व्यवसाय में असफलता क्यों? भारती आनंद छ लोग बहुत कम पूंजी से व्यवसाय शुरू करके कुछ ही समय में अरबपति- खरबपति बन जाते हैं और उनकी शोहरत भी आसमान छूने लगती है, जबकि वही व्यवसाय उसी समय और भी कई लोग प्रारंभ करते हैं लेकिन सफल नहीं हो पाते। इसके कई कारण हैं। भाग्य रेखा मणिबंध से निकलकर शनि ग्रह तक जाती हो और हाथ में मंगल, राहु व बुध ग्रह खराब हों, तो व्यवसाय में प्रायः बरकत नहीं होती अथवा कई प्रकार की व्यावसायिक जटिलताएं आती हैं। चित्र-1। सीधी जीवन रेखा हो, भाग्य रेखा को मंगल से निकलने वाली आड़ी-तिरछी रेखाएं काट रही हों, तो व्यापार में उधार का योग बनता है। प्रायः उधार में दिया हुआ पैसा वापस नहीं आ पाता। हाथों में बहुत कम रेखाएं हों, चारों ग्रह खराब हों, लक्ष्मी रेखा टूटी हुई या काले धब्बे से युक्त हो, तो भी व्यापार में घाटे का और बरकत न होने का योग बनता है। जीवन रेखा में त्रिकोण बने हुए हों, मस्तिष्क व जीवन रेखाओं का जोड़ लंबा हो, भाग्य रेखा हृदय रेखा पर जाकर रुक जाए तो धन की हानि होती है। व्यवसाय में सफलता-असफलता के लक्षण हाथों में इस प्रकार भी होते हैं। यदि हृदय रेखा से कई मोटी रेखाएं मस्तिष्क रेखा पर आ रही हों, मस्तिष्क रेखा कई द्वीपों से बनी हो, हृदय रेखा में भी द्व ीप हों और जीवन रेखा सीधी हो, तो व्यवसाय में बहुत ज्यादा परेशानियां आती हैं। चित्र सं. 2। यदि हाथ सख्त हो, उंगलियां आगे की ओर झुकी हों, रेखाएं कम व मोटी हों, तो भी व्यवसाय सुचारु ढंग से नहीं चल पाता है। यदि भाग्य रेखा जीवन रेखा के पास हो, हाथ सख्त हो, भाग्य रेखा को मोटी-मोटी राहु रेखाएं काट रही हों, उंगलियां भी मोटी हों तो भी व्यवसाय गति नहीं पकड़ पाता। चित्र सं. 3। यदि हाथ में शनि, गुरु, बुध, चंद्र और मंगल क्षेत्र कटे हों और हाथ सख्त हो तो भी व्यवसाय ठीक से नहीं चल पाता। इस दोष को ग्रहों की शांति कर ठीक किया जा सकता है।