मौनी अमावस्या

मौनी अमावस्या

फ्यूचर समाचार

माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या मौनी अमावस्या के नाम से प्रसिद्द है। इस दिन प्रात: काल ब्रह्मा मुहूर्त में जागकर दैनिक संध्या चंदनादि कृत्यों को पूर्ण कर मौनव्रत का संकल्प लेते हुए ईश्वर से प्रार्थना करें की आज से मौनी अमावय्सा ... और पढ़ें

अन्य पराविद्याएंउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 9642

गणेश जी का जन्म और उनकी महिमा

भगवान श्री गणेश का व्यक्तित्व अपने आप में अनूठा है। हाथी के मस्तक वाले ज्ञानी और विध्नहर्ता श्री गणेश काआहन मूषक है। इनकी दो पत्नियां ऋद्धि-सिद्धि है। इनकी पुत्री कलयुग में पूजनीय संतोषी माता है। किसी भी कार्य को करने के पूर्व... और पढ़ें

देवी और देव

जनवरी 2007

व्यूस: 25063

श्रीगणेश एक परिचय

श्रीगणेश एक परिचय

फ्यूचर समाचार

गणेश परमात्मा का विध्ननाशक स्वरूप है। तैतीस करोड देवताओं में श्रीगणेश का महत्व सबसे विलक्षण है। अत: प्रत्येक कार्य के आरंभ में, किसी भी देवता की आराधना के पूर्व किसी भी सत्याकर्मानुष्ठान में,किसी भी उत्कृष्ट से उत्कृष्ट एवं साधारण... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 10209

श्रीगणेश के प्रमुख आठ अवतार

मुद्गल पुराण में कहा गया है की विध्नविनाशन गणेश के अनेक अवतार है। उनका वर्णन सौ वर्षों में भी संभव नहीं है। उनमें कुछ मुख्य है। उन मुख्य अवतारों में भी ब्रह्माधारक आठ मुख्य अवतार है। उन आठ अवतारों की अत्यंत संक्षिप्त कथा इस प्रकार... और पढ़ें

देवी और देवउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 10061

गणेश प्रथम पूजनीय क्यों

किसी भी कार्य का प्रारंभ भगवान गणेश जी की पूजा से किया जाता है। उन्हें विध्नहर्ता के नाम से जाना जाता है। उनका नाम स्मरण करने से अभिप्राय है काय का निर्विध्न संपन्न होना। गणेश जी में ऐसी क्या विशेषताएं है। कि उनकी पूजा समस्त देवों... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 20459

गणपति एवं अन्य देवों की पूजन विधि

श्रीगणेश भगवान भाद्रमास की चतुर्थी तिथि और ग्रह नक्षत्रों के मंगलमय योग में आदि देव शिव के यहाँ विराट रूप में पार्वती जी के सम्मुख अवतरित हुए। तब माता पार्वती बोलीं- प्रभु अपने पुत्र रूप का दर्शन कराएं। तब भगवान श्री गणेश जी अपना ... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 17724

सर्वव्यापी गणपति

सर्वव्यापी गणपति

फ्यूचर समाचार

ईश्वर की प्राप्ति के लिए उसकी भक्ति और उपासना जरुरी है। गणेश जी का प्रथम रूप ओंकार है। ओंकार ही विश्व बीज, वेद बीज, मंत्रबीज परब्रह्मा से प्रकट हुआ प्रथम अंकुर है। श्री गणेश जी देवता सृष्टि के आध्या तत्व है। उन्हीं को प्रथम वंदन... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 8061

श्रीगणेश के प्रमुख स्थल एवं उनका महत्व

पंचदेवों में से एक, पार्वती – शिव के आत्मज, समस्त देवी-देवताओं में सर्वाग्रपूज्य और सनातन हिंदू धर्म –शास्त्रों एवं हिंदुओं के जन-जीवन में अत्यधिक परिव्याप्त भगवान श्री गणेश के सभी तीर्थ-स्थलों, मूर्तियों और क्षेत्रों आदि का पूर्ण... और पढ़ें

देवी और देवस्थानउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 14476

वर्षकुंडली : फल विवेचन

भारतीय ज्योतिष में फल कथन करने की कई प्रकार की पद्वतियां हैं जिनमें एक पद्वति वर्ष कुंडली से एक वर्ष का फल कथन करने की है। इस पद्वति को ताजिक भी कहते है। सभी पद्वतियों का लक्ष्य फल कथन करना ही है। जहां जन्म कुंडली जातक के जीवन भर ... और पढ़ें

ज्योतिषअन्य पराविद्याएंउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 20248

श्रद्धा और शक्ति का धाम श्री गर्जिया मंदिर

कहा जाता है की “ विश्वासं हि फलदायक “ और यह अक्षरश: सत्य है। यह श्रद्धा ही है। जो सच्ची हो तो भक्त को भगवान के दर्शन हो जाते है। ऋषि मुनियों और भक्तों की श्रद्धा के वशीभूत ही भारत की पवित्र भूमि पर अनेक देवी-देवताओं ने विभिन्न... और पढ़ें

देवी और देवस्थानउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 6929

बीजमंत्र एवं उनके अर्थ

मंत्रार्थ : मंत्र साधना के रहस्य-वेताओं के अनुसार – “ अमन्त्रमक्षरं नास्ति नास्तिमूलमनौषधम अर्थात कोई ऐसा अक्षर नहीं, जो मंत्र न हो और कोई ऐसी वनस्पति नहीं, जो औषधि न हो। केवल आवश्यकता है अक्षर में निहित अर्थ के मर्म को और वनस्पति... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 26694

हाथ की रेखाओं से जाने कैसा मिलेगा जीवन साथी

बच्चों के युवा होते ही माता-पिता उनके कैरियर और विवाह की सोचने लगते है। बच्चों के सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए ही माता-पिता उनकी कुण्डलियां मिलाते है। कुंडलियों के अभाव में हाथों की रेखाओं के आधार पर विवाहिक जीवन और संतति की... और पढ़ें

हस्तरेखा शास्रउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 140582

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