गोमेद को हम अंग्रेजी या वैज्ञानिक भाषा में Hessonite Grossular Garnet के नाम से जानते हैं। Hessonite का नाम यूनानी शब्द Essonite पर पड़ा है। गोमेद भूरे या हल्के पीले भूरे या केसरी भूरे रंग का हो सकता है। केसरी भूरे रंग या शहद के रंग की तरह दिखने वाला गोमेद अनमोल समझा जाता है। दिखने में गोमेद चमकीला एवं अधिकतर पारदर्शी होता है। बेहतरीन किस्म के गोमेद मुख्यतः श्रीलंका में पाए जाते हैं।
भारत में गया का गोमेद कुछ कालापन लिए रहता है। ब्राजील, कनाडा एवं अमेरिका में भी गोमेद पाए जाते हैं। असली और नकली गोमेद: गोमेद की तरह दिखने वाले कई प्राकृतिक रत्न उपलब्ध हैं जैसे ैSpessartine Garnet, Yellow Beryl, Natural Zircon, Crysoberyl, Sapphire, Topaz, Citrene Quartz (सुनैला)ए ल्मससवू ळसंेे तथा कम्पोजिट या चिपके हुए रत्न। क्योंकि उपर्युक्त लगभग सभी रत्न प्राकृतिक हंै इसलिए एक साधारण व्यक्ति को ये असली प्रतीत होते हैं। आइए जानते हैं कि इनमें अंतर कैसे किया जाए। 1 Microscope : Microscope (सूक्ष्मदर्शी) में कुछ खास चीजें देखकर हम गोमेद को पहचान सकते हैं।
बीच और कम्पोजिट रत्नों को एक रत्न विशेषज्ञ आसानी से पहचान सकता है। Heat wave effect, जो गोमेद में स्वाभाविक तौर पर देखा जा सकता है, भी गोमेद की एक पहचान है। एक सूक्ष्मदर्शी या 10X लैंस से गोमेद को अगर हम देखें तो हमें आमतौर पर पारदर्शी दिखने वाले इस रत्न में भी कुछ खास चीजें दिखाई दे सकती हैं। गोमेद में अधिकतर गोलाकार ठोस चीजें दिखाई देती हैं। गोमेद में हमें अंदरूनी तौर पर कुछ-कुछ पिघले हुए तरल पदार्थ की तरह चीजें दिखाई देती हैं जिन्हें हम अंग्रेजी में Heat wave effect के नाम से जानते हैं। यह जरूरी नहीं है
कि हर गोमेद में हमें ऐसी आंतरिक चीजें दिखाई दें। अच्छी किस्म के गोमेद एवं अपारदर्शी गोमेद में हम ये चीजें नहीं देख सकते। एक और खास बात जो हमें नहीं भूलनी चाहिए, यह है कि कांच और कम्पोजिट (चिपके हुए) रत्नों में भी हमें ऐसी गोलाकार समांतर चीजें दिखाई दे सकती है ं। ये गोलाकार चीजें हवा के बुलबुले होते हैं जो कि इन्हें बनाते समय इनके अंदर कैद हो जाते हैं। एक साधारण व्यक्ति के लिए हवा के असली तथा नकली गोलाकार बुलबुलों की पहचान करना अत्यंत जटिल कार्य है। इन्हें कुछ खास यंत्रों के द्वारा पहचाना जा सकता है।
यही नहीं, गोमेद एवं दूसरे प्राकृतिक रत्नों में अंतर भी यंत्रों/माध्यमों के द्वारा बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है। क्योंकि यंत्र हर आम इंसान नहीं खरीद सकता तथा पर्याप्त ज्ञान न होने के कारण इनसे कोई निष्कर्ष नहीं निकाल सकता इसलिए इनका रत्न प्रयोगशाला में परीक्षण करवाना ठीक रहता है जहां रत्न विशेषज्ञ अपने ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर असली और नकली रत्नों की पहचान आसानी से कर सकता है।
आइए जानते हैं कैसे। रत्न प्रयोगशाला में इस्तेमाल होने वाले कुछ खास यंत्र या माध्यम निम्नलिखित है ं। 2 Refractometer : Refractometer से हम किसी रत्न की प्रकाश को मोड़ने की क्षमता को एक मापक पर मापते, आंकते हैं। हर रत्न की अपनी एक निर्धारित शक्ति होती है जो अंकों में बताई जा सकती है जैसे कि गोमेद की त्मतिंबजपअम प्दकमग ;त्प्द्ध 1.73-1.76 तक होती है। जो भी त्प् हमें मापक पर दिखती है उससे हम यह देखते हैं कि यह त्प् किस रत्न की हो सकती है।
परंतु कांच और कम्पोजिट रत्न भी यही त्प् दिखा सकते हैं इसलिए रत्न विशेषज्ञ कई परीक्षणों के बाद ही किसी निष्कर्ष पर आते हैं। 3ण् ैचमबपपिब ळतंअपजल ;ैळद्ध इस प्रक्रिया में हम किसी रत्न की ैळ को एक खास तरल पदार्थ (जिसकी ैळ हमें पहले से ज्ञात होती है) में डालकर आंकते हैं। इस तरह हम यह निश्चित कर सकते हैं कि यह रत्न कौन सा है।
हवा एवं पानी में वजन करके भी हम किसी रत्न की सही ैळ माप सकते हैं तथा यह ज्ञात कर सकते हैं कि अमुक रत्न कौन सा है। गोमेद की ैळ 3ण्4 ळतंउध्ब्नइपब ब्उ से 3ण्78 ळतंउध्ब्नइपब ब्उ तक होती है। कुछ रत्न ैपदहसल तमतिंबजपअम ;ैत्द्ध तथा कुछ क्वनइसल त्मतिंबजपअम ;क्त्द्ध होते हैं। च्वसंतपेबवचम ये ैत् तथा क्त् के स्वाभाविक च्ंजजमतदे को देखकर हम यह बता सकते हैं कि वह रत्न कौन सा हो सकता है।
गोमेद ैत् होता है तथा ठमतलर्सए पतबवदए ज्वचं्रए ब्तलेवइमतलस क्त् होते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ग्लास ैचमेेंतजपदम हंतदमज और कम्पोजिट ैत् भी होते हैं। 5ण् क्पबीतवेबवचम रू क्पबीतवेबवचम से ैत् रत्नों में दिखने वाले एक ही रंग एवं क्त् रत्नों में दिखने वाले दो या तीन रंगों को देखकर पहचाना जा सकता है।
इसका अर्थ यह है कि गोमेद में हर दिशा में एक ही रंग दिखाएगा तथा सुनैला) दो तथा और तीन रंग दिखाएंगे। नोट: यह संभव नहीं है कि दो भिन्न रत्न हर यंत्र या माध्यम में एक ही परिणाम दिखाएं। इसलिए रत्न विशेषज्ञ समानांतर परिणाम दिखाने वाले रत्नों को किसी न किसी यंत्र या माध्यम से जांच लेते हैं।