कालसर्प जैसे अन्य योग
कालसर्प जैसे अन्य योग

कालसर्प जैसे अन्य योग  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 5578 | जून 2007

चीन ज्योतिष ग्रंथों में काल सर्प योग के नाम से किसी योग का तो उल्लेख नहीं मिलता है लेकिन कुछ ऐसे योगों का उल्लेख अवश्य है जो इस योग के समान ही परिणाम देने वाले हैं जैसे कालयोग, महाकालयोग, विषयोग एवं वैदूषण योग।

मानसागरी ग्रंथ में उल्लेख मिलता है कि लग्नाच्च सप्तम स्थाने शनि राहु संयुक्तौ सर्पेण बाधा तस्योक्ता शय्यां स्वपतोपि च। प्राअर्थात लग्न से 7वें भाव में सूर्य, शनि व राहु की युति होने पर जातक को शय्या पर सोते समय सर्प डंसता है। महर्षि पराशर ने जो सर्प योग बताया है वह भी इस प्रकार है कि यदि पापी ग्रह सूर्य, शनि व मंगल कुंडली में केंद्रस्थ हों और कोई भी ग्रह केंद्र में न हो तो यह योग बनता है।

यह योग भी राहु काल सर्प योग के समान परिणाम देने वाला होता है। कुछ अन्य योग भी हैं जो इसी योग के समान परिणाम देते हैं। कुंडली में भले ही पूर्ण राहु-केतु काल सर्प योग न हो लेकिन यदि राहु की युति बुध, गुरु, शुक्र, शनि या मंगल से हो, तो जातक का जीवन राहु केतु काल सर्प योग की तरह पीड़ादायी हो जाता है।

इसी प्रकार चंद्र की राहु या केतु अथवा सूर्य के साथ युति कष्टदायक परिणाम देती है। राहु से अष्टम भाव में स्थित सूर्य भी काल सर्प योग जैसा परिणाम देता है। साथ ही लग्नेश की युति राहु से और मंगल की युति पंचमेश से हो और गुरु राहु की पूर्ण दृष्टि में हो, तो यह योग भी काल सर्प योग जैसा परिणाम देता है।

यदि राहु केतु काल सर्प योग के साथ केमद्रुम योग, शकट योग, बंधन योग, वंश विध्वंसी योग, दुर्मरण योग, दुष्कृति योग, निर्भाग्य योग, दरिद्र योग, कुहू योग, मृति योग आदि में से सर्वाधिक योग बनते हों तो व्यक्ति का जीवन मुसीबतों एवं कठिनाइयों से भरा होता है। लेकिन यदि कुंडली में चंद्र से केंद्र में गुरु हो अथवा बुध से केंद्र में शनि हो अथवा हंस, मालव्य, शश, रुचक और भद्र नामक पंचमहापुरुष योगों में से कोई भी योग हो, तो राहु केतु काल सर्प योग से मिलने वाला दुष्परिणाम काफी हद तक कम हो जाता है।

काल सर्प योग के लक्षण नौकरी एवं व्यवसाय में बार-बार असफलता हाथ लगना।

मन का अशांत रहना एवं अज्ञात भय बने रहना।

लोगों से अनावश्यक दुश्मनी होना।

आजीविका एवं परिवार के लिए हमेशा चिंतित रहना तथा बेटे-बेटियों का अविवाहित रह जाना या उनका वैवाहिक जीवन कष्टमय होना।

मन एवं शरीर से अस्वस्थ रहना।

नशे का का आदी हो जाना।

दाम्पत्य जीवन एवं संतान पक्ष में किसी एक पक्ष का सुखकारी न होना।

संचित धन संपदा का अचानक समाप्त हो जाना।

अनचाहे मुकदमों में फंसना तथा दंड पाना।

संतान सुख से असंतुष्टि मिलना तथा उनकी शिक्षा बाधित होना।

पैतृक संपत्ति का न मिलना अथवा हाथ से निकल जाना।

शरीर का किसी असाध्य रोग से ग्रस्त होना।

रात्रि में सोते समय डरना, नींद में चैंकना या बड़बड़ाना।

नदी, तालाब, बांध आदि को देखकर भय लगना।

ऊंचाई पर चढ़कर नीचे की ओर देखने पर भय लगना तथा शरीर का कांप जाना।

विषैले जीव-जंतुओं से कष्ट पाना।

परिवार के सदस्यों के साथ आकस्मिक घटनाओं का घटना तथा वायवीय शक्तियों भूत-प्रेत आदि से पीड़ित होना।

हमेशा उदासी छाई रहना।

If you are facing any type of problems in your life you can Consult with Astrologer In Delhi



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.