लिए वह फीस भी क्रेडिट कार्ड के जरिए तुरंत देने के लिए तत्पर होता है। इंटरनेट पर भी चैटिंग के जरिए या ईमेल द्वारा तुंरत उत्तर की अपेक्षा करता है। आजकल टीवी पर भी कई इंटरेक्टिव प्रोग्राम आते हैं जिसमें स्टूडियों में बैठे ज्योतिषी से आप सवाल-जबाब कर सकते हैं और तुंरत उपाय सहित उत्तर पा सकते है
तुंरत फलादेश करने में टैरो कार्ड, रमल, क्रिस्टल बाॅल आदि काफी प्रचलित हैं क्योंकि इन पद्धतियों में गणना नहीं होती, केवल देखकर उत्तर दिया जाता है। ज्योतिष में गणना के साथ-साथ अनेक योग, दशा, गोचर आदि का प्रयोग होता है जिसके कारण दिमाग को भी कई गणनाएं करनी पड़ती हैं जो विलंब का कारण बनती हैं। इस प्रक्रिया को कैसे सूक्ष्म रूप में प्रयोग करें कि उत्तर भी सटीक रहें व जल्दी भी दे सकें।
कंप्यूटर के साथ-साथ ज्योतिष साॅफ्टवेयर में भी अनेक संशोधन, परिवर्तन एवं प्रगति हुई हैं। फ्यूचर पाॅइंट का लियो स्टार साॅफ्टवेयर तो तुरंत फलादेश करने के लिये ज्योतिषियों के लिए वरदान साबित हुआ है। जन्म विवरण डालते ही पूर्ण जन्मकुंडली, दशा, ग्रह स्पष्ट, उपाय व फलादेश तुरंत स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाता है, वह भी उसी प्रकार से जैसे हम चाहते हैं। सही गणना के साथ-साथ सटीक फलादेश तुरंत कैसे किया जाए, बताते हैं इस लेख में।
मूक प्रश्न कुंडली विचार
ज्योतिष में तुरंत उत्तर ही नहीं बल्कि जातक के मस्तिष्क में क्या सवाल है, वह भी जाना जा सकता है। सर्व प्रथम प्रश्न कुंडली उस समय व स्थान की बनाएं जहां से जातक प्रश्न कर रहा है। यह ज्ञात रहे कि ग्रह-गोचर जातक के दिमाग में प्रश्न पैदा कर रहे हैं और वे ही ग्रह उनके उत्तर का कारण होंगे, न कि ज्योतिर्विद कि वह कहां बैठे हैं। ज्योतिर्विद केवल उस प्रश्न की गणना कर उत्तर देने वाले कंप्यूटर की तरह से हैं। प्रश्न जातक के मस्तिष्क में उत्पन्न हुआ है और उसी ग्रह स्थिति में उत्तर समाहित है। यदि भारत से भारत में कोई फोन कर के पूछता है तो उसमें अधिक अंतर नहीं आता, खासतौर से यदि एक दूसरे के उत्तर-दक्षिण मे हो। यदि प्रश्नकर्ता दूसरे देश में बैठा है तो बहुत अंतर आ जाता है। यदि प्रश्नकर्ता अमरीका में बैठा हो और उत्तर, भारत से दे रहे हों तो प्रश्न लग्न में कई लग्नों का अंतर आ जाता है।
अच्छे अनुभवी ज्योतिषी को इस बात को अच्छी प्रकार से समझना चाहिए कि जातकों के लिये प्रश्नों का क्षेत्र सीमित ही होता है। अतः पूछा गया प्रश्न किस क्षेत्र से संबंधित होगा, वे निम्न हो सकते हैं-
स्वास्थ्य शिक्षा कार्य व्यवसाय/आर्थिक स्थिति पारिवारिक जीवन संतान कोर्ट कचहरी, मुकदमेबाजी
प्रश्न लग्न बनाकर लग्नेश की स्थिति देखें। वह जिस भाव मंे होगा उसी भाव से संबंधित प्रश्न जातक के मस्तिष्क में होगा।
प्रश्न का कारकेश जिस भाव में गया होगा, उसका वही फल होगा। यदि शुभ भाव में जाएगा तो फल अच्छा होगा। चंद्रमा प्रश्न फलीभूत होने का काल दर्शाता है। चंद्रमा जहां होता है उसे उस लग्न को पार करने में जितने दिन लगेंगे, उतने ही दिन प्रश्न फलीभूत होने में लगते हैं।
अतः यदि चंद्रमा लग्न में है तो कार्य तुंरत हो जाता है। यदि बारहवें भाव में हो तो 3-4 दिन लगते हैं। यदि दूसरे भाव में हो तो एक माह तक लगता है। यदि प्रश्नफल कई माह मंे होने वाला हो तो सूर्य की लग्न से दूरी, माह दर्शाती है। एक वर्ष से अधिक अवधि हो तो प्रश्न लग्न से उत्तर नहीं आता। उसे पुनः पूछना चाहिए या जन्मकुंडली से विवेचन करना चाहिए।
प्रथम |
स्वास्थ्य संबंधी |
द्वितीय |
आर्थिक स्थिति संबंधी |
तृतीय |
विवाद, साहस व पराक्रम संबंधी |
चतुर्थ |
पारिवारिक सुख शांति, शिक्षा संबंधी |
पंचम |
संतान, शिक्षा, जातक स्त्री है तो प्रेम संबंध संबंधी |
षष्ठम |
नौकरी या झगड़े संबंधी |
सप्तम |
विवाह या वैवाहिक जीवन संबंधी |
अष्टम |
कार्य बाधा, ट्रांसफर, कोर्ट केस संबंधी |
नवम |
कार्य सफलता/व्यवसाय संबंधी |
दशम |
नौकरी, व्यवसाय एवं कैरियर संबंधी |
एकादश |
आर्थिक स्थिति संबंधी प्रश्न |
द्वादश |
यात्रा, पूंजीनिवेश या खोयी वस्तु संबंधी प्रश्न। |
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चंद्रमा की निम्न भावों में स्थिति के आधार पर फल की अवधि इस प्रकार हो सकती है:
प्रथम भाव |
तुरंत फलीभूत होगा |
द्वितीय/तृतीय/चतुर्थ |
एक माह या अधिक समय लगेगा लेकिन काम अवश्य होगा। |
पंचम भाव |
सफलता अवश्य मिलेगी तथा उचित समय में ही मिलेगी। |
षष्ठम भाव |
शीघ्र ही सफलता मिलेगी और अवश्य सफलता मिलेगी। |
सप्तम भाव |
सफलता मिलेगी परंतु मन में बेचैनी व परेशानी बनी रहेगी। |
अष्टम भाव |
कार्य में असफलता या बहुत अधिक देरी की संभावना |
नवम/दशम भाव |
कुछ समय में सफलता मिलेगी। |
एकादश/द्वादश भाव |
एक सप्ताह के अंदर सफलता मिलेगी। |
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जन्मपत्री से फलादेश विधि
जन्मपत्री से फलादेश करने के लिये तीन मुख्य तथ्यों पर विचार करते हैं- योग, दशा, गोचर। आने वाले समय में क्या होगा, इसके लिए गोचर प्रमुख है। गोचर देखने के लिये शनि का गोचर सबसे पहले देखेंगे क्योंकि सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध व शुक्र तो शीघ्रगामी ग्रह हैं, राहु-केतु छाया ग्रह व गुरु शुभ ग्रह। जातक परेशान अक्सर शनि के कारण ही होता है। शनि गोचर को जानने के लिए तीन प्रकार से विचार करना चाहिए।
- शनि किस राशि से गोचर कर रहा है।
- शनि चंद्रमा से किस भाव में गोचर कर रहा है।
- शनि लग्न से किस भाव में गोचर कर रहा है।
विभिन्न राशियों में शनि का गोचर शुभाशुभ होता है
मेष |
अशुभ |
तुला |
शुभ |
वृष |
शुभ |
वृश्चिक |
अशुभ |
मिथुन |
शुभ |
धनु |
अशुभ |
कर्क |
अशुभ |
मकर |
शुभ |
सिंह |
अशुभ |
कुंभ |
शुभ |
कन्या |
शुभ |
मीन |
अशुभ |
चंद्र से गोचर के शनि की स्थिति फल की शुभाशुभता को बताती है जबकि लग्न से शनि की स्थिति, जीवन से संबंधित क्षेत्र जैसे स्वास्थ्य, विवाह, कैरियर, संतान आदि के बारे में बताती है। जन्मकालिक चंद्रमा और जन्म लग्न से शनि का गोचर 12, 1, 2, 4, 8 भावों में अशुभ माना जाता है तथा अन्य से सामान्य या शुभ माना जाता है।
सामान्यतः शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या समाप्त होने के पश्चात जातक को शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और जातक राहत की सांस महसूस करता है। इसके अतिरिक्त यदि अशुभ फलदायक दशा चल रही हो तो दशा की समाप्ति पर जातक राहत महसूस करता है। इस प्रकार केवल शनि ग्रह पर ध्यान केन्द्रित कर तुरंत फलादेश किया जा सकता है, जो कि 80% तक सटीक उतरता है। शनि के उपाय आदि करवाकर जातक को ग्रह जनित कष्टों से छुटकारा दिलाया जा सकता है।
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