नेत्र पीड़ा ग्रस्त लोगों को और विशेषकर ऐसे लोगों को जिनकी दृष्टि कमजोर हो उन्हें समय-समय पर आंख की जांच करानी चाहिए तथा नेत्र व्याधि शमन हेतु सोते वक्त एक बूंद शहद अपनी आखों में आंजना चाहिए, परंतु शहद पूर्ण रूप से शुद्ध होना चाहिए। स्वास्थ्य रक्षा हेतु ऐसे लोग एक कप पानी में एक चम्मच शहद घोलकर नित्य शयन के पूर्व भी उसका पान कर सकते हैं।
अंक एक वालों को जनवरी, अक्तूबर और दिसंबर के महीनों में अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए। लौंग, केसर, कस्तूरी, किशमिश, कालीमिर्च, अदरक, आजवाइन, सौंठ, नींबू, जायफल जौ या जौ का पानी, खजूर, गेहूं के आटे से बनी रोटियां। संतरा, सीताफल इत्यादि वनस्पतियां अंक-1 वालों के लिए लाभदायक हैं जिनका उन्हें उचित रूप में सेवन करते रहना चाहिए।
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- जन्मांक-2 वाले स्त्री-पुरुष जिनकी जन्म तारीख 2, 11, 20, 29 होती हैं, उन्हें प्रायः उदर से संबंधित व्याधियां, पाचन तंत्र की गड़बड़ियों से उत्पन्न रोगों की संभावना रहती है। आंतों मंे ंजलन, सूजन, गैस बनना, अल्सर, ट्यूमर, पेट में जलन, जी मिचलाना आदि बीमारियां परेशानी का सबब बन जाती हैं। इन्हें जनवरी, फरवरी और जुलाई के महीनों में स्वास्थ्य व खान-पान आदि में सावधानी बरतना चाहिए। केला, ककड़ी, कलींदा, कुम्हड़ा, पŸाा गोभी, सिंघाड़ा, सलाद उपयोग में लाना लाभकारी माना गया है।
- जन्मांक-3 वाले जातक जिनकी जन्म तारीख 3, 12, 21 या 30 रहती है उन्हें कंधों का दर्द, त्वचा के रेाग जैसे दाद, खुजली, फोड़ा, फुंसी, तंत्रिकाओं में तड़फन, सूजन, कोहनी, कलाई, अंगुलियों में दर्द आदि की शिकायत होने की आशंका बनी रहती है क्योंकि ऐसे लोग घोर परिश्रमी होते हैं। कार्य-भार के आधिक्य से उनके स्नायु तंत्र पर काफी बोझ पड़ता है। ऐसे लोग अपने कार्य के प्रति कभी भी लापरवाह नहीं रहते, पूर्णरूप से सजग रहते हुए कड़ी मेहनत से अपने कार्य का संपादन करते हैं। इन्हें फरवरी, जून, सिंतबर और दिसंबर में अपनी सेहत का विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए। इनके लिए अनार, अंगूर अनानास, शहतूत, सेब, शतावर, नाशपाती, पुदीना, बादाम, केशर, लौंग, अंजीर एवं चुकंदर, स्वास्थ्य रक्षक जड़ी बूटियां मानी गई हैं, जिनके सेवन से स्नायुतंत्र की गड़बड़ी से उत्पन्न रोगों का शमन होता है।
- जन्मांक-4 किसी भी माह की 4, 13, 22 या 31 तारीख को पैदा होने वाले लोगों का होता है। इन तारीखों में जन्म लेने वाले जातकों को सदा घबड़ाहट सी होती रह सकती है और इस बात का भय बना रह सकता है कि कोई जटिल रोग न हो जावे। सिर में पीड़ा, अप्रत्याशित भय, रक्ताल्पता, भूख की कमी, मूत्र-कृच्छ, गुर्दों की बीमारी, कटि-शूल, मनोरोग, तनावग्रस्तता, मानसिक संतुलन, विकृति, उन्माद आदि रोग जन्मांक 4 वालों को कष्ट पहुंचा सकते हैं।पालक, मेथी, सलाद, प्याज, हरी तरकारियां, करेला, नीम, मीठे फल, अंक 4 वालों के लिए गुणकारी होते हैं। ऐसे जातकों को पान, बीड़ी, सिगरेट, भंाग, मांस मदिरा, चटपटे मसालेदार भोजन, लाल मिर्च आदि से परहेज रखना चाहिए। इन जातकों के लिए जनवरी, फरवरी, जुलाई, अगस्त व सितंबर इन पांच महीनों में अपने स्वास्थ्य पर विशेष गौर करना चाहिए।
- जन्मांक-5 वाले लोगों को अर्थात् अंक शास्त्र के अनुसार जिनकी जन्म तारीख 5, 14 या 23 होती हैं उन्हें मानसिक तनाव में जीने की आदत पड़ सकती है। उन्हें अनिद्रा की बीमारी खल सकती है। नैसर्गिक रूप से देखा जाए तो अंक 5 के स्त्री-पुरुष अत्यधिक मानसिक तनाव से ग्रस्त होते हैं। उनके स्नायु भी हरदम दबाव में ही होते हैं। यदि वे दर्पण देखते हैं तो उन्हें इस बात का भय बना रहता है कि कहीं उनकी आंखें, चेहरा और हाथ आदि टेढ़े तो नहीं हो गये हैं। ऐसे लोगों के लिए शांत चिŸा और प्रसन्न रहना, यथोचित विश्राम करना और निद्रा लेना (भरपूर नींद लेना) ही स्वास्थ्यवर्धक होता है। मूलांक 5 वाले लोगों को प्रतिवर्ष जून, सिंतबर और दिसंबर के महीनों में अपने स्वास्थ्य के बारे में सावधानी बरतना चाहिए। अंक 5 से प्रभावित लोगों को अनिद्रा की बीमारी और तनाव से बचने के लिए बादाम, अखरोट और नारियल की गिरि, चुकंदर और जई की रोटियों का सेवन करना चाहिए। अंक 5 के लोगों के लिए बादाम और अखरोट ही विशेष रूप से लाभकारी हैं।
- जन्मांक-6 वाले जातकों को अर्थात् जिनकी जन्म तारीख 6, 15 या 24 होती है नाक, कान, गला और फेफड़ों के ऊपरी हिस्से में रोग होने की आशंका रह सकती है। अंक 6 वाली महिलाओं को वक्षस्थल में पीड़ा, प्रजनन के पश्चात् फीवर, अधेड़ावस्था में हृदय रोग और वृद्धावस्था में रक्त संचार संबंधी विकार की आशंका रहती है। ऐसे लोगों को ख्ुाले वातावरण में रहना चाहिए जहां उन्हें शुद्ध वायु पर्याप्त रूप में मिलती रहे। मई, अक्तूबर एवं नवंबर के महीने अंक 6 के स्त्री-पुरुषों के लिए स्वास्थ्य की दृष्टि से बाधक रह सकते हैं, अतः इन महीनों में उन्हें सावधानी रखनी चाहिए। अनार, अंजीर, अखरोट सभी प्रकार की फलियां, चुकंदर, तरबूज, नाशपाती, सेब एवं बादाम आदि का सेवन स्वास्थ्यवर्द्धक होता है।
- जन्मांक-7 किसी भी माह की 7, 16 या 25 तारीख को जन्म लेने वाले स्त्री-पुरुषों को प्रभावित करता है। इन तारीखों को पैदा होने वाले जातक सामान्य लोगों की अपेक्षा अधिक चिंतातुर पाए जाते हैं। चारों ओर से उन्हें मन मस्तिष्क या तनमन पर उनके निकट का वातावरण असर डालता है और वे निराशाजन्य वातावरण में भी अपने कार्य का सही रूप में मूल्यांकन करते हैं। ऐसे लोग शरीर से निर्बल होते हुए भी मन-मस्तिष्क से सबल होते हैं। उनकी त्वचा जो कोमल होती है उसमें दाने-दाने से निकल आते हैं। जन्मांक 7 वालों को जनवरी-फरवरी और जुलाई-अगस्त के चार महीनों में अपने स्वास्थ्य के प्रति पूर्ण सावधानी रखनी चाहिए। जन्मांक सात वाले लोगों के लिए हर प्रकार के फलों का रस, ककड़ी, ‘प्याज, टमाटर, मूली, नींबू आदि’ का सलाद, सेब, संतरा, गोभी व अंगूर का सेवन तनाव और चिंता जनित रोगों का निवारण करने में लाभकारी माना जाता है।
- जन्मांक-8 के अंतर्गत ऐसे स्त्री-पुरुष आते हैं जिनकी जन्म की तारीख 8, 17 या 26 होती है। अंक शास्त्रियों ने ऐसे लोगों को वर्ष के जनवरी, फरवरी, जुलाई और दिसंबर के महीनों में पूर्ण रूप से सावधान रहने का संकेत दिया है एवं लिखा है कि अंक-8 के लोग यथासंभव अपने भोजन में ताजी हरी सब्जियां और पके फलों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। ऐसे लोगों को गठिया, वात,् मल-उत्सर्जन पीड़ा, शिरोशूल, पिŸााशय की गड़बड़ी, रक्त दोष, जिगर और आंतों से संबंधित रोगों के उत्पन्न होने की आशंका रहती है। इन्हें वाहनों, भट्टियों आदि के धुएं से होने वाले रोग भी सता सकते हैं। इन्हंे धनियां, पोदीना, लहसुन, प्याज, पालक की भाजी, गाजर व केला का उपयोग स्वास्थ्य रक्षक होता है।
- जन्मांक 9 के अंतर्गत ऐसे जातक आते हैं जिनकी जन्म तारीख 9, 18, या 27 होती है। इन तारीखों में जन्म लेने वाले लोगों को ज्वर, खसरा, माता निकलना, कफ रोग, कर्णस्राव, चक्कर आना आदि रोग होने का भय बना रहता है। इन्हें पूरे वर्ष अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए। स्वास्थ्य रक्षा के लिए अदरक, लहसुन, प्याज, लाल एवं हरी मिर्च, कालीमिर्च, तोरई, मीठे फल एवं मजीठ का प्रयोग करना लाभ प्रद होता है। गरिष्ठ भोजन, मदिरा का सेवन एवं नशीली वस्तुओं का सेवन करने से इन्हें परहेज करना चाहिए।
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