अध्ययन कक्ष कैसा हो फ्यूचर समाचारवास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व, उतर एवं ईशान दिशाएं ज्ञानवर्धक दिशाएं कहलाती हैं, अत: अध्ययन उतर-पूर्व या ईशान दिशा की और मुंह करके करना चाहिए। यदि किसी कारणवश अध्ययन कक्ष पश्चिम दिशा में भी हो, तो पढते समय मुंह उपर्युक्त दिशाओं क... और पढ़ेंवास्तुदिसम्बर 2006व्यूस: 7764
भवन निर्माण पूर्व आवश्यक है भूमि परिक्षण फ्यूचर समाचारकिसी भी भूखंड पर भवन निर्माण से पूर्व उसकी मिटटी का परिक्षण भलीभांति कर लेना चाहिए। क्योंकि उस भवन का आधार वहीँ भूखंड होता है। भवन का आधार दोषरहित होना चाहिए अन्यथा भवन दोषरहित होना चाहिए। अन्यथा भवन में वास्तुदोष पैदा हो... और पढ़ेंवास्तुदिसम्बर 2006व्यूस: 9378
दिल्ली में सीलिंग : वास्तु एवं ज्योतिषीय विश्लेषण फ्यूचर समाचारदेश की राजधानी दिल्ली में वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति के मस्तिष्क में एक ही प्रश्न बार-बार कौंध रहा है। की सीलिंग का क्या होगा? क्या यह सीलिंग इसी तरह से लगातार चलती रहेगी, या कुछ समय पश्चात रुक जाएगी, या इसका कुछ समाधान निकल... और पढ़ेंवास्तुदिसम्बर 2006व्यूस: 8029
वशिष्ठ संहिता के अनुसर अध्ययन कक्ष पश्चिम में प्रशस्त क्यों फ्यूचर समाचारमनुष्य के जीवन में अध्ययन का विशेष महत्व है। अध्ययन की विशेषता यह है की यह बुद्धि के कोष के ज्ञान से युक्त करता है। ज्ञान व्यक्ति को सद एवं असद में में जो भिन्नता है उससे परिचित कराता है। वास्तुशास्त्र के आर्षग्रंथों में वृहत संहि... और पढ़ेंवास्तुनवेम्बर 2006व्यूस: 9338
परिवार के मुखिया का शयन कक्ष दक्षिण में क्यों फ्यूचर समाचारब्रह्माण्ड का संचालन करने वाली प्रकृति अपने उदयकाल से एकर आजतक एक अनुशासनबद्ध तरीके से गतिमान है। इसी प्रकार की अनुशासित दिनचर्या वैदिक ऋषियों ने मनुष्य के लिए बनाई थी, जिसमें प्रात: काल जगाने से लेकर सोने तक का समय निर्धारित किया... और पढ़ेंवास्तुअकतूबर 2006व्यूस: 6367
वास्तु में जल तत्व फ्यूचर समाचारवास्तु शास्त्र में जिस पद पर जल के देव का या जल के सहयोगी अन्य देवों का स्थान होता है। उसी स्थान पर जल का स्थान शुभ माना गया है। जल के सहयोगी देव हैं। -पर्जन्य, आप:, आपवत्स, वरुण, दिति, अदिति, इन्द्र, सोम, भल्लाट इत्यादि।... और पढ़ेंवास्तुसितम्बर 2006व्यूस: 7330
अंक व वनस्पति चिकित्सा बसंत कुमार सोनीजन्मांक-1 वाले व्यक्ति अर्थात् ऐसे लोग जिनकी जन्म तारीख 1, 10, 19 या 28 होती है। उन्हें हृदय शूल, हृदयाघात, रक्त के प्रवाह में गड़बड़ी, रक्त चाप की अनियमितता (घर-बढ़) और नेत्र जनित रोगों से कष्ट हो सकता है।... और पढ़ेंअंक ज्योतिषउपायस्वास्थ्यभविष्यवाणी तकनीकचिकित्सा ज्योतिषजुलाई 2010व्यूस: 10461
अंकशास्त्र में कुंडली मिलान व स्वास्थ्य संजय बुद्धिराजाविवाह के संदर्भ में वर व वधु के नामांक मूलांकों या भाग्यांकों को ज्ञात करके दोनों के बीच कैसे संबंध रहेंगे इसका निर्णय लिया जा सकता है। स्वास्थ्य संबंधी परेशानी भी अंको ं द्वारा निश्चित कर उसका निदान किया जा सकता है आइए जानें कैसे... और पढ़ेंअंक ज्योतिषस्वास्थ्यभविष्यवाणी तकनीकजुलाई 2011व्यूस: 12393
जगत की गति का द्योतक है 108 यशकरन शर्माअंक शास्त्र के अनुसार मूलांक अर्थात 1 से लेकर 9 तक के अंक नवग्रहों के प्रतीक है। इसी प्रकार दर्शन शास्त्र ने भी अंकों के सन्दर्भ में व्याख्या की है। शिकागो के विश्वधर्म सम्मलेन में स्वामी विवेकानंद से शून्य पर बोलने को कहा गया था।... और पढ़ेंअंक ज्योतिषउपायअध्यात्म, धर्म आदिविविधअप्रैल 2013व्यूस: 10969
अंक शास्त्र में मूलांक, नामांक व् भाग्यांक का महत्व फ्यूचर पाॅइन्टसमय का पहला मापदंड अंक है, क्योकि जीवन में जो कुछ भी घटित हुआ है, हो रहा है, या होगा, उसे व्यक्त करने के लिए हमें अंकों का सहारा लेना पडता है किसी भी परिणाम का प्रारंभ और अंत अंक ही है। जीवन का प्रत्येक क्षेत्र अंक शास्त्र से बंधा... और पढ़ेंअंक ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकसितम्बर 2008व्यूस: 233038
जानें कब होगा विवाह सुनीता पवारविवाह योग्य लड़के लड़की की जन्म तारीख के आधार पर उनका मूलांक ज्ञात कीजिए फिर उस मूलांक की किस वर्ष के मूलांक के साथ समानता है देखकर विवाह का वर्ष जाना जा सकता है।... और पढ़ेंअंक ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकजुलाई 2011व्यूस: 66257
नाम बदलो भाग्य बदलेगा बी.एल शर्मामूलांक एवं भाग्यांक को बदला नहीं जा सकता लेकिन योजनाबद्ध ढंग से यदि नामांक, मूलांक और मूलांक का मेल हो जाए तो व्यक्ति का भाग्य बदलने में देर नहीं लगती। आइए जानें किस प्रकार ...... और पढ़ेंअंक ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकजुलाई 2011व्यूस: 56151