स्वप्नों द्वारा समस्याओं का समाधान रविन्दर सिंह स्वप्न विज्ञान एक बहुत ही प्राचीन विज्ञान है जिसके बारे में अरस्तु और सुकरात जैसे दार्शनिकों से लेकर कार्ल जुंग एवं सिगमंड फ्राॅयड जैसे मनोवैज्ञानिकों ने वर्णन किया है। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार स्वप्न हमारे अवचेतन मन का दर्पण हैं जो हमारी कुंठित इच्छाओं की अभिव्यक्ति का मार्ग भी है। प्राचीन समय से कई ग्रंथों में भविष्यवाणी करने वाले स्वप्नों का उल्लेख है। स्वप्न क्या हैं और उनके उद्गम का स्रोत क्या है? क्या वह हमें हमारे भविष्य के बारे में बता सकते हैं? हम इस लेख में इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने का प्रयास करेंगे। यदि हम स्वप्नों के लिखित इतिहास की खोज करें तो हम पायेंगे कि ईसा से करीब 3000 वर्ष पूर्व मैसोपोटामिया में सुमेर सभ्यता के लोगों ने स्वप्नों के बारे में लिखा है। प्राचीन यहूदी भी मानते थे कि स्वप्न हमें ईश्वर के साथ जोड़ते हैं और वह हमारे ईश्वर से संबंध का प्रतीक है। यहुदियों के प्राचीन ग्रंथ - ‘‘तालमूद’’ में 200 से अधिक स्वप्नों का उल्लेख है। प्राचीन मिस्र वासी राजाओं के स्वप्नों पर विश्ेाष ध्यान देते थे क्योंकि उनका यह मानना था कि देवी-देवता राजाओं के स्वप्नों में दर्शन देते हैं। प्राचीन मिस्र के स्वप्नों के देवता सेरापिस के मंदिर भी बनवाये गये जहां लोग जाकर स्वप्न देखते थे। इन मंदिरों में जाने से पहले लोग उपवास रखते थे, प्रार्थना करते थे एवं चित्र बनाते थे ताकि उन्हें देवी-देवताओं के दर्शन स्वप्न में हो। चीन के लोग यह मानते थे कि स्वप्नों का निर्माण स्वप्न लेने वाले व्यक्ति की आत्मा द्वारा होता है। उनका यह भी मानना था कि व्यक्ति की आत्मा शरीर को छोड़कर स्वप्न में मृत व्यक्तियों के लोक में विचरण करती है। चीन में भी स्वप्न-मंदिरों का निर्माण करवाया गया। उच्च पदाधिकारी किसी नगर में जाने से पूर्व स्वप्न मंदिर में जाकर मार्गदर्शन प्राप्त करते थे। प्राचीन ग्रीस में लोगों का यह मानना था कि स्वप्न में देवी-देवता लोगों को दर्शन देते हैं। ये देवता एक छिद्र द्वारा व्यक्ति के स्वप्न में प्रविष्ट होते हैं एवं उसे दिव्य संदेश देकर वापस लौट जाते हैं। ईसा से 500 साल पूर्व ग्रीस में एंटीफोन नामक व्यक्ति ने स्वप्नों पर एक पुस्तक भी लिखीं। हिप्पोक्रेटस जिसे आर्युविज्ञान का पिता भी माना जाता है, स्वप्न-विज्ञान का विशेषज्ञ था जिसने स्वप्न विज्ञान पर ‘‘व्द क्तमंउेष् नामक पुस्तक लिखी। उसके अनुसार दिन में हमारी आत्मा दृश्य प्राप्त करती है जिसे रात्रि में स्वप्न के रूप में हम देखते हैं। प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु के अनुसार हमारे स्वप्न हमारे शरीर की अवस्था के बारे मंे भी बताते हैं। उसके अनुसार स्वप्नों का देवी-देवताओं से कोई लेना-देना नहीं है। ग्रीस के एक गैलेन नामक चिकित्सक का यह मानना था कि हमें अपने स्वप्नों का गहरा अध्ययन करना चाहिए क्योंकि वे हमारी चिकित्सा में सहायक होते हैं। प्राचीन पौराणिक ग्रंथों में तीन प्रकार की अवस्थाओं का वर्णन है:- 1. जागृत अवस्था 2. स्वप्न अवस्था 3. सुषुप्ति अवस्था इनके अनुसार स्वप्न का निर्माण परमात्मा द्वारा प्राणी के कुछ कर्मों का फल प्रदान करने के लिये होता है। स्वप्न परमात्मा की माया का एक अंग है जिसमें परमात्मा इच्छित वस्तुओं को जागृत अवस्था की भांति प्रदान करता है। वेदांत के अनुसार कुछ स्वप्न भविष्यवाणी करने वाले भी होते हैं। कुछ स्वप्नों में आने वाले दृश्यों के अर्थ अग्नि-पुराण में पाये जाते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार कुछ स्वप्न मृत आत्माओं द्वारा भी पैदा किये जाते हैं। वेदों के अनुसार यदि हिंसात्मक स्वप्न में हम वीरता का परिचय देते हैं तो यह हमें वास्तविक जीवन में भी सफलता प्रदान करता है। यदि हम ऐसे स्वप्न में कुछ नहीं करते तो यह हमारे भविष्य में अनिष्ट का सूचक होता है। उपनिषदों के अनुसार स्वप्न के बारे में दो मत हैं। एक मत के अनुसार हमारे स्वप्न हमारी इच्छाओं के प्रतिबिंब मात्र होते हैं। दूसरे मत के अनुसार हमारी आत्मा स्वप्न अवस्था में भौतिक शरीर को छोड़कर बाहर विचरण करती है जहां उसे मार्गदर्शन प्राप्त होता है। सिगमंड फ्राॅयड नामक एक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक ने 1899 में स्वप्नों के अर्थ जानने के लिये एक पुस्तक लिखी जो काफी प्रसिद्ध हो गयी। उसके अनुसार स्वप्न दो प्रकार के होते हैं। एक प्रकार के स्वप्न का अधिक महत्व नहीं होता क्योंकि वे अवचेतन मन के दृश्य मात्र होते हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ स्वप्न हमारे मन की अव्यक्त इच्छाओं की अभिव्यक्ति होते हैं। एक ओर प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कार्ल जुंग के अनुसार यदि हम जागृत अवस्था में किसी विषय की उपेक्षा करते हैं तो वह बार-बार हमारे स्वप्न में आता है ताकि हम उसका समाधान करें। उसके अनुसार स्वप्नों में संकेतों द्वारा संदेश देने का प्रयास किया जाता है। इन स्वप्नों को समझने के लिये हमें इन संकेतों को समझने की आवश्यकता है। जुंग ने अपने जीवनकाल में 80,000 से अधिक स्वप्नों का अर्थ निकाला। फ्राॅयड और जुंग के बाद भी कई मनोवैज्ञानिकों ने स्वप्न-विज्ञान के सिद्धांतों की व्याख्या की है। हिपनोथैरेपी अथवा सम्मोहन विज्ञान ने भी स्वप्न विज्ञान में अपना योगदान दिया है। हिप्नोथैरेपी द्वारा हमें निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं। 1. स्वप्नों को स्मरण रखना। 2. स्वप्नों की सांकेतिक भाषा को समझकर संकेतों द्वारा दिये गये संदेशों को समझना । 3. अपनी इच्छाअनुसार स्वप्नों से संदेश प्राप्त करना। 4. अपने जीवन की समस्याओं का समाधान स्वप्नों से प्राप्त करना। एंजल चिकित्सा द्वारा भी स्वप्नों में अपने एंजल से संदेश प्राप्त किये जा सकते हैं। स्वप्न विज्ञान के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिये आप निम्नलिखित पते पर अपने प्रश्न भेज कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।