श्री कृष्ण जन्मांग

यह सर्वविदित है की श्री कृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी को मथुरा में हुआ. जैसा ग्रंथों में विदित है, विक्रमादित्य संवत २०६१ में श्री कृष्ण के जन्म से ५२३० वर्ष बीत चुके हे. ज्योतिष कम्प्यूटर प्रोग्राम लियो गोल्ड एवं पाम कंप्यूटर ... और पढ़ें

ज्योतिष

अप्रैल 2004

व्यूस: 5580

श्री आद्य शंकराचार्य जी की कुंडली

वेद की अविच्छिन परम्पराओं के संरक्षक एवं आचार्यत्व कर्ता भगवान शंकराचार्य भगत्पाद का आविर्भाव आज से २५१२ वर्ष पूर्व, युद्धिष्ठिर संवत २६३१ कलि संवत २५९३ ईसा पूर्व ५१० में, केरल प्रांत के कालडी ग्राम पुन्य स्थली... और पढ़ें

ज्योतिष

जुलाई 2003

व्यूस: 8939

शयन एवं स्वप्नः एक वैज्ञानिक मीमांसा

स्वप्न क्या हैं? ये क्यों आते हैं? इनका हमारे भविष्य से क्या संबंध है? इसको समझने के लिए सबसे पहले समझते हैं नींद को। नींद क्या है? यह क्यों आती है? नींद की क्या-क्या अवस्थाएं हैं और नींद की किस अवस्था में स्वप्न आते हैं? वैज्ञान... और पढ़ें

ज्योतिषअन्य पराविद्याएंविविध

आगस्त 2003

व्यूस: 14066

सपनों का सच

सपनों का सच

मितु सहगल

ह र इंसान स्वप्न देखता है। कुछ हमें याद रहते हैं अ©र कुछ भूल जाते हैं। यदि आप अपने विचारों क¨ व्यक्त कर सकते हैं, किसी कार्य क¨ कुषलता से कर सकते हैं त¨ आप स्वप्न देखते हैं।... और पढ़ें

ज्योतिषअन्य पराविद्याएंसपने

जून 2010

व्यूस: 7516

वक्री शनि की वृश्चिक राशि में वापसी

शनि ने 26 जनवरी 2017 को सायं काल 7ः 30 मिनट पर वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश किया और 6 अप्रैल को 10ः36 मिनट पर धनु राशि में वक्री हो गये । पुनः शनि 21 जून को सायंकाल 4ः39 बजे वृश्चिक राशि में वापस आ जायेंगे और तत्पश्चात 2... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जून 2017

व्यूस: 6825

शनि : कितना शुभ, कितना अशुभ

शनि का नाम लेते ही मन में डर की भावना उत्पन्न हो जाती है. किसी के साथ कुछ भी अनिष्ट हो जाए, तो शनि को ही उसका कारण बताया जाता है. क्या शनि सच ही भयंकर ग्रह है? आइए, जानते है शनि के बारे में सच्चाई.... और पढ़ें

ज्योतिष

आगस्त 2004

व्यूस: 5427

शनि शुभ या अशुभ

शनि के प्रकोप से हर व्यक्ति डरता है। लेकिन क्या शनि प्रत्येक के लिए सर्वदा अहितकर ही है। ? ऐसा नहीं है। अपितु यह एक ऐसा ग्रह है, जिसके फल पहले से ही मालूम पड जाते है। एवं यदि प्रयास कर इसे शांत किया जाए, तो बहुत हद तक अशुभता दूर ह... और पढ़ें

ज्योतिष

जुलाई 2008

व्यूस: 15169

षट्कर्म साधन

षट्कर्म साधन

डॉ. अरुण बंसल

शरीर एवं मन के रोगों की शांति से लेकर किसी को अपनी ओर आकर्षित करने या स्तंभन करने के लिए भारतीय वेद शास्त्रों में अनेक प्रकार के अनुष्ठानों का वर्णन है। प्रसतुत लेख में षट्कर्म साधना क्रिया की विधि व विभिन्न कार्यों के लिए कौन सा ... और पढ़ें

ज्योतिषअन्य पराविद्याएंउपायबाल-बच्चेशिक्षाशत्रुमंत्रविवाहसफलतासंपत्ति

आगस्त 2010

व्यूस: 29529

ज्योतिष में तंत्र-मंत्र-यंत्र

फ्यूचर समाचार का तंत्र-मंत्र-यंत्र विशेषांक आपके समक्ष प्रस्तुत है. एक दृष्टि से देखा जाएं, तो ज्योतिष एवं तंत्र-मंत्र- यंत्र का आपस में घनिष्ठतम संबंध है. दोनों विद्याएं एक दूसरे की पूरक है. ज्योतिष द्वारा भविष्य... और पढ़ें

ज्योतिष

अप्रैल 2001

व्यूस: 2708

तंत्र क्या हैं

तंत्र क्या हैं

डॉ. अरुण बंसल

समस्त वर्ण, अक्षर, मातृका को 'मंत्र' एवानिसके संयोग -वियोग तथा साधना की क्रिया को 'तंत्र कहते हैं. संस्कृत शब्दकोष के अनुसार अति मानव शक्ति प्राप्त करने के लिए शोध ही फलीभूत होने वाली क्रिया 'तंत्र' कहलाती हैं.... और पढ़ें

ज्योतिष

अकतूबर 2004

व्यूस: 3756

यंत्र एवं जातक

यंत्र एवं जातक

डॉ. अरुण बंसल

मंत्र देवताओं के मन का कारक हैं, यंत्र देवताओं का विग्रह हैं, जिस प्रकार शरीर एवं आत्मा में संबंध होता है, उसी प्रकार मंत्र एवं यंत्र में आपसी भेद नहीं होता (यंत्र की पूजा किये बिना देवताओं भी प्रसन्न नहीं होते) अत: देवता को प्रसन... और पढ़ें

ज्योतिष

दिसम्बर 2004

व्यूस: 3366

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