यह भी स्वरूप है शकुन और अपशकुन का राजेश्वर महाराज अर्द्धरात्रि के बाद उल्लू घर की छत पर बोले तो चोरी होने का संकेत होता है। किसी स्त्री के पीछे से उल्लू का स्वर सुनाई पड़े तो वह प्रेत-बाधा से ग्रस्त होती है। रात में चमगादड़ सिर से टकराए तो व्यापार में हानि होती है। घर में चमगादड़ का बसेरा प्रेतवास का प्रतीक है, इसे प्रेतवाहन भी कहते हैं। यात्रा हेतु प्रस्थान करते समय सूखे पेड़ पर गिद्ध बैठा दिखाई पड़े तो यात्रा निरस्त कर देनी चाहिए। घर की छत की दीवार पर चील आकर बैठे तो उस घर में विपत्ति आने का संकेत मानना चाहिए। कौए का पीछे से बोलना शुभ होता है व कार्य सिद्धि होती है। चोंच में तिनका लिए हुए कौए के दर्शन होने से धन के अतिरिक्त अन्य वस्तुओं की भी प्राप्ति होती है। रात्रि में यदि उल्लू भरे स्वर (हों हों) में बोले तो शुभ होता है तथा धन आने की संभावना रहती है। घर से निकलते समय यदि मुर्गा दाई ओर से बोले तो मनोभिलाषा पूर्ण होती है। प्रातः मुर्गे का बोलना भविष्य में शुभता का प्रतीक होता है। यदि कबूतर पूर्व दिशा में प्रथम प्रहर में बोले तो धन-प्राप्ति होती है, यदि दक्षिण में इसी काल में बोले तो आशा से अधिक धन की प्राप्ति होती है। घर से निकलते समय बांई ओर से गाय का रंभाना शुभ होता है। घर से निकलते समय यदि गाय खुरो से भूमि खुरचे तो रोग होने का संकेत होता है। यात्रा पर जाते समय बाई ओर से बंदर का दिखाई देना शुभ होता है। राजेश्वर महाराज घर से निकलते समय बिल्ली मुख में मांस का टुकडा लिये दिखाई दे तो शुभ होता है। यात्रा पर जाते समय हाथी का दिखना, सूंड ऊपर करके दाई ओर करना शुभ होता है, कार्य सिद्ध होता है। यात्रा पर जाते समय वाराह (सूअर) दर्शन शुभ होता है। यदि श्वान (कुत्ता) भूमि पर सिर को रगड़े तो वहां गुप्त धन होता है। यदि श्वान किसी की चारपाई या पलंग के नीचे भौंके तो उस व्यक्ति को रोग होता है। यदि वायव्य कोण की ओर मुंह करके श्वान रूदन करे तो आंधी, तूफान जैसे प्राकृतिक प्रकोप की आशंका रहती है।