ज्योतिष में राहु-केतु को छाया ग्रह कहा गया है, किंतु लाल-किताब के अनुसार ये छाया ग्रह भी अपना शुभ-अशुभ प्रभाव देने में पीछे नहीं रहते हैं। प्रस्तुत लेख में लाल किताब के आधार पर राहु केतु से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों की विवेचना की जा रही है।
लाल किताब' में राहु को 'सरस्वती' कहा गया है क्योंकि ये अच्छे-बुरे दोनों प्रकार के विचारों का कारक ग्रह है। इसका रंग नीला है। बुध, शनि, केतु इसके मित्र तथा सूर्य, मंगल, शुक्र शत्रु हैं। गुरु, चंद्र राहु के लिए सम-ग्रह हैं। 'लाल किताब' में इसे 'कड़कती हुई बिजली' कहा गया है जिसमें पल भर में सब कुछ जलाकर खाक कर देने की ताकत है। इसके लिए 3, 4, 5, 6, 10 भाव शुभ तथा 1, 2, 7, 8, 9, 11, 12 भाव अशुभ माने गये हैं।
सूर्य के साथ या सूर्य से दृष्ट राहु-सूर्य को ग्रहण लगा देता है। चंद्र के साथ होने पर चंद्र के फल को मंदा कर देता है किंतु अपने मंदे प्रभाव को कम कर लेता है। मंगल के साथ राहु कठोर दिल वाला इंसान बनाते हैं। बुध व राहु अच्छा फल देते हैं। गुरु के साथ या दृष्टि संबंध होने से राहु गुरु के फल को बहुत अशुभ कर देता है। शुक्र के साथ राहु शादी में देरी करवाता है एवं चारित्रिक दोष भी देता है। शनि व राहु इकट्ठे शनि का 'गुलाम' है।
यदि कुंडली में राहु अशुभ होकर मंदी असर कर रहा हो तो गुरुवार को मूली दान करें या शनिवार को कच्चे कोयले चलते पानी में बहाएं। राहु के मंदी के असर को कम करने के लिए चांदी का चौकोर टुकड़ा हमेशा अपने पास रखें। राहु के अशुभ असर को कम करने के लिए सुर्ख रंग वाली मसूर की दाल प्रातःकाल सफाईकर्मी को देनी चाहिए या कभी-कभी कुछ पैसे देने चाहिए।
यदि राहु अचानक बीमारी पैदा करे, तो मरीज के वजन के बराबर जौं बहते पानी में बहाएं या किसी गरीब को जौं दान करें। तंबाकू का सेवन न करें एवं जब तक हो सके, संयुक्त परिवार में ही रहें। देखने में आया है कि सूर्य के साथ स्थित राहु, व्यक्ति की आर्थिक स्थिति एवं नौकरी-व्यवसाय को हानि पहुंचाता है। इसका असर न केवल उस भाव पर पड़ता है जिसमें राहु बैठा है बल्कि उसके साथ वाला घर भी जल जाता है।
राहु : उड़द, गर्म कपड़े, सरसों, काला फूल, राई, तेल, कुल्फी आदि में जो भी उपलब्ध हो उसका यथाशक्ति दान करने से राहु से संबंधित कष्टों से छुटकारा मिलता है। राहु का दिन शनिवार है अतः इसका दान भी शनिवार को ही करना चाहिए।
केतु : केतु का रंग चितकबरा तथा दिन रविवार है। शुक्र, राहु इसके मित्र तथा चंद्र, मंगल शत्रु ग्रह है। सूर्य, बुध, गुरु, शनि सम ग्रह हैं। कुंडली में छठा भाव केतु का अपना घर होता है। लड़का, भांजा, केला, चारपाई, टांगे, छिपकली, चूहा, नर गौरेय्या, गुप्तांग, तिल, असंगध, रीढ़ की हड्डी, जोड़, प्याज, लहसुन आदि सब चीजें केतु से संबंधित हैं।
लाल किताब के अनुसार चंद्र को दूध एवं केतु को नींबू कहा गया है अर्थात् दोनों एक दूसरे के पक्के शत्रु हैं। केतु यदि चं्रदमा के साथ है तो यह 'ग्रहण योग' बना देता है। चंद्रमा 'मन' का कारक ग्रह है। चंद्र-केतु का मिलन मन की शांति भंग करने वाला होता है। मंगल-केतु का एक भाव में होना दोनों का फल अशुभ करता है। यदि बुध-केतु साथ हों तब भी केतु का फल शुभ नहीं रहता। गुरु के साथ केतु प्रायः बुरा फल नहीं देता।
लाल किताब के अनुसार केतु के लिए 1, 2, 5, 7, 10, 12 शुभ एवं 3, 3, 4, 6, 8, 9, 11 अशुभ माने गये हैं।
- यदि केतु लग्न में बुध के साथ हो तो लोहे की गोली पर लाल रंग करके अपने पास रखें।
- केतु तीसरे भाव में हो तो चने की दाल बहते पानी में बहाएं।
- केतु भाव 4 में हो तो पुराहित को पीले रंग की वस्तुएं दान करें।
- यदि केतु 5वें घर में हो तो गाजर या मूली को रात में सिरहाने रखकर प्रातः धर्मस्थल में दान करें।
- केतु छठे भाव हो तो छः प्याज जमीन में घर के बाहर दबा दें।
- सातवां घर शुक्र का 'पक्का घर' है और केतु का मित्र शुक्र है अतः भाव 7वें में केतु प्रायः ठीक-ठाक फल देता है।
- आठवां मंगल का घर है और मंगल केतु का शत्रु है अतः 'दुश्मन' के घर में केतु अशुभ ही रहता है। यदि केतु आठवें भाव में हो तो गणेश जी की पूजा करें या चितकबरा कंबल मंदिर में दान करें।
- यदि केतु बारहवें घर में हो और व्यक्ति कुत्तों को परेशान करे तो संतान पर बहुत गंदा असर होगा। इस स्थिति में दूध में अंगूठा डालकर चूसना शुभदायक होता है।
दान योग्य वस्तुएं : तिल, बकरा, झण्डी, काजल, ऊनी कंबल, सतनजा, मूली आदि में जो भी उपलब्ध हो उनका यथाशक्ति रविवार को दान करने से लाभ होता है।