शिशु जन्म समय निर्धारण कैसे करें डॉ. अरुण बंसलआज के वैज्ञानिक युग में यदि मशीनीकरण हो रहा है एवं चिकित्सा शास्त्र में उन्नति हो रही है तो शिशु जन्म प्रक्रिया में भी अनेक अंतर आए हैं। आज शिशु का जन्म शल्य चिकित्सा द्वारा अपने मनचाहे समय पर करवा सकते हैं और इस प्रकार ज्योतिष ... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2006व्यूस: 7694
ज्योतिष में अनुसंधान एवं पुनरुत्थान आभा बंसलज्योतिष में पुनरुत्थान को तीन भागों में बांटा जा सकता हैं. ज्योतिष के मूल नियम : प्रत्येक ग्रह, भाव, या राशी को ज्योतिष में किसी न किसी का कारक माना गया हैं. जैसे सूर्य को आँखों का, तो चन्द्र को मन... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणफ़रवरी 2004व्यूस: 2027
व्यापारिक दृष्टिकोण से नववर्ष 2017 जय इंदर मलिक1 जनवरी 2017, रविवार, धनु लग्न से वर्ष का आरंभ हो रहा है जिससे विशेष वर्ग प्रसन्न रहेगा। सरकार नवीन योजनाओं के लिये चेष्टा करेगी। विपक्षी दल सरकार की कमजोरियों को जनता के सामने रखने का प्रयास करेगा। व्यापारी वर्ग पर सरकारी ... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणग्रहभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2017व्यूस: 10321
कैरियर निर्माण की अनुभूत ज्योतिषीय प्रक्रिया बी. पी. विश्वकर्माज्योतिष ग्रंथों में कर्मक्षेत्र के चयन हेतु असंख्य सिद्धांत एवं नियम प्रतिपादित हैं। इन नियमों को किसी जातक की जन्मकुंडली में लागू कर उसके वास्तविक व्यवसाय का निर्धारण कर पाना अत्यंत कठिन एवं दुरूह है। सारे सिद्धांतों को लागू कर ल... और पढ़ेंज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरकृष्णामूर्ति ज्योतिषनक्षत्रग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसायसफलताअकतूबर 2005व्यूस: 12294
शनि और करियर यशकरन शर्माकरियर निर्माण में सभी ग्रहों की अलग-अलग भूमिका है। शनि सभी ग्रहों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रह है जो व्यावसायिक जीवन में स्थिरता व सुरक्षा प्रदान करता है। शनि के इसी महत्वपूर्ण गुण को उजागर करने हेतु प्रस्तुत है यह लेख जिसमें शन... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणकुंडली व्याख्याग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसायनवेम्बर 2014व्यूस: 34727
आप और आपका जीवनसाथी तन्वी बंसलप्रस्तुत लेख में अपने बारे में जानने के लिए अपने लग्न अनुसार पढ़ें। यदि लग्न न मालूम हो तो चन्द्र राशि अनुसार पढे़ं। यह भी न मालूम हो तो जन्म तारीख अनुसार सूर्य राशि ज्ञात कर लेख पढ़ें । लग्न जो कि जन्म तारीख, समय व स्थान पर निर्भर... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणभविष्यवाणी तकनीकराशिआगस्त 2015व्यूस: 15864
सफल शिक्षक बनने के ग्रह योग भावेश जोशीशिक्षक का हमारे समाज में महत्वपूर्ण स्थान होता है। किसी भी छात्र को योग्य बनाने व उसको शारीरिक व मानसिक तौर पर सक्षम बनाने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। जैसा कि हमारे शास्त्रों में विदित है माता-पिता के पश्चात वह गुरु ह... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसायमई 2016व्यूस: 16996
दूषित गजकेसरी योग धमान नहीं वजन बढ़ता है सीताराम सिंहभारतीय ज्योतिष में मान, सम्मान, समृद्धि कारक योगों में ‘गजकेसरी योग’ का विशिष्ट स्थान है। यह योग बृहस्पति और चंद्रमा की परस्पर केंद्र स्थिति से बनता है (केंद्र स्थिते देवगुरौ) मृगांकात योस्तदाहुगर्जकेसरीति। जातक परिजात, ;टप्... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकमार्च 2015व्यूस: 20615
फर्श से अर्श तक पंच कोटि महामनी के विजेता सुशील कुमार आभा बंसलबिहार राज्य के मोतीहारी जिले के सुशील कुमार ने कौन बनेगा करोड़पति प्रतियोगिता में पांच करोड़ जीतकर अपने प्रदेश एवं जिले का नाम तो रोशन किया ही है साथ ही अपने घर की दयनीय आर्थिक स्थिति भी सुधार ली।... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीकदिसम्बर 2011व्यूस: 14045
कालसर्प दोष शान्ति के उपाय रश्मि चैधरीराहु -केतु की प्रथम (लग्न भाव) से लेकर द्वादश भाव तक स्थिति के अनुसार १२ प्रकार के कालसर्प दोष देखने में आते हैं। जिनका फल भी भिन्न-भिन्न होता हैं तथा भावों के अनुसार बनने वाले कालसर्प दोष की शान्ति के उपाय भी पृथक पृथक ही करने चा... और पढ़ेंज्योतिषउपायज्योतिषीय विश्लेषणघरभविष्यवाणी तकनीकमार्च 2013व्यूस: 12185
गूंगा बहरा होने के ज्योतिषीय कारण एवं उपाय फ्यूचर पाॅइन्टगूंगापन: जन्मलग्न या चंद्र लग्न से द्वितीय भाव वाणी का प्रतिनिधित्व करता है तथा बुध ग्रह को वाणी का कारक माना गया है। द्वितीय भाव, द्वितीयेश या कारक ग्रह बुध के पाप ग्रस्त या दुःख स्थानों में होने पर यह दोष उत्पन्न होता है।... और पढ़ेंज्योतिषउपायज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2011व्यूस: 20994
विधाता ने जब सब कुछ कुंडली में लिखा है तो उपाय क्यों? अक्षय शर्माविधि के लिखे लेख ऐसी गूढ़ लिपि में लिखे होते हैं जिसकी भावार्थ, शब्दार्थ सहित पूर्ण व्याख्या कभी संभव नहीं हो सकती। फलतः मनुष्य के कर्म क्षेत्र में उपायों की गुंजाइश बनी ही रहती है।... और पढ़ेंज्योतिषदेवी और देवज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगविविधजनवरी 2012व्यूस: 9574