भंग हो केमद्रुम योग, तो बने राजयोग जय निरंजनकेमद्रुम योग के बारे में अधिकांशतः इसके नकारात्मक पक्ष पर अधिक बल है यदि हम इसके सकारात्मक पक्ष का गंभीर पूर्वक विवेचन करें तो कुछ विशेष योगों की उपस्थिति में केमद्रुम योग भंग होकर राजयोग में परिवर्तित हो जाता है।... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकजून 2011व्यूस: 44412
कैंसर ज्योतिष के आईने से एम. के रस्तोगीहमारे शरीर में कई अंग हैं जो अवयवों व नाड़ी जाल से मिलकर बने हैं। इन सबके समुचित ढंग से कार्य करते रहने से यह शरीर सुचारु रूप से कार्य करता रहता है। हमारे शरीर में असंख्य सूक्ष्म कोशिकाएं हैं जिनसे अंग-प्रत्यंग बने हैं। ये कोशिकाएं... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2008व्यूस: 6510
हृदय रोग के ज्योतिषीय कारण अविनाश सिंहज्योतिष में काल पुरुष के अंगों में चार अंक की राशि कर्क को हृदय का स्थान माना जाता है एवं वहीं पांच अंक की राशि सिंह हृदय का सूचक मानी जाती है। अतः जहां भी हृदय की बात उठेगी, वहां कर्क एवं सिंह राशि, चंद्र एवं सूर्य ग्रह की बात अव... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकजुलाई 2013व्यूस: 7997
ज्योतिष: ग्रह, राशि एवं रोग शील चंद्र गुरुज्योतिष शास्त्र के अध्ययन से रोग की प्रकृति, उसके प्रभाव क्षेत्र, उसके निदान, उसके प्रकट होने की अवधि तथा कारणों का विश्लेषण भली भांति किया जा सकता है। यद्यपि आजकल चिकित्सा विज्ञान ने पर्याप्त उन्नति कर ली है तथा कई आधुनिक और उन्न... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2007व्यूस: 8002
नीचस्थ लग्नेश और रोग रघुनंदन प्रसाद गौड़मानव जीवन और रोग का अटूट संबंध है। विश्व में ऐसा कोई जातक नहीं है, जिसे कभी कोई रोग न हुआ हो, चाहे वह छोटा रोग हो, चाहे बड़ा। पूर्व जन्म के अशुभ कर्मों के कारण जातक को रोग होते हैं। ज्योतिष के आधार पर रोग, उसकी तीव्रता तथा उसके सम... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषग्रहजुलाई 2007व्यूस: 12066
पं. लेखराज शर्मा जी की विलक्षण प्रतिभा आभा बंसलजीवन में अनेक व्यक्तियों से मिलकर हम उनके चमत्कारी व्यक्तित्व से अत्यंत प्रभावित होते हैं। उनकी विशेषता गुण व् कार्य प्रणाली इस हद तक चमत्कारिक होती हैं। की उनके आगे नतमस्तक होने को मन चाहता हैं।... और पढ़ेंज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरजैमिनी ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकमार्च 2013व्यूस: 63978
व्यवसाय का निर्धारण तिलक राजहमारे जन्मांग चक्र में विभिन्न भावों को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष चार भागों में बांटा जाता है। 1, 5, 9 धर्म भाव, 2, 6, 10 अर्थ भाव, 3, 7, 11 काम भाव और 4, 8, 12 मोक्ष भाव है।... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगशिक्षाकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2009व्यूस: 58812
अध्यात्म का रंग आभा बंसलजन्म जन्मांतरों के कर्मफल स्वरूप मनुष्य को भक्ति व ज्ञान आदि शुभ फल प्राप्त होते हैं और वह ईश्वराभिमुख हो जाता है लेकिन कहते हैं कि ऐसी बुद्धि अधिक समय तक कायम नहीं रहती परंतु यदि कायम रहे तो अध्यात्म का ऐसा रंग चढ़ जाता है कि मनुष... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकसितम्बर 2010व्यूस: 5052
भावनाओं की आहुति आभा बंसलमाता-पिता को चाहिए कि वह अपनी संतान की भावनाओं को समझें और स्वयं के निर्णय उन पर न थोपें और न ही उन्हें इतना प्रताड़ित करें कि उनके बच्चे विचलित होकर आवेश में दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाए।... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगदशाकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकगोचरजून 2010व्यूस: 4655
काल सर्प योग - कारण / निवारण रवि शंकर जीकाल सर्प योग रहस्य : जैसे-जैसे हम अपनी वैदिक परंपरा से दूर जा रहे हैं वैसे वैसे काल सर्प योग का प्रभाव हमारे समाज पर बढ़ता जा रहा है। पुरूषार्थ चतुष्टय (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) की पूर्ति हेतु नीर छीर के विवेक से निर्णय की आवश्यकत... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2010व्यूस: 4721
दूसरी मंजिल आभा बंसलहर व्यक्ति के जीवन में कुछ सपने होते हैं और उन सपनों को पूरा करने की चाह में वह दिन रात एक कर देता है क्योंकि ये सपने, ये आकांक्षाएं ही हमें कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देते हैं और जब हम अपनी मंजिल पा लेते हैं तो लगता है क... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगदशाकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकगोचरनवेम्बर 2014व्यूस: 4502
अकेले ग्रह का शुभ व अशुभ प्रभाव उमेश शर्मालाल-किताब पद्धति के अनुसार जब ग्रह किसी खाना में अकेला बैठा हो व किसी और ग्रह से दृष्ट भी न हो तो वह शुभ प्रभाव वाला होगा।... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2011व्यूस: 3816