कुछ दिन पूर्व पंडित जी हिसार के एक प्रमुख सब्जी विक्रेता के यहां वास्तु परीक्षण करने के लिए गए। उनसे मिलने पर पता चला कि वह पिछले दो वर्षों से भारी दुख एवं मानसिक परेशानियों से गुजर रहे हैं। उनके पिताजी, माताजी एवं छोटे भाई की एक के बाद एक मृत्यु होती गई। पिता जी की गिरने से टांग टूट गई थी एवं कुछ दिनों के बाद उनकी मृत्यु हो गई। भाई की शराब की आदत की वजह से लीवर खराब हो गया एवं उसकी भी मृत्यु हो गई। उनको व्यापार में भी काफी नुकसान हो रहा है जिससे वह काफी टूट से गये थे। वास्तु परीक्षण करने पर पाए गए वास्तु दोष:
- उनके घर का दक्षिण-पश्चिम भाग बढ़ा हुआ था जो सभी समस्याओं का प्रमुख कारण है एवं घर के मालिक के लिए अति अशुभ होता है। दुर्घटनाएं, बीमारी, आर्थिक हानि, मानसिक तनाव बना रहता है।
- उत्तर में रसोईघर था जो भारी खर्च एवं वैचारिक मतभेद का कारण भी होता है।
- दक्षिण पूर्व-पूर्व में मुख्य द्वार लड़ाई झगडे़, धन हानि एवं घर की स्त्रियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
- उत्तर-पश्चिम में मुख्य शयन कक्ष होने से घर के मालिक की घर में स्थिरता नहीं होती है एवं घर में मन नहीं लगता।
- सीढियों के नीचे स्नानघर बना था जो कि सभी ओर से विकास में बाधक होता है एवं घर की बेटियों के लिए हानिकारक होता है। सुझाव:
- उनको सलाह दी गई कि वह दुकान से घर की ओर जाने का द्वार हटा दें और बाहर से ही आना जाना रखें या कटे हुए भाग को भी खरीद लें जिससे बिल्डिंग आयताकार हो तथा नैऋत्य कोण के बढ़ने का प्रमुख दोष दूर हो सके। यदि आवश्यक हो तो 3 फीट के बाद खिड़की रख सकते हैं परंतु द्वार को तुरंत बंद करना आवश्यक है।
- रसोईघर पूर्व में बैठक के साथ बनाने को कहा गया।
- यदि वह कटे हुए भाग को खरीद सके तो उनका मुख्य द्वार सर्वोत्तम हो जाएगा परन्तु सीढ़ियों को बदलना पडे़ेगा क्योंकि अन्यथा वह ब्रह्मस्थान पर आ जाएंगी और यदि न खरीद सकें और दुकान से आने का रास्ता बंद कर दें तो इस द्वार को पूर्व या उत्तर पूर्व में करना उचित होगा।
- मुख्य शयन कक्ष पश्चिम में बनाने को कहा गया।
- सीढ़ियों के नीचे से स्नानघर को हटाने को कहा गया और रसोईघर को पूर्व में बनाने के बाद स्नानघर को उत्तर में बनाने को कहा गया। पंडित जी के वैज्ञानिक आधार पर समझाने से व्यापारी काफी आशान्वित थे। उन्होंने समस्त सुझावों को कार्यांवित करने का वचन दिया।