भविष्यवाणी तकनीक


नेत्र रोग

नेत्र रोग

अविनाश सिंह

आँखें प्रकृति की वह अनमोल देन हैं जिसके माध्यम से हम प्राकृतिक सुंदरता एवं रंगीनियत को निहार सकते हैं। किसी ने सही कहा है कि ‘‘आंखे हैं तो जहान है’’ अन्यथा चारों ओर अंधकार है। इन आंखों को स्वस्थ और इनकी ज्योति को बनाए रखने के लि... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यभविष्यवाणी तकनीकराशि

आगस्त 2015

व्यूस: 7211

ज्योतिष एवं स्वास्थ्य

ज्योतिष एवं स्वास्थ्य

राजेंद्र कुमार मिश्र

स्वास्थ्य शब्द मूलतः सु $ अवस्था से व्युत्पत्तित है: अर्थात् शरीर के अंग-अवयवों की सु (सुंदर, या शुभ) अवस्था। ज्योतिष के व्याख्याता ऋषियों एवं आकाशीय पिंड वेत्ताओं ने एकमत से ”यत् ब्रह्मांडे तत् पिंडे“ की अवधारणा को प्रमाणित किया ... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2004

व्यूस: 7121

मधुमेह एवं रक्तचाप से छुटकारा - संतुलित आहार द्वारा

एम. बी. बी. एस., एम. डी. डाॅ. वेद प्रकाश गर्ग वल्र्ड यूनिवर्सिटी सर्विस हेल्थ सेंटर, दिल्ली में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने संतुलित आहार द्वारा अनेक बेकाबू रोग जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं हृदय रोग पर... और पढ़ें

स्वास्थ्यविविधभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2006

व्यूस: 7890

परीक्षा की तैयारी कैसे करें ?

ज्योतिषानुसार शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या पढ़ाई के क्षेत्र में अरुचि पैदा कर देती है। अत: किसी ज्ञानी पंडित द्वारा विद्यार्थी की पत्री को पढवा कर उसके उपाय करना उचित रहता है। इसके लिए सरसों के तेल का छाया दान।... और पढ़ें

ज्योतिषउपायशिक्षाभविष्यवाणी तकनीक

फ़रवरी 2008

व्यूस: 29981

ज्योतिष द्वारा संतान योग कैसे जानें

आजकल हर मनुष्य चाहता है हमारे पास सभ्य संतान हों जो माता पिता की सेवा करें एवं कुल का नाम रोशन करें, हर मानव का सपना होता है कि उसकी संतान तेजस्वी एवं गुणों से संपन्न होगी। इसके लिए वह हर संभव प्रयास करता है, पढ़ाता है अच्छी उच्च श... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगबाल-बच्चेकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2012

व्यूस: 33251

चंद्र-शनि युति अर्थात् विषयोग

इस धरती पर जन्म लेने वाले हर प्राणी के लिए उसका जन्म-क्षण बहुत महत्वपूर्ण होता है, ऐसी ज्योतिष ज्ञान की मान्यता है। इस क्षण को आधार मानकर ज्योतिष गणना द्वारा उसके सम्पूर्ण जीवन का लेखा-जोखा जन्मकुंडली से तैयार किया जा सकता है। इस ... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2008

व्यूस: 38870

लाल किताब के अनुसार राहु-केतु का विष्लेषण

राहु-केतु को सामान्य रूप से छाया ग्रह माना जाता है किंतु लाल किताब के अनुसार ये छाया ग्रह भी अपना शुभ-अषुभ प्रभाव देने में किसी प्रकार पीछे नहीं रहते और उनकी अषुभता का प्रभाव कब पड़ता है और कब नहीं और उन्हें षुभ बनाने के लिए किन वस... और पढ़ें

ज्योतिषउपायलाल किताबभविष्यवाणी तकनीक

मार्च 2011

व्यूस: 36281

2016 में मौसम का हाल

2016 में मौसम का हाल

जय इंदर मलिक

01-01-2016 को 00-01-00 समय के अनुसार कन्या लग्न सिंह राशि 10 अंश 11 कला 4 विकला में उदय हुआ। लग्न में राहु, द्वितीय में मंगल, तृतीय में शुक्र, शनि की युति, चतुर्थ में सूर्य, पंचम में बुध, सप्तम में केतु, द्वादश में गुरु-चंद्रमा... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणमेदनीय ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2016

व्यूस: 31448

भयभीत न हों अष्टम चंद्र से

अष्टम चंद्र यानि जन्म कुंडली में आठवें भाव में स्थित चंद्र। आठवां भाव यानि छिद्र भाव, मृत्यु स्थान, क्लेश'विघ्नादि का भाव। अतः आठवें भाव में स्थित चंद्र को लगभग सभी ज्योतिष ग्रंथों में अशुभ माना गया है और वह भी जीवन के लिए अशुभ। ज... और पढ़ें

ज्योतिषकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2009

व्यूस: 52506

शनि मंगल युति

शनि मंगल युति

किशोर घिल्डियाल

कालपुरुष की पत्रिका में शनि दशम व एकादश भाव तथा मंगल प्रथम व अष्टम भाव का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी की भी पत्रिका में इन दोनों ग्रहों का युति अथवा दृष्टि संबंध जातक विशेष को गुप्त रूप से कर्म कर लाभ प्राप्त करने जैसे फलांे की ... और पढ़ें

ज्योतिषकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2014

व्यूस: 53279

महिलाएं और उनको प्रभावित करने वाले नौ ग्रह

वैसे तो सौरमंडल के सभी ग्रह धरती पर सभी प्राणियों पर एक जैसा ही प्रभाव डालते हैं। लेकिन सभी प्राणियों का रहन सहन और प्रवृत्ति या प्रकृति एक दूसरे से भिन्न होती है इसलिए ग्रहों का प्रभाव कुछ कम -ज्यादा तो होता ही है। यहा... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2014

व्यूस: 34160

भविष्य जानने की प्राचीन विद्या रमल

रमल भूत, भविष्य, वर्त्तमान, रूप, आयु तथा मृत्यु हर प्रकार के शुभाशुभ फल ज्ञात करने की प्राचीन विद्या है. भारतीय विद्वानों के मतानुसार ज्योतिष के अन्य अंगों की भाँती 'रमल' विद्या भी मूलत" भारत की ही दें है.... और पढ़ें

ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकरमल शास्त्र

अकतूबर 2011

व्यूस: 42025

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