शकुन एवं स्वप्न शास्त्र की वैज्ञानिकता कल्पना तिवारी मानव और प्रकृति का संबंध शक्ति और गुण सूत्रों से जुड़ा रहता है। ब्रह्मांडीय ऊर्जा प्रकृति के विभिन्न माध्यमों से एक चैनल के द्वारा पृथ्वी मंडल तक पहुंचकर मनुष्य तथा अन्य प्राणी मात्र को प्राप्त होकर उनके अर्तमन को प्रभावित करती हुई शकुन और स्वप्न के रूप में व्यक्त होती है। इस संपूर्ण प्रक्रिया को वैज्ञानिकों ने अपने सूक्ष्म अध्ययन और प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया है। निमित्त शास्त्र एवं शकुन शास्त्र ज्योतिष की एक प्रमुख शाखा है। शकुन का अर्थ है कुछ आभास होना तथा निमित्त का अर्थ है, प्रश्नकर्ता जब कोई प्रश्न करता है उस समय कोई घटना घटित होना। ज्योतिषी इन शकुनों एवं घटनाओं के माध्यम से प्रश्नकर्ता के प्रश्न का उत्तर जान सकता है। एक आम व्यक्ति भी जिसको ज्योतिष की जानकारी नहीं है, शकुन एवं निमित्त शास्त्र के माध्यम से अपने प्रश्न का उत्तर जान सकता है। वह प्रश्न करते समय अपने आसपास के वातावरण में विद्यमान संकेतों के माध्यम से उस प्रश्न के परिणाम के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। शकुन शास्त्र की वैज्ञानिकता वैज्ञानिकों का दावा है कि कि भचक्र के सभी ग्रहों से कुछ ऊर्जा प्रवाहित होती रहती है। जब यह ऊर्जा एकत्रित होती है तो इसे प्लेनेटरी ऊर्जा फ्लक्स कहा जाता है। जर्मन डाॅक्टर अर्नस्ट हर्टमैन ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह प्रतिपादित किया था कि ग्रहों से निकलने वाली रश्मियां पृथ्वी के चारों ओर एक जाल-सा बना लेती हैं। उनके पश्चात बिल बेकर एवं बाथ हेगन ने भी यह प्रतिपादित किया कि हमारी पृथ्वी सहित समस्त ब्रह्ममांड एक ग्रिड प्लेट से घिरा हुआ है। और यह ग्रिड प्लेट ही समस्त ब्रह्मांड में ऊर्जा प्रवाहित करती है। यही ग्रिड प्लेट संपूर्ण ब्रह्मांड के ऊर्जा प्रवाह का बहुत महत्वपूर्ण स्रोत है जो संपूर्ण ब्रह्मांड को एक क्रम में जोड़ता है। इस ग्रिड प्लेट की रेखायें उत्तर से दक्षिण एवं पूर्व से पश्चिम की ओर ऊर्जा प्रवाहित करती हैं। वैज्ञानिक दावा करते हैं कि उत्तर से दक्षिण की ओर जाने वाली रेखाएं 6 फीट 8 इंच चैड़ी एवं पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाली रेखायें 8 फुट 4 इंच चैड़ी हैं। लगभग सभी लाईनें 9 इंच चैड़ी है। हर्मन बताते हैं कि जहां पर इनमें कोई भी दो लाईनें एक दूसरे को काटती है उस स्थान को हर्मन नाॅट का नाम दिया गया है। उस जगह पर बहुत लंबा समय बिताना बहुत हानिकारक होता है। डाॅक्टर अर्नस्ट हर्टमैन जी ने इन हर्टमन लाईनों की खोज 1951 में की थी। इस ग्रिड की रेखाओं की दूरी वैज्ञानिक यह भी दावा करते हैं कि ये ऊर्जा रेखाएं पक्षियों एवं जानवरों को दिखाई देती हैं और पक्षी इन्ही रेखाओं का प्रयोग करके एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं। ग्रहों से निकलने वाली ऊर्जा पहले ग्रिड प्लेट के पास पहुंचती है। जब सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है तो वह ऊर्जा प्रवाह सरस एवं सुगम होता है। परंतु नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह अलग रूप में प्रवाहित होता है। जैसे कि जब भूकंप आने वाला होता है तो एक तीव्र स्पाइक ग्रिड प्लेट पर उभर जाता है। वैज्ञानिक मैडिस सैनर के अनुसार ग्रिड प्लेट से प्रवाहित होने वाली ग्रहों की एनर्जी को पृथ्वी के डक्ट ग्रहण करते हैं। आप इन डक्टों की एक ऐसे पाइप के रूप में कल्पना कर सकते हैं जो कि ग्रिड प्लेट से ऊर्जा लेकर पृथ्वी पर प्रवाहित करता है। पृथ्वी की सतह पर ऐसे अनेक डक्ट हैं जो ग्रहों की ऊर्जा को पृथ्वी पर निरंतर प्रवाहित करते रहते हैं। यही ऊर्जा मानवों, जानवरों, पक्षियों एवं समुद्रो व पहाड़ों, द्वारा ग्रहण की जाती है। यह ऊर्जा मनुष्यों के विचारों एवं क्रियाओं को पूर्ण रूप से प्रभावित करती है। इस प्रकार भचक्र में होने वाली घटनाओं में परस्पर संबंध होता है। हमारे मस्तिष्क में अचानक किसी विचार का आना भी इसी ऊर्जा का प्रभाव है। यदि कोई व्यक्ति यह जानना चाहता है कि उसकी नौकरी लगेगी या नहीं तो उस समय किस प्रकार की ऊर्जा प्रवाहित हो रही है यह विचार उसी का परिणाम है और उस वक्त प्रवाहित होने वाली सकारात्मक एवं नकारात्मक ऊर्जा इसके ऊपर की ओर शकुनों एवं निमित्तों के माध्यम से संकेत करती है। यदि ऊर्जा का प्रवाह सकारात्मक है तो शुभ संकेत आएंगे नही तो अशुभ संकेत दिखाई देंगे। इस प्रकार निमित्त एवं शकुन शास्त्र अपने आप में पूर्ण उत्तर नहीं है वरन् यह शुभ एवं अशुभ परिणाम की ओर संकेत देता है। दूसरे शब्दों में यह हमारे कर्म फल के अनुसार ग्रहों से आने वाला संकेत होता है। इस दृष्टि से पृथ्वी को एक ऊर्जा-बजट के रूप में देखा जा सकता है जिसमें अन्य ग्रहों से आने वाली ऊर्जा तथा पृथ्वी से निकलने वाली ऊर्जा का हिसाब-किताब होता है।