शंख विविधा: लाभ अनेक रोज सुबह दक्षिणावर्ती शंख में थोड़ा सा गंगा-जल डालकर सारे घर में छिड़कें (विशेष रूप से घर के चारों कोनों पर) तो भूत-प्रेत व दुरात्माओं से मुक्ति मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती हैं। Û एक कांच के कटोरे में लघु मोती शंख रखकर उसे अपने बिस्तर के नजदीक रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर प्रगाढ़ दाम्पत्य-सुख की अनुभूति होगी। पति-पत्नी इससे जल आचमन करके अपने माथे पर अभिषेक करे तो परस्पर वैमनस्य दूर होता है। घर में दक्षिणावर्ती शंख का वास होने से लक्ष्मी का स्थायी वास होता है। दक्षिणावर्ती शंख का विधिपूर्वक पूजन करें तथा अपने व्यवसाय-स्थल पर रखें तो आप सदैव ऋण मुक्त रहेंगे। आप अपनी माता से चावल से भरा एक मोती शंख प्राप्त करें तथा उसे विदेश यात्रा संबंधी कागजात के स्थान पर रखे तो आपके समस्त विघ्न दूर हो जायेंगे। व्यापार स्थान में भगवान विष्णु की मूर्ति के नीचे एक दक्षिणावर्ती शंख रख कर इससे रोज पूजन करके गंगा जल अपने कार्यालय में छिड़कें तो समस्त बाधाएं समाप्त होकर व्यापार में उन्नति होने लगेगी। रात भर शंख में रखे जल का रोज सेवन करने से रोगों से स्वतः मुक्ति मिल जाती है। वह इस बात पर निर्भर है कि शंख कितनी शुद्धता व गुणवत्ता का है। शंख घिस कर नेत्र में लगाने से आंख की सूजन दूर होती है। शंख भस्म उचित अनुपात में सेवन करने से गुल्म शूल, पित्त, कफ, रूधिर प्लीहा आदि विकार नष्ट हो जाते हैं। फसलों को पानी देते समय किसी शुभ मुहूर्त में 108 शंखोदक भी मिला लें, फसल बढ़ेगी, अनाज बढ़ेगा। अनाज भंडार में कीड़ें-मकोड़ों से बचाने के लिए मंगलवार को शंखनाद करना चाहिए। त्वचा रोगों में शंख की भस्म को नारियल तेल में मिलाकर आक्रांत जगह पर नित्य लगा दें। स्नान करने के पश्चात थोड़ा पानी वहीं लगाकर पोछ दें। रात को शंख भस्म लगायें और सुबह स्नान के पश्चात् शंखोदक से साफ करें। शुद्ध शिलाजीत को गर्म दूध में अच्छी तरह मिलाकर इस मिश्रण को रोज रात को सोने के पूर्व शंख के जरिये पीने से स्मरण शक्ति व शारीरिक क्षमता में वृद्धि होगी। यदि शंख-भस्म के साथ करेले के रस में गाय का दूध सुबह सेवन किया जाए तो मधुमेह का रोग ठीक होता है। एक शंख में पानी भरकर रखें। रात्रि को भोजनोपरांत आधे घंटे बाद उस पानी को ग्रहण कर लें। 3 दिन ऐसा करने से पुराने कब्ज से भी मुक्ति प्राप्त होती है। यदि विष्णु शंख में गंगा जल भरकर रोहिणी, चित्रा व स्वाती नक्षत्रों में गर्भवती को पान करायें तो प्रसव में कोई कष्ट नहीं होगा। संतान भी स्वस्थ व पुष्ट होगी। अन्नपूर्णा शंख में गंगा जल भरकर सुबह-सबेरे पीने से स्वास्थ्य के विकार दूर होते हैं। वास्तव में शंख एक बहुत गुणी यंत्र है, उसे सदा घर में रखें। यदि शंख की पूजा नित्य तुलसी से ही करें तो घर में क्लेश, दुख-दारिद्रय तथा रोगों का प्रवेश नहीं होता। शंख का पानी यदि थोड़ा-थोड़ा पिया जाये तो हकलाना दूर होता है। गूंगे व्यक्तियों को नित्य दो घंटे शंख बजाना चाहिए। शंख भस्म का प्रयोग भी गूंगों के लिए लाभदायक है। शंख ध्वनि द्वारा रोगों, राक्षसों, पिशाचों से रक्षा होती है। इसीलिए कहा भी गया है ‘‘शंख बाजे बलाय भागे’’। शंख ध्वनि से दरिद्रता व दुख दूर होते हैं। आयु-दीर्घायु होती है। शंख बजाने के कई विशेष लाभ हैं। शंख बजाने से योग की तीन क्रियाएं यथापूरक, कुंभक और प्राणायाम एक साथ संपन्न होती हैं जिससे स्वास्थ्य का विकास, आरोग्यता के साथ आसुरी शक्तियां परेशान नहीं करती हैं। भोग एवं मोक्षदायक अद्भुत अलौकिक दुर्लभ शंखों का विवरण इस प्रकार हैं। 1. धन सम्पदादायक - कलानिधि शंख: धन प्राप्ति में व्यवधानों के निराकरण हेतु कलानिधि शंख का उपयोग करते हैं। किसी भी पूर्णिमा, प्रदोष, गुरुपुष्य, रविपुष्य योग अथवा नवरात्रों के दौरान इस शंख को उपयोग में लाना चाहिए। 2. पाप एवं श्राप मुक्तिदायक -देवेज्य शंख: देवेज्य शंख विभिन्न पापों व श्राप से मुक्ति, जादू-टोने, टोटके से बचाव तथा शांति व समृद्धि हेतु प्रभावकारी माना जाता है। 3. शांतिदायक व कष्ट निवारक दक्षिणावर्ती शंख: दक्षिणावर्ती शंख प्रकृति की अद्भुत भेंट है जो दुर्लभ रूप से प्राप्त होता है। दक्षिणावर्ती शंख सीधे हाथ (दायें हाथ) की तरफ खुलता हुआ दिखाई पड़ता है। वैसे प्रकृति म अधिकतर शंख वामावर्ती उत्पन्न होते हैं। लेकिन कुछ मात्रा में दक्षिणावर्ती शंख प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होते हैं। आजकल नकली दक्षिणावर्ती शंख अधिक मिलते हैं। प्राकृतिक रूप से उत्पन्न दक्षिणावर्ती शंख ही प्रभावकारी होता है। धन समृद्धि कारक दक्षिणावर्ती शंख प्रयोग 4. शांति-प्रदायक-विष्णु शंख: शरीर की तरह घर भी अस्वस्थ, अशांत और बीमार होता रहता है जिससे घर में रहने वाले सदस्यों की स्थिति से घर प्रभावित होता है। घर के लोगों की मनोदशा सुधारने के टिप्स इस प्रकार हैं। Û घर में अगर लड़ाई-झगड़े बढ़ गये हों तो विष्णु शंख की स्थापना करें। Û मकान के मुख्य द्वार पर शीशा कभी न लगायें। मकान के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व भाग में फर्श पर दरी या कालीन कभी न बिछायें। घर के सामने सहारा लेकर चढ़ने वाली बेलें कभी न लगाएं। घर में बंद घड़ी न रखें तथा अंदर-बाहर कांटेदार पौधे न लगाएं। 5. ऐरावत शंख: ऐरावत शंख नारद मुनि ने सिद्ध कर लिया था। इसीलिए वे मनचाहे रूप में संसार में कहीं भी भ्रमण कर सकते थे। यदि यह शंख किसी को प्राप्त हो सके तो उसके सारे मनोरथ पूर्ण हो सकते हैं। 6. नीलकंठ शंख: यदि किसी को कोई विषैला कीड़ा यथा सांप या बिच्छू काट ले तो इस शंख में देशी गाय का मूत्र भरकर काटे हुए स्थान पर उस गो मूत्र को लगाया जाये तो विष शीघ्र उतर जाता है। जिस घर में यह शंख होता है, वहां सांप-बिच्छू जैसा कोई भी जहरीला कीड़ा नहीं रह पाता है। 7. कामधेनु गोमुखी शंख: कामधेनु गोमुखी शंख के ऊपर का भाग गाय के सींग जैसा प्रतीत होता है। इसकी आकृति के कारण इसको बजाना आसान नहीं होता, परंतु जो लोग इसमें से ध्वनि निकाल सकते हैं उनके फेफड़े बहुत मजबूत हो जाते हैं। 8. सूर्य शंख - (विष्णु शंख): इसकी आकृति अर्ध-चंद्राकार होने के कारण इसे चंद्र शंख भी कहते हैं। इसको रखने वाला व्यक्ति दरिद्रता और गरीबी से निश्चित त्राण पाता है। 9. अन्नपूर्णा शंख: नाम के अनुरूप इस शंख की उपस्थिति घर में धनधान्य की संपन्नता सुनिश्चित करती हैं। जहां अन्नपूर्णा शंख होगा, वहां कभी किसी चीज का अभाव नहीं होता। मां अन्नपूर्णा का साक्षात् निवास होता है। इसमें रात भर पानी रखकर सुबहं पिया जाये तो पेट में कभी कोई विकार नहीं होता। 10. मोती शंख: उच्चकोटि की गुणवत्ता वाला मोती भी इसी शंख से पैदा होता है। इस शंख में भरकर गंगाजल पान करने हृदय व श्वांस संबंधी रोगों का उपचार होता है। 11. पांचजन्य शंख: वास्तु-दोष शांति के लिए पांचजन्य शंख ही सबसे प्रभावी है। इसका शंखनाद विजय-प्राप्ति का द्योतक है और यह शत्रुओं के हृदय को भयभीत कर देता है। 12. हीरा शंख: यह शंख प्रेमवर्धन और शुक्र-दोष निवारण के लिए प्रयोग किया जाता है। यदि इस शंख को अभिमंत्रित करके स्थापित किया जाये तो शुक्र ग्रह की कृपा अनुकूल होती है। यह शंख घर में रखेंगे तो और संपन्न रहेंगे। 13. बाघ शंख (भूत-प्रेत और सदृश बाधाओं) (टाइगर शंख) इस शंख को घर में रखने से जातक को किसी पशु का भय नही रहता एवं भूत-प्रेत सदृश बाधाओं से भी मुक्ति प्राप्त होती है। 14. सीप शंख: इस शंख को घर में रखने से आरोग्य की प्राप्ति होती है तथा मन में एकाग्रता आती है। यह मोतियों का कवच है। जिनका चंद्रमा कमजोर या मन अस्थिर रहता है, उन्हें चंद्रमा की दशा में सीप शंख को गले में धारण करना चाहिए। 15. गुरु शंख: इस शंख के जल से शालिग्राम जी को (विष्णु प्रतीक शिला) स्नान कराकर तुलसी दल समर्पित करने से स्मरण शक्ति प्रबल होती है व शिक्षा के क्षेत्र में तीव्र गति से प्रगति होती है। विद्यार्थियों के लिए विशेष लाभकारी है। 16. शनि शंख (श्याम शंख): जिनकी साढ़ेसाती चल रही हो या शुरु होने वाली हो, उन्हें यह शंख अपने पास रखना चाहिए। इससे शनि का प्रकोप शांत होता है और आकस्मिक धन-धान्य की प्राप्ति होती है। वस्तुतः शंख एक बहुत गुणी यंत्र है, इसे सदा घर में रखना चाहिए। यदि शंख की पूजा नित्य तुलसी से ही की जाये तो उस घर में रोग, क्लेश, अशांति व तनाव का प्रवेश नहीं होता। प्रकृति में इतनी सहजता से उत्पन्न होने वाली गंभीर सुर-ध्वनि हमें कई प्रकार से सशक्त व संपन्न बनाती है।