गंभीर वास्तु दोष है रसोई घर में दक्षिण का सिंक पं. गोपाल शर्मा पिछले दिनों बिगड़ती आर्थिक स्थिति और गिरते स्वास्थ्य से परेशान एक सज्जन के मकान का वास्तु निरीक्षण किया गया। सज्जन की आर्थिक स्थिति एवं स्वास्थ्य में यह गिरावट उनके इस नए मकान में आने के समय से ही शुरू हो गई थी। निरीक्षण के समय तक वह दिवालिया होने की स्थिति में आ गए थे। निरीक्षण में निम्न दोष पाए गए- Û उत्तर-पश्चिम एवं दक्षिण पश्चिम के कोने कटे हुए थे। दक्षिण-पश्चिम का कटना स्वास्थ्य एवं आर्थिक समस्याओं को जन्म देता है। उत्तर-पश्चिम के कटे होने से मानसिक तनाव बढ़ता है और परेशानी के समय कहीं से भी सहायता नहीं मिलती। उत्तर की सीढ़ियां आय में रुकावट डालती एवं कर्जदार बनाती हैं। ब्रह्मस्थान में शौचालय था। यह एक गंभीर वास्तु दोष है जो दीवालिया तक बना सकता है। उत्तर-पश्चिम और उत्तर में मुख्य प्रवेश द्वार भी ठीक नहीं होता। यह मानसिक तनाव एवं शत्रुता का कारण होता है। रसोईघर में बर्तन धोने का सिंक दक्षिण में था। यह एक गंभीर वास्तु दोष है जिसके कारण परिवार में सदस्यों के बीच मतभेद एवं तनाव बना रहता है। मुख्य प्रवेश द्वार दोनों तरफ बने स्तंभों से ऊंचा था, जिसके फलस्वरूप खर्च पर नियंत्रण नहीं था। ऊपर वर्णित दोषों के निवारणार्थ निम्न सुझाव बताए गए- दक्षिण-पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिम में परगोला बनाने को कहा गया ताकि घर की इमारत आयताकार हो सके। ब्रह्मस्थान पर बने शौचालय को उत्तर की तरफ सीढ़ियों के निकट करने को कहा गया। रसोईघर में सिंक को पश्चिम में स्थानांतरित करने की सलाह दी गई। सिंक का सबसे उचित स्थान उत्तर में होता है, पर यह संभव नहीं था, अतः इसे पश्चिम में करने के लिए कहा गया। मुख्य प्रवेश द्वार को उत्तर और सीढ़ियों को उत्तर-पश्चिम में बनाने की सलाह दी गई। द्वार के स्तंभों को ऊंचा करने और इसके ऊपर द्वार से ऊंची लाइट लगाने की सलाह दी गई। सभी सुझावों को कार्यान्वित करने पर उक्त सज्जन को काफी हद तक लाभ मिला।