विभिन्न धर्म एवं ज्योतिषीय उपाय प्रश्न: क्या ज्योतिषीय उपाय बताते समय जातक के धर्म का विचार भी आवश्यक है? या सभी जातकों के लिए ज्योतिष में एक समान उपाय ही हैं? यदि विभिन्न धर्म के जातकों के लिए अलग-अलग उपाय हैं, तो हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, पारसी या अन्य धर्म के जातकों के लिए विभिन्न समस्याओं हेतु आप क्या उपाय बतायेंगे। जातक, विभिन्न धर्म एवं उपाय: इस ब्रह्मांड में तीन चीजें विद्यमान (दृश्य/अदृश्य रूप में) हैं- परमात्मा, प्रकृति (जगत) और प्राणी (जीव)। ये तीनों सदा हैं और सदा ही रहेंगी। यह जगत कर्म प्रधान है तथा इसके कर्Ÿाा प्राणी हैं। परमात्मा इन दोनों के मध्य सेतु का कार्य करते हैं अर्थात् दोनों को कार्यों का फल देते हैं। परमात्मा यह फल प्रकृति (सौर मण्डल) के माध्यम से जीवों को देते हैं। इस ब्रह्मांड अर्थात् प्रकृति में अनेक सौरमण्डल हैं। इनमें से एक सौरमण्डल में पृथ्वी पर मनुष्य आदि समस्त जीव वास करते हैं। इस सौरमण्डल में 2 छाया ग्रहों- राहु एवं केतु को मिलाकर कुल 9 ग्रह- 7 अन्य- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति (गुरु), शुक्र व शनि एवं 12 राशियां तथा 27 नक्षत्र हैं तथा संपूर्ण सौरमण्डल को 12 भागों में बांटा है। जहां ग्रह, राशियों एवं नक्षत्रों के बीच गति करते हैं, ये भाग जन्मकुंडली के 12 भाव (घर) कहलाते हैं, जिनसे मनुष्य (जातक) आदि जीवों के ऊपर घटने वाली विभिन्न घटनाओं का विचार किया जाता है। ग्रहों, नक्षत्रों, राशियों एवं भावों को ज्योतिष विद्या के अंतर्गत गिना जाता है, जो जातक द्वारा किये गये कर्मों का फल (चाहे ये पूर्वजन्म के या वर्तमान अर्थात् इस जन्म के अथवा अगले जन्म के अर्थात् तीनों ही काल के क्यों न हों), पाप एवं पुण्य अर्थात् दुःख-सुख के रूप में देते हैं। इस सौरमण्डल में पृथ्वी पर ही सभी धर्मों के जातक निवास करते हैं अतः ग्रहों का प्रभाव भी सभी धर्मों के जातकों के लिए एक समान अर्थात् ग्रह विशेष से संबंधित होते हैं। सौरमण्डल के ज्योतिष का ज्ञान परमात्मा द्वारा अदृश्य रूप से दिया गया दिव्य ज्ञान है जो केवल एक ही धर्म अर्थात् सत्य को जानता है और इसके अनुसार ही विभिन्न धर्मों के जातकों को शुभ, अशुभ फल मिलते हैं। इस पृथ्वी पर अलग-अलग धर्मों के जातक निवास करते हैं, ये धर्म मनुष्य द्वारा ही निर्मित धर्म हैं न कि परमात्मा द्वारा। प्राचीन, अनादिकाल से एक ही धर्म ‘‘हिंदू’’ जिसे ‘‘सनातन धर्म’’ भी कहते हैं, चला आ रहा है। यह हिंदू, सनातन धर्म, हिंदू शास्त्र पर आधारित धर्म है। हिंदू शास्त्र में जातकों की निम्न चार श्रेणियां हैं- जैसे-जैसे मनुष्य ने उन्नति की नये आविष्कार एवं खोजें की, तो इससे नया ज्ञान मिला जिसके फलस्वरूप मनुष्य की मानसिकता (सोच) में बदलाव आया। तब निम्न वर्गों ने भी दासता का जीवन (कर्म) छोड़कर उच्च वर्गों की भांति व्यापार, युद्ध, विद्या आदि का कार्य करना चाहा। तब यहां से ‘हिंदू’ धर्म में से विभिन्न धर्मों जैसे- मुस्लिम (इस्लाम), सिक्ख, ईसाई, पारसी, बौद्ध, जैन आदि का जन्म हुआ अर्थात् जातक विभिन्न धर्मों में बंटे। ये सभी धर्म तो मनुष्य द्वारा निर्मित धर्म थे। अतः इनके ज्योतिषीय उपाय भिन्न कैसे हो सकते हैं अर्थात् ज्योतिषी उपाय समान होने चाहिए क्योंकि ज्योतिषीय तो परमात्मा द्वारा निर्मित सौरमण्डल के ग्रहों, नक्षत्रों आदि की दिव्य अदृश्य विद्या है अर्थात् ज्योतिषीय उपाय बताते समय जातक के धर्म का विचार करना आवश्यक नहीं हैं। वैसे सभी धर्मों के जातकों के लिए उपाय समान ही रहते हैं फिर भी जातक चाहे तो अपने-अपने धर्म विशेष के उपाय कर सकते हैं। उपाय किसी भी धर्म-विशेष के हों, समस्या से संबंधित सही उपाय करने पर लाभ मिलेगा अन्यथा हानि भी हो सकती है। उदाहरण, जैसे- भगवान श्रीकृष्ण की जन्मकुंडली में लग्न एवं राशि का स्वामी एक ‘शुक्र’ ग्रह छठे भाव में नवमेश एवं दशमेश शनि के साथ स्थित था तथा पंचमेश बुध भी पंचम में ही स्वगृही, उच्च स्थित था। यहां पर श्रीकृष्ण के लिए उपाय के रूप में हीरा या सफेद पुखराज, नीलम एवं पन्ना का सुझाव देना लाभदायक होगा। जबकि कि माणिक (जो कि शुक्र के शत्रु ग्रह सूर्य का रत्न है), पीला पुखराज एवं मूंगा (ये भी शत्रु रत्न हैं) पहनाने पर हानि करेगा। अतः इनका सुझाव देना अशुभ रहेगा। यहां पर यदि सूर्य, बृहस्पति एवं मंगल का उपाय करना हो तो अन्य उपाय जो विभिन्न धर्म से संबंधित हांे, कर सकते हैं। चूंकि श्रीकृष्ण यादव वंश व हिंदू धर्म के थे। अतः लाल किताब के सूर्य, बृहस्पति एवं मंगल के उपाय करने पर लाभ ही मिलेगा। चाहे जातक का धर्म कोई भी क्यों न हो, ज्योतिषीय उपाय से लाभ होगा क्योंकि वे जातक के धर्म पर निर्भर नहीं करते हैं। हां, अलग-अलग धर्मों के कुछ उपाय अलग-अलग हो सकते हैं। जैसे- हिंदू धर्म का जातक किसी भी हिंदू धर्म के देवता के मंदिर में जा सकता है। मुस्लिम धर्म का जातक मस्जिद में जाता है तथा सिक्ख एवं ईसाई धर्म के जातक क्रमशः गुरुद्वारे एवं गिरजाघर में जाते हैं। यह जातक की अपने धर्म के प्रति आस्था वाली बात है। यदि एक हिंदू धर्म वाला जातक मस्जिद, गुरुद्वारे, गिरजाघर आदि में जाता है, तो वहां जाने पर भी उस हिंदू जातक को लाभ ही होगा, हानि नहीं होगी क्योंकि ईश्वर तो एक ही है परंतु इनके रूप अनेक हैं जो अलग-अलग धर्मों में अवतरित होकर मानव को संगठित होने का संदेश देते हैं। वेदों में वर्णित है कि जब सत्य/धर्म की हानि होती है तो श्रीहरि (पालनहार) ने अलग-अलग समय में अलग-अलग रूप (अवतार) धारण किये थे तथा धर्म की पुर्नस्थापना की थी। अभी तक श्रीहरि/विष्णु ने 23 अवतार (रूप) धारण किये हैं तथा 24वां अवतार आने वाला है। बुध ग्रह के अंश से बौद्ध अवतार एवं अन्य रूप महावीर स्वामी ने क्रमशः बौद्ध एवं जैन धर्म में अवतरित होकर धर्म की स्थापना की। हालांकि उनकी यह स्थापना अन्य रूप (अवतार) की भांति रौद्र रूप वाली न थी। परंतु ज्ञानात्मक थी। उन्होंने ज्ञान का दिव्य संदेश् देकर धर्म की स्थापना की। विभिन्न धर्मों के उपाय, विश्लेषण: 1. हिंदू धर्म: हिंदू धर्म जगत की उत्पŸिा का आधार वेदों को मानता है तथा ‘‘गायत्री’’ वेदमाता हैं। इनसे ही प्रकृति के तीनों तत्वों का निर्माण हुआ। जिसे संक्षेप में सारणी-1 में दर्शाया गया है- हिंदू धर्म का संकेत ‘‘ऊँ’’ है। भगवान विष्णु जगत का पालन (धर्म/ सत्य का पुनस्र्थापन होने) करने के लिए विभिन्न रूप समयानुसार एवं आवश्यकतानुसार धारण करते हैं। उन्होंने अभी तक 23 अवतार (रूप) धारण किये हैं तथा 24वां अवतार ‘‘कल्कि’’ जोकि ‘‘परशुरामजी’’ के समकक्ष ही होगा, आना बाकी है। नौ ग्रहों के अंश से श्रीविष्णु ने जो भी अवतार धारण किये, उन्हें निम्न, सारणी-2 में दर्शाया गया है, हिंदू धर्म या अन्य धर्म के जातक इन्हें उपाय के रूप में करके लाभ ले सकते हैं। इन सबके अलावा हिंदू धर्म में कुछ देवी-देवता की भी पूजा करते हैं। इससे भी विभिन्न समस्याओं जैसे- विवाह, यथेच्छ संतान न होना, शिक्षा में रुकावट, बेरोजगारी, व्यापार में घाटा, धनाभाव, प्रमोशन व भाग्य बाधा स्वास्थ्य हानि मुकदमा, दुर्घटना, मृत्यु (अकाल) आदि में इनकी पूजा से लाभ मिलता है। जब तक इच्छित फल की प्राप्ति न हो, तब तक अपनी मनपसंद वस्तु का त्याग करने से भी लाभ होता है। अन्य धर्म के जातक भी इस उपाय को करके लाभ ले सकते हैं। 2. मुस्लिम (इस्लाम) धर्म: इस्लाम धर्म के जातक अपने भगवान यानी अल्लाह को याद करते हैं। मुहम्मद, अल्लाह के पैगम्बर हैं। अल्लाह को दिन में 5 बार नमाज पढ़कर याद किया जाता है। शुक्रवार (जुम्म) इनका विशेष दिन है। अल्लाह को याद करने पर मुस्लिम जातक को सभी समस्याओं में लाभ मिलता है तथा जीवन में बरकत होती है। इसके अलावा मुस्लिम धर्म के जातक अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए अल्लाह के दरबार अर्थात् मस्जिद में भी जाकर उपाय करते हैं। वे लाल किताब व अरबी ज्योतिष जो उर्दू में लिखे गये हैं, इनके उपाय करके विभिन्न परेशानियों में लाभ लेते हैं। इसके अलावा मुस्लिम धर्म के जातक बच्चों की नजर उतरवाने के लिए मौलवी की सहायता लेते हैं जो झाड़-फूंक विधि से बच्चों व बड़ों की नजर उतारकर उपाय करते हैं। गले या हाथ में ताबीज या मौली का डोरा भी अभिमंत्रित करके बांधने का एक पारम्परिक उपाय है। इससे जीवन सुखमय , खुशनुमा रहता है। जातक स्वस्थ रहता है शिक्षा, नौकरी, पद, विवाह, संतान, धन, मकान, रोटी आदि परेशानियांे में लाभ मिलता है। मुस्लिम अर्थात् इस्लाम धर्म में ‘‘लुकमानी फालनामा’’ है, जो हकीम लुकमान ने दिया था। कोई बीमार व्यक्ति या अन्य जातक इस फालनामे पर अल्लाह या अपने इष्टदेव को यादकर इस चार्ट पर मध्यमा अंगुली (एडी) रखकर अपनी समस्याओं के हल (उŸार) प्राप्त कर सकते हैं। हकीम लुकमान फालनामा चार्ट के फल (उŸार) एवं उपाय: 1. फल उम्दा है। सफर पे जा, तमन्ना पूर्ण होगी। बच्चा होने वाला हो, तो खुशी मिलेगी। बड़े लोगों के साथ मिलने से नजरें इनायत हो। 2. ख्यालात पूर्ण होंगे। पूर्व दिशा की तरफ जाने से अवश्य ही उम्दा फायदा होगा। जानवरों के साथ या खरीद फरोख्त से सुकूनेखास होगा। 3. मुश्किल बढ़ेगी। जो भी तमन्ना दिल में है वह दिल में ही रह जायेगी अर्थात् पूरी ही होगी। इल्जाम लगेगा। उपाय के रूप में जुम्मे के दिन एक फकीर को दो रोटी, दो पैसे और दो हल्दी दें, बरकत होगी। 4. यह वक्त परेशानी का है। लापता या बिछुड़ा इंसान मिलेगा। यदि बीमार हैं, तो ख्यालेखास रख बर्ना बीमारी बढ़ेगी। 30 दिन सब्र कर, खुद पे यकीन कर, उसका रहमोकरम होगा। यह इसका उपाय है। 5. यह फल नजरे इनायत हैं, तू खुश होगा। एक इŸाफाक ऐसा जुड़ेगा कि खुशी दूनी हो जायेगी। 6. फाल अर्थात् फल उम्दा है, सब्र कर। वक्त लगेगा, मगर सब धीरे-धीरे पूरा होगा। अभी तकलीफों में है, सब्र रख 24 दिन बाद वक्त बदलेगा। अच्छा होगा। यही उपाय है। 7. फाल खराब है। तकलीफंे बढ़ेंगी। शादी में देर कर, तमन्नाओं में अडंगे आयेंगे। इल्जाम न लगे अतः तू सावधान रह। 8. वक्त का चाल समझ। 15 दिन तक रुक जा। बुजुर्गों से सलाह लेके उपाय कर। 9. फाल (फल) उम्दा है, रहमोकरम होगा। सुकूने खास मिलेगा। 10. शादी के लिए वक्त अच्छा है, बड़े-बुजुर्गों, इंसानों से मिल, बरकत होगी। 11. फाल उम्दा है। तमन्ना पूरी होगी। व्यापार में बरकत होगी। 12. फाल उम्दा है। काम में बरकत होगी। मिजाज खुश होगा। बैल (पशु), जानवर से तकलीफ होगी, अतः सावधान रह, बचकर चलने का उपाय कर। 13. मर्ज दूर होगी। दुश्मन दूर होंगे। वक्त अच्छा आ रहा है। 14. चांद बेहतर है, राजदरबार से लाभ होगा। 15. कलम से ताकत बढ़ा। लेखन कार्य अधिक कर, बरकत होगी। 16. मुकद्दर बनेगा, बढ़ेगा। बुधवार को तीन आंवला, हल्दी के रंग का कपड़ा व दो पौधे किसी गरीब को देने का नेक कार्य कर। यह उपाय मुस्लिम के अलावा अन्य धर्म के जातक भी करके विभिन्न समस्याओं के फल व उपाय जानकर फायदा ले सकते हैं। यह सभी के लिए है। इनका प्रमुख त्यौहार ईद और रोजा रखना है। इससे भी समस्याओं में लाभ मिलता है। मुस्लिम धर्म में मस्जिद के अलावा ‘‘दरगाह’’ में भी विभिन्न परेशानियांे की मुक्ति के लिये जाते हैं। इनके धर्म का संकेत ‘‘786’’ शुभ है। इनमें ‘अल्लाह’ को ‘‘खुदा’’ भी कहते है। इनमें हज यात्रा (मक्का, मदीना) जीवन में एक बार (कम से कम) करना भी शुभ रहता है। 3. सिक्ख धर्म: सिक्ख धर्म में भी निम्न दो श्रेणी हैं- Û पगड़ी वाले: पगड़ी वाले सिक्ख के गुरु श्रीनानक हैं। पूर्णिमा को जिनकी गुरु नानक जयंती के रूप में मनायी जाती है। इस धर्म वाले जातक अपनी समस्याओं के उपाय के लिये ‘‘गुरुद्वारे’’ जाते हैं। इनके गुरु को ‘‘वाहे गुरुजी’’ से संबोधित करते हैं। गुरुद्वारे में ग्रंथीजी होते हैं जो विभिन्न गुरुओं की वाणी सुनाते हैं। गुरुद्वारे जाकर सिर ढककर बैठकर प्रार्थना करते हैं, गुरु ग्रंथ के व्रतों का पालन करते हैं, माथा टेकते हैं, इनकी वाणी के लिखे गुटके भी पढ़ते हैं, पस्र ाद पात े ह।ंै आजकल सिंधी धर्म समाज के लोग भी गुरुद्वारे जाते हैं। इनके अलावा इनकी आस्था ‘‘साईं बाबा’’ के प्रति भी है। अतः विभिन्न परेशानियों में इन्हें याद करते हैं। Û बिना पगड़ी वाले: बिना पगड़ी वाले सिक्ख धर्म के जातक ‘‘एक तू ही निरंकार’’ में विश्वास रखते हैं हालांकि ये भी गुरुद्वारे जाते हैं उपाय के रूप में ये भी गुरु की प्रार्थना करते हैं जिससे विभिन्न समस्याएं दूर होकर लाभ मिल सके। 4. ईसाई एंव पारसी धर्म: ईसाई धर्म वाले वाले 25 दिसंबर (प्रति वर्ष) को ‘‘क्रिसमस डे’’ के रूप में मनाते हैं। इस धर्म के प्रवर्तक प्रभु ‘‘ईसा मसीह’’ का जन्मदिन इस दिन हैप्पी क्रिसमस डे कहकर एवं केक खाकर मनाते हैं। इससे जातक के जीवन में आने वाली समस्याओं का निदान हो सके। पूरा वर्ष सुख व खुशी से बीते। इस धर्म वाले जातक अपनी विभिन्न समस्याओं के निदान के लिए उपरोक्त समस्याओं की भांति ‘’चर्च’’ या ‘‘गिरजाघर’’ में प्रार्थना कर दूर करते हैं। पादरी से आशीर्वाद लेते हैं। गले में क्राॅस का चिह्न ‘ग्’ चेन में धारण करते हैं जिससे जीवन में समस्या न आये या आये तो दूर हो जाये। इसके अलावा पारसी धर्म वाले भी गिरजाघर में ही जाकर समस्याओं के लिए प्रार्थना करते हैं। ये सभी उपाय विभिन्न धर्म वाले जातक भी कर सकते हैं।