बहुत गुण हैं शंख में डाॅ. परवेश शंख नाद का अपना एक विशेष महत्व है। इसके गुणों के बारे में आधुनिक वैज्ञानिकों को कोई भी संदेह नहीं। इस शंख ध्वनि को सुनकर विश्वविख्यात भारतीय वैज्ञानिक डाॅ. जगदीश चंद्र बोस अचानक अचंभित रहे गये थे। हर दिन सुनाई देने वाले शंखनाद में उन्हें ऐसा कुछ दिखाई देने लगा, जो कुŸाों के करुण चीतकार तथा रुदन का कारण बनता है, मानो उन पर किसी भारी चीज का आघात किया हा।े यह तथ्य मंदिरों में भगवान की आरती के बाद बजाए जाने वाले शंख की आवाज से उनके सामने स्पष्ट होकर उभरा। शंख को लेकर शोध करते-करते डाॅ. बोस इस नतीजे पर पहुंचे कि शंख फूंके जाने पर उसके विशिष्ट आकार के कारण, उससे एक सर्पिल ध्वनि निकलती है जिसम ंे कीटाण् ाुनाशक क्षमता होती है। वैज्ञानिक बोस ने अपने शोध कार्य द्वारा जो कुछ प्रमाणित किया वह प्राचीनकाल के ऋषि-मुनियों और विद्वानों को पहले ही मालूम था। योगियों एवं साधकों का मानना है कि शंख बजाने से न केवल फेफड़े पुष्ट होते हैं, बल्कि आंते भी सुव्यवस्थित रहती हैं। शंख बजाने वाले तथा उसकी आवाज सुनने वाले, दोनों के लिए लाभदायक है। कहा जाता है कि एक महान साधक शंख ध्वनि से वर्षा भी रोक देते थे। वैदिक मान्यता है कि शंख को विजय घोष का प्रतीक माना जाता है। शुभ कार्य करते समय शंख नाद से शुभता का अत्यधिक प्रचार होता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से शंख बजना विशेष लाभदायक है। दक्षिणावर्ती और मोती शंख ऐसे शंख हैं जिनके उपयोग से हम जीवन की अनेक परेशानियों व समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं। दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी-प्रिय लक्ष्मी-भ्राता, लक्ष्मी-सहोदरा आदि नामों से जाना जाता है। वेदों में इसे शत्रुओं को परास्त करने वाला, पापों से रक्षा करने वाला, राक्षसों और पिशाचों को वशीभूत करने वाला, रोग और दरिद्रता को दूर करने वाला बताया गया है।