अनेक देशों, जैसे अमेरिका, कनाडा, आॅस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, मलयेशिया, सिंगापुर, बैंकाॅक, हांगकांग, चीन में अंदरूनी सज्जा के लिए चीन की प्राचीन कला फेंग सुइ का इस्तेमाल किया जा रहा है; चाहे वह किसी का छोटा कार्यालय हो, घर हो, अंतर्राष्ट्रीय कंपनी का कार्यालय, या स्टेडियम हो।
बहुत से सज्जाकार आजकल फेंग सुइ विशेषज्ञों की सलाह लिये बगैर कोई काम नहीं करते। इतना ही नहीं, इंजीनियर और आर्किटेक्ट भी इनकी सलाह के महत्व को समझते हैं। अमेरिका के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट क्रिश्चियन कायरो भी इस शास्त्र के प्रशंसक हैं।
अनेक बार वह इंटरनेट से चर्चा सत्र में भाग ले चुके हैं। सज्जाकार सज्जा करते वक्त हवा, प्रकाश, जगह, दिशा इत्यादि का विचार करते हैं। मगर फेंग सुइ के विशेषज्ञ हवा, प्रकाश, जगह, दिशा का विचार तो करते ही हैं, साथ ही दिशा के अत्यंत सूक्ष्म स्तर पर गहराई से विचार किया जाता है। सज्जा करते वक्त क्या कार्यालय के मालिक और वास्तु के भाग्य का विचार भी किया जाता है? नहीं।
मगर इन सबका विचार फेंग सुइ विशेषज्ञ को करना पड़ता है। वास्तु का फेंग सुइ के तरीके से अभ्यास करने को वास्तु का आॅडिट कहा जाता है। अब यह आॅडिट कैसे किया जाता है, यह देखेंगे। यह आॅडिट 10श् ग 10श् कमरे से ले कर हजारो एकड़ में भी किया जाता है।
इसमें देखा जाता है कि समृद्धि का सितारा कहां पर है और पर्वतीय सितारे कहां पर। उदाहरण के तौर पर संजय कुमार का कार्यालय फेंग सुइ शास्त्र से बनाना है, तो पहले उनकी जन्म तारीख मालूम करनी चाहिए। इससे भाग्य स्तंभ के अनुसार उनके वर्ष का, महीने का, दिन का जन्म तत्व निकालेंगे; यानी उनका जन्म जिस समय हुआ, वह समय पंच तत्वों में से (पृथ्वी, धातु, प्राणी, काष्ठ, अग्नि) कौन सा तत्व था?
यदि संजय कुमार प्राणी तत्वों के हैं, तो फिर यह देखना है कि यह यांग है, या यीन। यांग पानी तत्व का मतलब समुंदर, नदी, बड़ा तालाब, झरने का पानी और यीन पानी का मतलब गिलास का पानी। इससे मालूम होगा कि वह यांग पानी है, तो फिर इन्हें नियंत्रित करना होगा। यह अगर यीन तत्वों के हैं, तो इनकी शक्ति बढ़ानी होगी। यांग का मतलब बहुत ही ताकदवर और यीन का मतलब कमजोर।
संजय कुमार यांग पानी के तत्व के हैं, तो, इन्हें नियंत्रित करने के लिए, अग्नि और काष्ठ तत्वों की जरूरत होगी। तो इनके पसंद के रंग हरा, लाल, गुलाबी होंगे। इन रंगों का इनके कार्यालय में लेटरहेड, विजिटिंग कार्ड, कार्यालय के बोर्ड हर जगह इस्तेमाल करेंगे।
इससे उनका भाग्य बढे़गा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस तरीके से कंपनी के पब्लिसिटी बोर्ड, लोगो आदि बनाये जाते हैं। फिर यह जानना है कि इस कार्यालय का जन्म कौनसे साल हुआ? किसी वास्तु का जन्म कैसे होता है? जब चारदिवारी बांधी जाती है और ऊपर से स्लैब, छत डाले जाते हंै, उसी वक्त वास्तु का जन्म होता है।
वर्ष जानने के बाद काल चक्र का अध्ययन करेंगे। यदि कार्यालय सन् 2000 में बना, तो यह सात काल चक्र के अंदर आता है। तो यह सब देखते हुए अब कंपास का उपयोग करना है। इसमें साधारण कंपास नहीं चलेगा, तो लेनसेटीक कंपास, इलेक्ट्राॅनिक कंपास, या चायनीज लियो पन का इस्तेमाल करना होगा। इसमें 1-1 डीग्री का अध्ययन होता है और अगर 1 या 1/2 डिग्री का फर्क भी हो गया, तो पूरा हिसाब गलत हो सकता है। अब यह जानना है कि मुंह की ओर कितनी डिग्री है।
इसमें मुख्य द्वार की दिशा का विचार नहीं किया जाता। बल्कि मुंह की ओर, यानी ज्यादा प्राण ऊर्जा अंदर कहां से आती है। यह खिड़की सेे भी आ सकती है, तो यह 12.5 है। इनमें से इस कार्यालय के सितारे निकाले जाते हैं और, 24 दिशाओं का विचार कर के, इन सितारों का अध्ययन करते वक्त पर्वतीय सितारे, जल तत्व सितारे, भविष्य के पर्वतीय सितारे कहां पर हैं, यह देखा जाता है।
इनमें से अच्छे सितारों को उभारा जाता है और बुरे सितारों का उपाय किया जाता है। पर्वतीय सितारों की ओर पीठ कर के बैठने से सहायता मिलती है और जल तत्व सितारों की ओर मुंह करने से समृद्धि मिलती है। म्पहीज ।ेचपतंजपवद ज्ीमवतल के अनुसार संजय कुमार का मेज़ उनके लिए अच्छी दिशा में लगाएंगे और उनका चेहरा अच्छी दिशा में कैसे रहेगा, यह भी देखा जाएगा।
संजय कुमार के कार्यालय से उनको यश, प्रसिद्धि सब कुछ मिलेगा। इसको कहते हैं फ्लाइंग स्टार्स ;ग् बवदह मिदहेीनप जपउम - ेचंबमद्ध जो चीन की प्राचीन कला है और बहुत आगे बढ़ चुकी है। इस तरीके से भी अनेक वास्तु कार्यालय बनाये गये हैं। जिससे सबको आज तक बहुत फायदे हुएं हैं।
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