ज्योतिषीय योग


थैलेसीमिया: एक रक्ताल्पता रोग

थैलेसीमिया एक ऐसा रोग है जो विरासत में बच्चे को माता-पिता से मिलता है। इसे समझने और इसके कारणों का ज्योतिषीय आधार जानने के लिए बुनियादी विषय में बुनियादी ज्ञान का होना आवश्यक है। भिन्न-भिन्न समूहों की वंशानुगत अव्यवस्थाओं के कारण... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिष

अप्रैल 2005

व्यूस: 8330

ज्योतिष के आईने में द्विविवाह एवं बहुसंबंध

आज विश्व की काफी बड़ी जनसंख्या विवाहेतर संबंधों के कारण एड्स जैसी भयंकर बीमारी से प्रभावित हो चुकी है। ऐसे में इस ज्वलंत विषय पर ज्योतिष के आईने में बहु संबंध और द्विविवाह पर परिचर्चा तथा एक सही मार्गदर्शन एवं सराहनीय कार्य है। भार... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगविवाहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2007

व्यूस: 7939

जन्म दशा से जुड़ा पंचम, नवम व द्वादश भावों का संबंध

हिंदू ज्योतिष कर्म तथा पुनर्जन्म के सिद्धांत पर आधारित है। यह तथ्य प्रायः सभी ज्योतिषी तथा ज्ञानीजन अच्छी तरह से जानते हैं। मनुष्य जन्म लेते ही पूर्व जन्म के परिणामों को भोगने लगता है। जैसे फल फूल बिना किसी प्रेरणा के अपने आप बढ़ते... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगदशाघरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्या

अकतूबर 2007

व्यूस: 7913

एक कर्मयोगी का मिशन

आदरणीय श्री एन. पी. थरेजा जी के जीवन का मिशन उर्दू भाषा में लिखी गई निम्न नज़म में स्पष्ट हो जाता है जो इस प्रकार है: लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी। ज़िन्दगी शमा की सूरत हो खुदाया मेरी। दूर दुनिया का मेरे दम से अंधेरा हो जा... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगगोचरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याज्योतिषीय विश्लेषण

सितम्बर 2014

व्यूस: 10269

पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों में किसका खुलेगा भाग्य, किसका जाएगा ताज, किसको आएगी लाज

निर्वाचन आयोग पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित कर चुका है। प्रत्येक राज्य में विभिन्न चरणों में मतदान होंगे। इन पांच राज्यों में से उŸार प्रदेश और उŸाराखंड का चुनावी परिदृश्य क्या होगा?... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीकज्योतिषीय विश्लेषण

फ़रवरी 2012

व्यूस: 8821

तृतीय प्रकृति एवं ज्योतिष ग्रह योग

न केवल भारतीय सनातन परम्परा में बल्कि शिव की अन्य संस्कृतियों में भी ‘आदि-मिथुन’ की कल्पना की गई है। चाहे वह पाश्चात्य संस्कृति में उपलब्ध एडम और ईव हों अथवा स्वयम्भुवन् मनु और सद्रूपा। मानव जाति को स्त्री-पुरुष द्वन्द्वात्मक स्... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीकज्योतिषीय विश्लेषण

अकतूबर 2014

व्यूस: 8730

दर्द का रिश्ता

संसार में जब बच्चा जन्म लेता है तो अपने माता-पिता से खून का शाश्वत रिश्ता लेकर आता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है नये रिश्ते जुड़ते जाते हैं कभी दोस्ती का रिश्ता तो कभी प्यार का ।... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगदशागोचरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याज्योतिषीय विश्लेषण

दिसम्बर 2010

व्यूस: 7306

मन के रिश्ते

मन के रिश्ते

आभा बंसल

अक्सर देखने में आता है कि माता-पिता अपने बच्चों के विवाह के समय अपनी जात-पांत, अपने खानदान, रहन-सहन के स्तर आदि पर बहुत जोर देते हैं और उनकी कोशिश यही होती है कि उनका दामाद या उनकी बहू अपनी ही जाति से हो ताकि उनके रीति रिवाज, खान... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगदशागोचरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याज्योतिषीय विश्लेषण

मार्च 2010

व्यूस: 9580

कुछ सटीक ज्योतिषीय नियम

कुछ सटीक ज्योतिषीय नियम

बाल कृष्ण गुप्ता

नियम-1 ः मंगल यदि दूसरे घर में बैठा हो या दूसरे घर को देख रहा हो और शनि मेष राशि में बैठा हो या मेष राशि को देख रहा हो तो जीवन साथी की अकाल मृत्यु होती है। नियम -2 ः यदि सातवें या आठवें घर में कोई पापी ग्रह बैठा हो और कोई अन्य पा... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगविवाहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2007

व्यूस: 6787

चिक्कारंगप्पा

बाॅलीवुड की पटकथा की तरह लगने वाली यह स्टोरी चिक्का के जीवन की सच्ची कहानी है। गुदड़ी के लाल कहावत को असल मायने में चरितार्थ करते हुए चिक्कारंगप्पा देश के सबसे प्रतिभावान उभरते गोल्फर हैं। प्राइमरी तक पढ़े चिक्का अब फर्राटेदा... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगदशागोचरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याज्योतिषीय विश्लेषण

मार्च 2015

व्यूस: 9017

संतान का दुख

संतान का दुख

आभा बंसल

बच्चे सुखी गृहस्थ जीवन की मजबूत नींव की तरह होते हैं। विवाह के पश्चात् पति-पत्नी का रिश्ता बच्चे के जन्म के बाद और घनिष्ठ हो जाता है। अपनी संतान की चाह सभी को होती है।... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगदशाभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याज्योतिषीय विश्लेषण

अकतूबर 2010

व्यूस: 8737

भाग्य का सिकंदर

हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि जैसा हम बोयेंगे वैसा ही काटेंगे अर्थात जैसे हमारे कर्म होंगे वैसा ही परिणाम हमें भुगतना होगा। यह जरूरी नहीं कि इस जन्म में किये कर्मों का फल अभी भुगतना पड़े, यह तो अगले जन्मों में भी चुकाना पड़ सकता... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगदशागोचरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याज्योतिषीय विश्लेषण

फ़रवरी 2011

व्यूस: 7368

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