मौनी अमावस्या
मौनी अमावस्या

मौनी अमावस्या  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 8846 | जनवरी 2007

माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या ‘मौनी अमावस्या’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन प्रातः काल ब्राह्म मुहूर्त में जागकर दैनिक संध्या वंदनादि कृत्यों को पूर्ण कर मौनव्रत का संकल्प लेते हुए ईश्वर से प्रार्थना करें कि आज मैं मौनी अमावस्या के पवित्र पर्व पर मौन व्रत धारण करूंगा, अतः हे दया के सागर, करुणा निधान, दीनबंधु दीनानाथ, परमप्रभु आप मुझे सामथ्र्य प्रदान करें ताकि मैं मौनव्रत को धारण करने में समर्थ हो सकूं। मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है।

इसलिए इस व्रत को मौन धारण करके समापन करने वाले को मुनि पद की प्राप्ति होती है और वह भगवान का प्रिय बन जाता है। मौनी अमावस्या के दिन सोमवार का योग हो, तो उसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इस दिन त्रिवेणी अथवा गंगा के किनारे स्नान-दान की विशेष महिमा है। मौनी अमावस्या के दिन यदि रविवार, व्यतिपात योग और श्रवण नक्षत्र हो तो ‘अर्धोदय योग’ होता है।

इस योग में सभी स्थानों का जल गंगा तुल्य हो जाता है। सभी ब्राह्मण भी ब्रह्मसन्निभ शुद्ध ात्मा हो जाते हैं। अतः इस योग में यत्किंचित् किए हुए पुण्य, धर्म, स्नान, दानादि का फल भी अनंत गुना अर्थात मेरु पर्वत के समान होता है।

अर्धोंदय योग के अवसर पर सत्य युग में वशिष्ठ जी ने, त्रेता में भगवान रामचंद्र जी ने, द्वापर में धर्मराज ने और कलियुग में पूर्णोदार (देव विशेष) ने अनेक प्रकार के दान, धर्म किए थे। अतः धर्मज्ञ सत्पुरुषों को दान, धर्म आदि अवश्य करने चाहिए।

यह पावन दिन सृष्टि संचालक मनु महाराज का जन्म दिवस भी है, अतः इस दिन विभिन्न प्रकार के दान गौदान, स्वर्ण दान, तिल, तिल के लड्डू, तिल के तेल, आंवले, वस्त्रादि का दान करना चाहिए। इस दिन साधु, महात्मा तथा ब्राह्मण् ाों के सेवन के लिए अग्नि प्रज्वलित करनी चाहिए तथा उन्ह ंे रजाइर्, कबं ल आदि जाड़े के वस्त्र देने चाहिए।

तैलमामलकाश्चैव तीर्थे देयास्तु नित्यशः।

ततः प्रज्वालयेद्र्वा ह्नै सेवनार्थे द्वि जन्मनाम्।।

कम्बलाजिन रत्नानि वासांसि विविधानि च।

चोलकानि च देयानि प्रच्छादन पटास्त. था।।

इस दिन गुड़ में काले तिल मिलाकर मोदक बनाने चाहिए तथा उन्हें लाल वस्त्र में बांधकर ब्राह्मणों को देना श्रेयस्कर है। इसी पुण्य पर्व पर विभिन्न प्रकार के नैवेद्य मिष्टान्नादि षट्रस व्यंजनों से ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें द्रव्य दक्षिणादि से संतुष्ट कर प्रणामादि कर सादर विदा करना चाहिए।

इस दिन पितृ श्रद्धादि करने का भी विधान है, अतः पितरों के निमित्त तर्पण, पिंड दानादि कृत्यों को भी अवश्य ही करना चाहिए। गौशाला में गायों के निमित्त हरे चारे, खल, चोकर, भूसी, गुड़ आदि पदार्थों का दान देना चाहिए तथा गौ की चरण रज को मस्तक पर धारण कर उसे साष्टांग प्रणाम करना चाहिए।

कम्बलाजिन रत्नानि वासांसि विविधानि च।

चोलकानि च देयानि प्रच्छादन पटास्त. था।।

इस दिन गुड़ में काले तिल मिलाकर मोदक बनाने चाहिए तथा उन्हें लाल वस्त्र में बांधकर ब्राह्मणों को देना श्रेयस्कर है। इसी पुण्य पर्व पर विभिन्न प्रकार के नैवेद्य मिष्टान्नादि षट्रस व्यंजनों से ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें द्रव्य दक्षिणादि से संतुष्ट कर प्रणामादि कर सादर विदा करना चाहिए।

इस दिन पितृ श्रद्धादि करने का भी विधान है, अतः पितरों के निमित्त तर्पण, पिंड दानादि कृत्यों को भी अवश्य ही करना चाहिए। गौशाला में गायों के निमित्त हरे चारे, खल, चोकर, भूसी, गुड़ आदि पदार्थों का दान देना चाहिए तथा गौ की चरण रज को मस्तक पर धारण कर उसे साष्टांग प्रणाम करना चाहिए।

मौन व्रत जीवन का अद्वितीय व श्रेष्ठतम व्रत है। इस व्रत में भगवत् नामों का प्रतिक्षण स्मरण करते रहना चाहिए। भागवत जी के श्लोको,ं विष्ण् ाुसहस्रनाम, गीता आदि का पाठ भी मौन रहकर ही करना चाहिए। मौन से आत्मबल मिलता है। कबीरदास जी कहते हैं-

‘‘वाद विवाद विष घना, बोले बहुत उपाध।

मौन रहे सबकी सहे, सुमिरै नाम अगाध।।’’

ग्रामीण भाषा में भी तो कहा गया है - एक चुप्प सौ को हरावै।। श्रीमद् भागवत के माहात्म्य में भी वर्णित है कि देवर्षि नारद जी आकाशवाणी के द्वारा यह सुनकर कि ‘तुम भक्ति महारानी के दुखों को ‘सत्कर्म’ के द्वारा दूर कर सकते हो और यह कर्म संत शिरोमणि महानुभाव बताएंगे’ संतों मुनियों के आश्रम पर जा जाकर पूछने लगे कि ‘सत्कर्म’ क्या है?

तब कोई मुनि तो सुनकर चुप ही रह गए, मौनी अमावस्या व्रत धारण कर लिया। यथा- ‘‘मूकीभूतास्तथान्ये तु’’ मौन व्रत रहते हुए ही देवताओं का षोडशोपचार पूजन भी करें। निराहार या फलाहार जैसे भी इस व्रत का पालन कर सकें करें। 

जीवन में जरूरत है ज्योतिषीय मार्गदर्शन की? अभी बात करें फ्यूचर पॉइंट ज्योतिषियों से!



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.