हस्ताक्षर: एक उत्तल दर्पण राजीव अग्रवाल हस्ताक्षर, या अक्षरों की बनावट व्यक्ति के अंतरतम अर्थात उसके व्यवहार, विचार और क्रिया से सीधा संबंध होता है। हस्ताक्षर के अध्ययन से व्यक्ति अपने भविष्य और व्यक्तित्व के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है और हस्ताक्षर में दिखाई देने वाली कमियों को दूर कर के, अपने हस्ताक्षर के साथ-साथ, अपना भविष्य और व्यक्तित्व भी बदल सकता है। जिस व्यक्ति के हस्ताक्षर का पहला अक्षर काफी बड़ा होता है, वह उतनी ही विलक्षण प्रतिभा का धनी, समाज में काफी लोकप्रिय और उच्च पद प्राप्त करने वाला होता है। हस्ताक्षर में पहला शब्द बड़ा और बाकी के शब्द सुंदर और छोटे आकार के होने पर व्यक्ति, धीरे-धीरे उच्च पद प्राप्त करते हुए, सर्वोच्च स्थान पाता है और जीवन में बहुत पैसा कमाता है, कई भवनों का मालिक बनता है और समाज में काफी लोकप्रिय होता है, किंतु कुछ रंगीन तबियत और संकोची स्वभाव का, तथापि उत्तम श्रेणी का विद्वान भी होता है। वह अपने कुल का नाम रोशन करता है। जिस व्यक्ति के हस्ताक्षर काफी अस्पष्ट होते हैं तथा जल्दी-जल्दी लिखे होते हैं, वह व्यक्ति जीवन को सामान्य रूप से नहीं जी पाता है। वह हर समय ऊंचाई पर पहुंचने की ललक लिए रहता है। इस प्रकार का व्यक्ति राजनीतिज्ञ, अपराधी, कूटनीतिज्ञ, या बड़ा व्यापारी बनता है। जीवन आपाधापी में व्यतीत करने के कारण वह समाज से कटने लगता है तथा लोगों की उपेक्षा का शिकार भी बनता है। वह व्यक्तिगत रूप से पूर्ण संपन्न होता है तथा उसका वैवाहिक जीवन कम सामान्य रहता है। वह धोखा दे सकता है, परंतु धोखा खा नहीं सकता है। यही इनकी विशेषता है। जिस व्यक्ति के हस्ताक्षर में अक्षर काफी छोटे और तोड़-मरोड़ कर खिलवाड़ करके बनाये गये हों और हस्ताक्षर बिल्कुल पढ़ने में नहीं आते, वह व्यक्ति बहुत ही धूर्त और चालाक होता है। वह अपने फायदे के लिए किसी का भी नुकसान करने और नुकसान पहुंचाने से नहीं चूकता तथा ऐसा व्यक्ति राजनीति एवं अपराध के क्षेत्र में काफी नाम कमाता है। जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर के नीचे दो लकीरें खींचता है, वह भावुक होता है, पूरी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाता, मानसिक रूप से थोड़ा कमजोर होता है। उसके जीवन में असुरक्षा की भावना रहती है, पैसा जीवन में अच्छा होता है, परंतु ऐसा व्यक्ति कंजूस स्वभाव का होता है। जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर के शब्दों को काफी घुमा कर, सजा कर, प्रदर्शित कर के लिखता है, वह किसी न किसी हुनर का मालिक अवश्य होता है; यानी कलाकार, गायक, चित्रकार, व्यंग्यकार और अपराधी। ऐसे व्यक्तियों का समय जीवन के उत्तरार्ध में अच्छा होता है। जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर में नाम का पहला अक्षर सांकेतिक रूप में तथा उपनाम पूरा लिखता है और हस्ताक्षर के नीचे बिंदु लगाता है, वह भाग्य का धनी होता है; मृदुभाषी, व्यवहार कुशल, समाज में पूर्ण सम्मान प्राप्त करता है। ईश्वरवादी होने के कारण उसे किसी भी प्रकार की लालसा नहीं सताती। इसके फलस्वरूप वह जो भी चाहता है, स्वतः ही प्राप्त हो जाता है। उसका वैवाहिक जीवन सुखी और संतान से भी सुख प्राप्त होता है। जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर के अंतिम शब्द के नीचे बिंदु रखता है, वह विलक्षण प्रतिभा का धनी होता है। ऐसा व्यक्ति जिस क्षेत्र में जाता है, काफी प्रसिद्धि प्राप्त करता है और ऐसे व्यक्ति से बड़े-बड़े लोग सहयोग लेने को उत्सुक रहते हैं। जो अपने हस्ताक्षर स्पष्ट लिखते हैं तथा हस्ताक्षर के अंतिम शब्द की लकीर, या मात्रा को इस प्रकार खींच देते हैं, जो ऊपर की तरफ जाती हुई दिखाई देती है, ऐसे व्यक्ति लेखक, शिक्षक, विद्वान तथा बहुत ही तेज दिमाग के या शातिर अपराधी होते हैं। ऐसे व्यक्ति दिल के बहुत साफ होते हैं और हरेक के साथ सहयोग करने के लिए तैयार रहते हैं। वे मिलनसार, मृदुभाषी, समाजसेवक, परोपकारी होते हैं। ऐसे व्यक्ति कभी किसी का बुरा नहीं सोचते। सामने वाला व्यक्ति कैसा भी क्यों न हो, उसे वे हमेशा सम्मान देते हैं। सर्वगुण् ासंपन्न होने के बावजूद भी इनको समाज से सम्मान धीरे-धीरे ही प्राप्त होता है। जीवन के उत्तरार्ध में इनको काफी पैसा और पूर्ण सम्मान प्राप्त होता है। जीवन में इच्छाएं सीमित होने के कारण इन्हें जो भी धन और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है, उससे ये काफी संतुष्ट रहते हैं।