पं. लेखराज शर्मा जी की विलक्षण प्रतिभा आभा बंसलजीवन में अनेक व्यक्तियों से मिलकर हम उनके चमत्कारी व्यक्तित्व से अत्यंत प्रभावित होते हैं। उनकी विशेषता गुण व् कार्य प्रणाली इस हद तक चमत्कारिक होती हैं। की उनके आगे नतमस्तक होने को मन चाहता हैं।... और पढ़ेंज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरजैमिनी ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकमार्च 2013व्यूस: 64064
कितने दिन में असर दिखाते हैं रत्न सचिन मल्होत्रारत्नों की कार्य पद्धति पर अनेक विचार प्रकट किए जाते हैं। हर रत्न का रंग एवं गुण दोनों एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न होते हंै। ये कार्य भी अलग-अलग करते हैं। कुछ रत्न जल्दी असर दिखाना शुरू कर देते हैं तो कुछ धीरे-धीरे।... और पढ़ेंज्योतिषउपायरत्नभविष्यवाणी तकनीकफ़रवरी 2006व्यूस: 98561
विभिन्न भावों में मंगल का फल अजय भाम्बीजन्मकुंडली के प्रथम भाव में मंगल जातक को साहसी, निर्भीक, क्रोधी, किसी हद तक क्रूर बनाता है, पित्त रोग का कारक होता है तथा चिड़चिड़ा स्वभाव वाला बनाता है। उसमें तत्काल निर्णय लेने की क्षमता होती है तथा वह लोगों को प्रभावित करने तथा अ... और पढ़ेंज्योतिषघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकजून 2013व्यूस: 39829
कुंडली के द्वादश भावों में बृहस्पति का फल प्रेम प्रताप विजसभी जानते हैं कि बृहस्पति ग्रह, समस्त ग्रह पिंडों में सबसे अधिक भारी और भीमकाय होने के कारण, गुरु अथवा बृहस्पति के नाम से जाना जाता है। यह पृथ्वी की कक्षा में मंगल के बाद स्थित है और, सूर्य को छोड़ कर, सभी अन्य ग्रहों से बड़ा है। इस... और पढ़ेंज्योतिषघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2004व्यूस: 41607
उच्च नीच के ग्रह क्यों और कैसे होते हैं? फ्यूचर पाॅइन्टज्योतिष में रुचि रखने वाले उच्च/ नीच के ग्रहों से रोजाना मुखातिब होते हैं और ग्रहों की इस स्थिति के आधार पर फलकथन भी करते हैं। शाब्दिक परिभाषा के आधार पर ‘उच्च’ का तात्पर्य सामान्य स्तर से ऊँचा और ‘नीच’ का तात्पर्य सामान्य ... और पढ़ेंज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2015व्यूस: 48607
क्या और कैसे होते हैं-उच्च, नीच, वक्री एवं अस्त ग्रह दयानंद शास्त्रीउच्च तथा नीच राशि के ग्रह भारतवर्ष में अधिकतर ज्योतिषियों तथा ज्योतिष में रूचि रखने वाले लोगों के मन में उच्च तथा नीच राशियों में स्थित ग्रहों को लेकर एक प्रबल धारणा बनी हुई है कि अपनी उच्च राशि में स्थित ग्रह सदा शुभ फल दे... और पढ़ेंज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2015व्यूस: 43913
व्यवसाय का निर्धारण तिलक राजहमारे जन्मांग चक्र में विभिन्न भावों को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष चार भागों में बांटा जाता है। 1, 5, 9 धर्म भाव, 2, 6, 10 अर्थ भाव, 3, 7, 11 काम भाव और 4, 8, 12 मोक्ष भाव है।... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगशिक्षाकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2009व्यूस: 58869
टाॅन्सिलाइटिस अविनाश सिंहटाॅन्सिलाइटिस एक बाल रोग है, जो बच्चों को बचपन में ही अपने शिकंजे में जकड़ लेता है। इसका मुख्य कारण गलत खान-पान होता है। अगर बड़े होने पर भी खान-पान गलत रहे, तो बड़े होकर भी यह रोग हो सकता है। जो बालक बचपन में अपने खान-पान का... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय विश्लेषणभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2017व्यूस: 3182
रत्नों द्वारा रोग मुक्ति एवं ग्रह शांति फ्यूचर पाॅइन्टयह सर्वविदित है कि रत्नों में दैवीय शक्ति का वास होता है। इन रत्नों का यदि उचित उपयोग किया जाए तो अनेक रोगों, कष्टों, बाधाओं आदि से रक्षा हो सकती है। यहां विभिन्न रत्नों और उनके प्रभावों का विश्लेषण प्रस्तुत है।... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यरत्नभविष्यवाणी तकनीकजून 2006व्यूस: 3991
नक्षत्र और रोग पारस राम वशिष्टज्योतिष शास्त्र में मृत्युदायी रोग का विचार दूसरे और सप्तम भाव से किया जाता है क्योंकि ये मारकेश भाव होते हैं। इन भावों के सहायक रोग देने वाले भाव तृतीय, षष्ठ, अष्टम एवं द्वादश होते हैं। जिस समय मारकेश की महादशा होती है,... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय विश्लेषणभविष्यवाणी तकनीकजून 2006व्यूस: 4794
आयुर्वेद, ज्योतिष और निरोगी काया सीताराम सिंहआयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ मानव शरीर में ‘वात’ (वायु), ‘पित्त’ (अग्नि) और ‘कफ’ (जल) तत्व समान अनुपात में विद्यमान रहते हैं। इनका संतुलन बिगड़ने से रोगों की उत्पत्ति होती है। सर्वप्रथम वायु तत्व का संतुलन बिगड़ता है और उसके बाद ... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यभविष्यवाणी तकनीकजून 2006व्यूस: 4489
पोलियो अविनाश सिंहबचपन में होने वाली बीमारियों में से ‘पोलियो’ एक है। आयुर्वेद में इसे शैशवीय पक्षवध या अधरंग- वात कहा गया है; अर्थात शरीर के ऊपरी या निचले भाग का निष्क्रिय या संवेदना शून्य हो जाना पक्षवध यानी इस भाग में कार्य नहीं हो सकत... और पढ़ेंस्वास्थ्यज्योतिषीय विश्लेषणभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2016व्यूस: 4667