असम की राजधानी गुवाहाटी के नजदीक नीलांचल पर्वत पर स्थित कामरूप माँ कामाख्या देवी का मंदिर भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। वस्तुतः सारी दुनिया मंे तांत्रिकों का तीर्थ स्थान कामाख्या देवी मंदिर ही है, जहां पर कम से कम एक बार आकर माता कामाख्या के दर्शन करने की अभिलाषा प्रत्येक बड़े या छोटे तांत्रिक की होती है।
यही नहीं तंत्र में विश्वास रखने वाले प्रत्येक गृहस्थ की अभिलाषा भी इस मंदिर के दर्शन करने की अवश्य होती है। इस मंदिर के विश्व प्रसिद्ध होने के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन इसका एक मुख्य कारण इसका वास्तुशास्त्र एवं फेंग शुई के सिद्धांतों के अनुरूप होना भी है। आईए, इसके वास्तु एवं फेंगशुई के अनुकूल होने के कारण देखें-
वास्तु सिद्धांत :
1. मंदिर परिसर की चारदीवारी ईशान कोण में आगे की ओर बढी़ हुई है।यह स्थिति वास्तुनुकूल होकर अत्यंत शुभ है। इस अनुकूलता के कारण ऐसे स्थान पर रहने वाले स्वस्थ एवं प्रसन्न रहते हंै।
2. मंदिर का उत्तर एवं उत्तर वायव्य गोलाईदार होने के कारण उत्तर ईशान कोण बढ़ गया है जो मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ाने में सहायक हो रहा है।
3. पूर्व दिशा में छिन्नमस्ता मंदिर वाला भाग कामाख्या देवी मंदिर से काफी कुलदीप सलूजा नीचा है। इस भौगोलिक स्थिति का मंदिर की समृद्धि एवं प्रसिद्धि और आस्था बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान है।
4. माँ कामाख्या देवी के मंदिर का गर्भगृह पूर्व दिशा की ओर होकर बहुत गहराई लिए हुए है। इसी के साथ यहां पर माँ कामाख्या देवी की प्रतिमा के चरणों के पास से पहाड़ी जल का निरंतर बहाव होता रहता है जो कि अत्यंत शुभ होकर सिद्धि प्राप्त करने में सहायक है।
5. मंदिर परिसर की उत्तर दिशा में एक बड़ा तालाब है जिसे सौभाग्य कुंड के नाम से जाना जाता है। उत्तर दिशा स्थित भूमिगत पानी का स्रोत इस मंदिर की प्रसिद्धि का मुख्य कारण है।
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