मीरा कहै प्रभु हरि अविनासी,
तन मन ताहि पटै रे।’ मीरा
कहती है कि मैं तुम्हें यह कह दूं कि
मुझे जबसे यह अविनाशी मिला है,
जबसे यह शाश्वत मिला है, तब से मेरा
तन-मन, आत्मा सब एक हो गए हैं। वे
द्वंद्व भीतर के गए; मैं निद्र्वंद्व ह... और पढ़ें
देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध