सृष्टि के प्रारंभ से ही मनुष्य के जीवन में सुख एवं दुःख का चक्र चलता रहा है। मनुष्य सुख के पलों में अधिक से अधिक जीना चाहता है क्योंकि यह उसे आह्लादित करता है। लेकिन सुख के पल क्षणिक होते हैं और थोड़ा आनंदित कर छूमंतर हो जाते हैं और फिर शुरु हो जाता है असह्य पीड़ा का दौर। मनुष्य की पीड़ा को कमतर करने के लिए हमारे प्राच्य ग्रंथों में अनेक मार्ग सुझाए गये हैं।
उसी में से एक है अपने मकान, घर एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान को कुछ नियमों का अनुपालन कर निर्मित करना तथा यदि वहां किसी प्रकार का दोष हो, तो उसका निवारण करना। वास्तु के संबंध में वेदों में चर्चा की गई है। अनुभव में ऐसा पाया गया है कि यदि घर, मकान या व्यावसायिक प्रतिष्ठान वास्तु सम्मत बनाए जाते हैं तो उससे संबंधित व्यक्ति जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि का अनुभव करते हैं।
वास्तु के समान ही चीन में एक अलग पद्धति का विकास हुआ जिसे फेंगशुई के नाम से जाना जाता है। फेंगशुई के अंतर्गत पांच तत्वों के संतुलन का ध्यान रखा जाता है तथा इससे संबंधित कुछ सांकेतिक वस्तुओं का प्रयोग जीवन को बेहतर एवं समृद्ध बनाने के लिए किया जाता है। फेंगशुई से संबंधित वस्तुओं का प्रयोग हम वास्तु दोष के निवारण के लिए बहुतायत में करने लगे हैं।
अनुभव में ऐसा पाया गया है कि यदि वास्तु एवं फेंगशुई के कुछ नियमों एवं सिद्धांतों का अनुपालन सम्मिलित रूप से किया जाय तो सुख, शांति, समृद्धि एवं सफलता हमारे कदम चूमती है। इस लेख में वास्तु एवं फेंगशुई के महत्वपूर्ण समन्वित सिद्धांतों की व्याख्या की गई है जिनका अनुपालन अत्यंत सरल एवं परिणाम अतीव समृद्धिदायक है।
हम पहले वास्तु दोष के अहितकर परिणाम तथा तदुपरांत उन्हें ठीक करने के उपायों की चर्चा करेंगे: प्रत्येक दिशा में ऊंचाई का प्रभाव: दक्षिण-पूर्व ऊंचा समृद्धिदायक दक्षिण-पूर्व नीचा धन-हानि दक्षिण ऊंचा बीमारी से मुक्ति दक्षिण-पश्चिम ऊंचा समृद्धिदायक पश्चिम ऊंचा संतान देने वाला उŸार-पश्चिम ऊंचा धन-हानि उŸार ऊंचा रोगकारक उŸार-पूर्व ऊंचा अत्यधिक कष्ट एवं शोककारक पूर्व ऊंचा संतान की मृत्यु सुखी विवाह के लिए उपयोगी वास्तु सलाह प्रत्येक पुरुष एवं महिला अपने वैवाहिक जीवन में सुख, शांति एवं आनंद चाहते हैं।
सब यही चाहते हैं कि उनके वैवाहिक जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा उपस्थित नहीं हो। इसके लिए आवश्यक है कि निम्न बातों का ध्यान रखा जाए तथा उनका अनुसरण किया जाय
- - अपने शयनकक्ष को घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखें।
- दक्षिण-पूर्व दिशा यानी अपने आग्नेय कोण में अपना शयनकक्ष कदापि न रखें। शयनकक्ष इस दिशा में रहने से पति-पत्नी के बीच लड़ाई-झगड़े एवं संघर्ष होते रहते हैं।
- शयनकक्ष में भी अपना पलंग दक्षिण-पश्चिम कोने में रखें। पलंग उŸारी एवं पूर्वी कोने में कदापि न रखें। इससे सिरदर्द एवं मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है साथ ही आर्थिक अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।
- पलंग का सिरहाना हमेशा दक्षिण दिशा में रखें।
- पलंग हमेशा लकड़ी का ही रखें। -शयनकक्ष हमेशा वर्गाकार अथवा आयताकार ही बनायें। इससे जीवन में शांति एवं प्यार का समावेश होता है।
- शयनकक्ष की दीवारों का रंग हल्का हरा, नीला अथवा गुलाबी होना चाहिए। लाल रंग का परित्याग करें। आर्थिक समृद्धि के लिए वास्तु सलाह यदि आप वास्तु के नियमों का सही रूप में अनुपालन करें तो आपके यहां धन के आगमन की निरंतरता सदैव बनी रहेगी।
- यदि किसी भवन, घर अथवा व्यावसायिक प्रतिष्ठान में दक्षिण- पश्चिम दिशा में सेप्टिक टैंक, बोरवेल, कुआं अथवा किसी भी प्रकार का गड्ढा होता है तो यह भयंकर आर्थिक हानि का कारण बनता है।
- यदि दक्षिण-पश्चिम में भारी निर्माण कार्य संपन्न किया गया हो तो वह समृद्धिदायक होता है।
- घर के लाॅकरों एवं आलमारियों जिनमें कीमती कागजात, बहुमूल्य सामान, हीरे जवाहरात अथवा गहने रखे जाते हों, वैसे लाॅकरों तथा आलमारियों को दक्षिण, पश्चिम अथवा दक्षिण-पश्चिम में रखना समृद्धिदायक होता है। उनका मुंह हमेशा उŸार, पूर्व या उŸार-पूर्व की ओर रखें। लाॅकर को कभी उŸार-पूर्व में नहीं रखें, इससे धन की हानि होगी। दक्षिण-पूर्व एवं दक्षिण-पश्चिम दिशा भी इसके लिए उपुयक्त नहीं है। इन दिशाओं में रखने से अनावश्यक खर्च में वृद्धि होगी।
- लाॅकरों को बीम के नीचे कदापि नहीं रखें, यह आर्थिक अस्थिरता का कारण बनता है। रसोई घर की व्यवस्था - रसोई घर में कबाड़ जमा नहीं होने दें। इसे हमेशा साफ करते रहें तथा कम प्रयोग में आने वाले सामान को भी निरंतर साफ करते रहें।
- रसोई घर में स्वच्छ हवा आने की व्यवस्था रखें। खिड़कियों को बीच-बीच में खोला करें।
- जिन सामानों की आवश्यकता रसोई घर में नहीं हो, उसे वहां से निकाल दें।
- अपने रेफ्रिजेरेटर में ज्यादा दिन का बासी खाना नहीं पड़ा रहने दें।
- अपने रसोई घर में चीनी मिट्टी अथवा शीशे की कटोरी में समुद्री नमक भरकर कहीं रख दें। इस नमक को बीच-बीच में बदलते रहें तथा पुराने नमक को पानी में बहा दें।
- रसोई घर में दवा न रखें। - रसोई घर में दर्पण न लगाएं क्यांेकि आग का प्रतिबिम्ब इसमें आ सकता है जो कि खतरे का सूचक है।
- खाना बनाने के दौरान बीच में न खायें। वास्तु उपाय उत्तर-पश्चिम कोण के दोष को ठीक करने के लिए प्रवेश द्वार उŸार-पश्चिम कोण से: उपाय: -मुख्य दरवाजे के दोनों ओर ओम स्वास्तिक एवं त्रिशूल लगाएं।
- दरवाजे के बाहर पिरामिड लगाएं। उत्तर-पूर्व कोण के दोष को ठीक करने के लिए उŸार-पूर्व में रसोई घर: - रसोईघर के बाहर के उŸार या पूर्व की दीवार पर ष्18ग18ष् का समतल दर्पण ;च्संदम डपततवतद्ध लगाएं।
- उŸार-पूर्व कोण में पिरामिड रखें। उŸार-पूर्व में टाॅयलेट: - चीनी मिट्टी के एक कटोरे में भरकर समुद्री नमक रखें तथा हर 15-20 दिन के बाद उसे बदलते रहें। पहले वाले नमक को पानी में बहा दें।
- टाॅयलेट के अंदर एयर-फ्रेशनर रखें।
- टाॅयलेट के बाहर की उŸारी या पूर्वी दीवार में से जो भी बड़ा हो उस पर समतल दर्पण लगायें।
- दक्षिणी दीवार पर पिरामिड लगायें। उŸार-पूर्व ओवरहेड टैंक (पानी की टंकी): - टंकी के ढक्कन को लाल रंग से पेन्ट कर दें।
- जमीन के अंदर कोने पर कम से कम 4 पिरामिड लगाएं। यदि 9 पिरामिड लगा पायें, तो अति उŸाम।
उŸार-पूर्व भाग कटा हुआ: - उŸारी अथवा पूर्वी दीवार पर बड़ा दर्पण लगायें।
उŸार-पूर्व में गैरेज: - गैरेज से होकर एक प्रवेश द्वार बना दंे।
उŸार-पूर्व में स्टोर रूम: - स्टोर रूम में कुछ पिरामिड रख दें तथा स्टोर रूम को हमेशा साफ करते रहें। दक्षिण-पूर्व भाग को ठीक करने के लिए दक्षिण-पूर्व अथवा दक्षिण-पश्चिम में मुख्य प्रवेश द्वार - दरवाजे के दोनों ओर ओम स्वस्तिक एवं त्रिशूल लगाएं। - दरवाजे के बाहर पिरामिड लगाएं।
- विंड चाइम लगायें (5 अथवा 7 राॅड वाला)।
- दरवाजे के ऊपर पाकुआ मिरर लगाएं। फेंगशुई में पांच नैसर्गिक तत्वों तथा यिन एवं यांग ऊर्जा के संतुलन की बात कही जाती है।
इनका संतुलन जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि लाता है। यह भी एक गहरा विषय है, अतः इस लेख में फेंगशुई का संक्षिप्त विवरण देना ही संभव है जिससे कि पाठकगण लाभान्वित हो सकें तथा उन्हें स्वयं जीवन में अपनाकर तथा अपने प्रियजनों को बताकर सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकें। फेंगशुई से संबंधित कुछ वस्तुओं का प्रयोग करके वास्तु से संबंधित दोषों को दूर किया जा सकता है तथा घर, व्यवसाय आदि में सुख-समृद्धि को आमंत्रित किया जा सकता है।
- दर्पण (मिरर): दर्पण में व्यवसाय में दुगुना लाभ देने की क्षमता है। इसलिए आप देखते होंगे कि रेस्टोरेंट, चाय-काफी, कोल्डड्रिंक की दुकानों आदि में बहुयातायत में दर्पण लगे होते हैं। इसका उद्देश्य होता है व्यस्तता एवं भीड़-भाड़ का काल्पनिक चित्रण करना। घर एवं दफ्तर में भी ऐसे दर्पण लगाना शुभ है एवं समृद्धिदायक है।
- पौधे: दरवाजे के बाहर पौधे लगाना भी धन-संपदा को आकर्षित करता है।
- विंड चाइम: घर, कार्यालय या व्यावसायिक प्रतिष्ठान में विंड चाइम लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का ह्रास होता है तथा समृद्धि आकर्षित होती है।
- लाफिंग बुद्धा: लाफिंग बुद्धा को ड्राइंग रूम में दरवाजे की ओर मुंह करके तिरछा रखना चाहिए। इन्हें धन-दौलत का देवता माना जाता है तथा ये अतीव समृद्धि के प्रतीक हैं।
- पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ाने के लिए घर में दो क्रिस्टल बाॅल लटकायें, लव बर्ड्स तथा मेंडारीन डक रखंे। इससे आपसी प्यार एवं सामंजस्य में काफी वृद्धि होती है।
- एक्वेरियम अथवा फिश बाउल: ये भी अतीव समृद्धि के प्रतीक हैं तथा धन-सम्पदा को आकर्षित करते हैं।
- बांस का पौधा: बांस का पौधा समृद्धि, प्रजनन एवं लंबी आयु का प्रतीक है, साथ ही यह नकारात्मक ऊर्जा को भी अवशोषित करता है। अतः इसे घर में ड्राडंगरूम में अथवा यदि रसोई घर दोषपूर्ण है तो रसोई घर में रखें।
- घोड़े की नाल: घोड़े की नाल को मुख्य दरवाजे के ऊपर लगाएं। यह नकारात्मक ऊर्जा को घर के अंदर प्रवेश नहीं करने देता है तथा सौभाग्य एवं शुभत्व का प्रतीक है।
- धन की कटोरी: कृत्रिम धन की कटोरी भी अत्यधिक समृद्धि एवं धन-सम्पदा को आकर्षित करती है। इसे घर में उŸार-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। ये अत्यंत छोटी-छोटी बाते हैं जिनके अनुपालन से भाग्य आकर्षित होते हैं, जीवन से निराशा, अंधकार एवं दुर्भाग्य का शमन होता है।
यदि आपका घर, कार्यालय अथवा प्रतिष्ठान ही नकारात्मक ऊर्जा से ओत-प्रोत होगा अथवा बीमार होगा, तो आप कैसे सुखी रह सकते हैं। जब आप अत्यधिक कष्ट से घिर गये हैं तो हो सकता है कि इसका एक प्रमुख कारण वास्तु दोष हो। अतः थोड़ी सावधानी रखने से तथा अच्छे वास्तुविद् से सलाह लेकर उनका पालन करने से आपके कष्ट दूर हो सकते हैं। ईश्वर आपको सुख-समृद्धि प्रदान करें।
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