यंत्र महिमा श्रीयंत्र श्रीयत्रं का प्रयागे ध्यान म ंे एकाग्रता के लिए किया जाता रहा है। आधुनिक वास्त ु शास्त्रिया ंे न े माना ह ै कि इस यत्रं के गणितसूत्र के आधार पर बनाए गए प्रतिष्ठित की जाती हैं और प्रतिदिन इनकी पूजा एवं दर्शन किया जाता है, वहां धन और ऐश्वर्य की कभी भी कमी नहीं होती है। स्फटिक के श्रीयंत्र को मंदिर, आवास या नगर में सकारात्मक ऊर्जा होती है तथा ऐसे स्थान में रहने वाले लोगों में विचारशक्ति, ध्यान, शांति, सहानुभूति, सौहार्द व प्रेम के गुणों का उद्भव होता है। इसके अतिरिक्त श्री की पूजा व स्थापना से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और जातक अपनी कृपा बनाए रखती हैं। स्फटिक श्री यंत्र स्फटिक श्री यंत्र, दक्षिणावर्ती शंख, गोमती चक्र एवं तुलसी पत्र जिस घर में यह पांचों वस्तुयें एक साथ प्रतिष्ठित की जाती हैं और प्रतिदिन इनकी पूजा एवं दर्शन किया जाता है, वहां धन और ऐश्वर्य की कभी भी कमी नहीं होती है। स्फटिक के श्रीयंत्र को समस्त प्रकार के श्रीयंत्रों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। सुख समृद्धि यंत्र व्यापार, विदेश गमन, राजनीति, गृहस्थ जीवन, नौकरी पेशा आदि के कार्य में इस यंत्र का उपयोग करने से सुख एवं समृद्धि प्राप्त होती है। जिन लोगों में अनेक तरह की भ्रान्तिया उत्पन्न होती हैं, घर में निरन्तर क्लेश रहता हो तथा आपसी सम्बन्धों में कटुता उत्पन्न हुयी हो तो यह यंत्र उन लोगों के लिए वरदान स्वरूप साबित होता है। इस यंत्र की पूजा उपासना करने से उन्हें मानसिक शान्ति एवं सहिष्णुता में वृद्धि होती है। संतान गोपाल यंत्र संतान गोपाल यंत्र की साधना अत्यन्त प्रसिद्ध है जिन्हें संतान नहीं उत्पन्न होती है उन्हें बालकृष्ण की मूर्ति के साथ संतान गोपाल यंत्र स्थापित करना चाहिए तथा उनके सामने संतानगोपाल स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। कुछ लोग ’पुत्रोष्टि यज्ञ’ करते हैं पुत्रेष्टि यज्ञ एवं संतान गोपाल यंत्र के द्वारा अवश्य ही संतान की प्राप्ति होती है। व्यापार वृद्धि यंत्र कोई भी व्यापार में अगर बार-बार हानि हो रही हो। चोरभय, अग्नि भय इत्यादि बार-बार परेशान करता हो अथवा किसी अन्य प्रकार से व्यापार में बाधा उत्पन्न होती हो तो यह यंत्र वहां प्रतिष्ठित करने से शीघ्र ही व्यापार वृद्धि एवं लाभ होता है। कुबेर यंत्र यह यंत्र देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर जी का सिद्ध यंत्र माना जाता है। विशेष रूप से धनतेरस या दीपावली के दिन इस यंत्र को लक्ष्मी-गणेश की पूजा के उपरांत पूजन करके धनकोष ह।ै यह यत्रं मनष्ु या ंे का े विष, व्याधि, या तिजोरी में स्थापित करने से अक्षय धन कोष की प्राप्ति व नवीन आय के स्रोत बनते हैं। कनकधारा यंत्र इस यंत्र की उपासना से ऋण और दरिद्रता से शीघ्र मुक्ति मिलती है। बेरोजगारों को नौकरी और व्यापारियों के व्यापार में उन्नति होती है। यह यंत्र अत्यंत दुर्लभ परंतु लक्ष्मी प्राप्ति के लिए अचूक, स्वयंसिद्ध तथा ऐष्वर्य प्रदान करने में समर्थ है। सरस्वती यंत्र बुद्धि को कुशाग्र करने के लिए, मंदबुद्धि वालों की बौद्धिक क्षमता बढ़ाने के लिए एवं स्मरण-शक्ति की तीव्रता के लिए सरस्वती यंत्र एक मात्र अवलम्बन है, जिससे हम आज के इस बौद्धिक युग में सर्वाधिक सफल हो सकते हैं। संपूर्ण विद्यादायक यंत्र संपूर्ण विद्यादायक यंत्र के दर्शन, पूजन मात्र से मां सरस्वती अपनी असीम अनुकंपा से संपूर्ण विद्या प्राप्ति के द्वार खोल देती है। जिन विद्यार्थियों को अधिक परिश्रम करने के बावजूद भी परिक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त नहीं होते, उनके लिए यह यंत्र वरदान सिद्ध हुआ है। गणपति यंत्र किसी भी शुभ कार्य पर जाने से पूर्व इस यंत्र के दर्शन करें। विघ्नों के विनाश के लिए ये अत्यन्त प्रसिद्ध हैं। किसी भी क्षेत्र में ऋद्धि-सिद्धि हेतु श्री गणेश यंत्र सदैव लाभ देता है और कार्यो को निर्विघ्न सम्पन्न होने के लिए सहायता करता है। हनुमान यंत्र हनुमान यंत्र पौरुष को पुष्ट करता है परुु षा ंे की अनके बीमारिया ंे का े नष्ट करने क े लिए इसम ंे अदभ्् ातु शक्ति पायी जाती पूजा के उपरांत पूजन करके धनकोष ह।ै यह यत्रं मनष्ु या ंे का े विष, व्याधि, शान्ति, मोहन, मारण, विवाद, स्तम्भन, द्यूत, भूतभय, संकट, वशीकरण, युद्ध, राजद्वार, संग्राम एवं चैरादि द्वारा संकट होने पर निश्चित रूप से इष्टसिद्धि प्रदान करता है। वास्तु यंत्र किसी कारण स्थान निर्माण में वास्तु दोष उत्पन्न होता है तो वास्तु देवता को प्रसन्न एवं सन्तुष्ट करने के लिए अनेक उपाय किये जाते हैं। जिनमें वास्तु यंत्र सरल एवं अधिक उपयोगी है इस यंत्र को स्थापित करने से वास्तु दोष का निवारण होता है तथा उस स्थान में सुख समृद्धि का वर्चस्व होता है। मत्स्य यंत्र कठोर परिश्रम और अपार धन का निवेश करने के बाद भी व्यापार, व्यवसाय में वांछित सफलता नहीं मिल पाती है। शत्रुओं पर विजय, मुकद्दमे में जीत, रुके कार्यों में सफलता और बुरी नज़र से बचाव के लिए मत्स्य यंत्र बहुत प्रभावशाली है। इससे जातक का चोट, दुर्घटना, दुर्भाग्य आदि से बचाव होता है। कालसर्पयोग यंत्र कालसर्पयोग से पीड़ित जातक दुर्भाग्य से छुटकारा पाने के लिए तथा पूर्व जन्मकृत पापों को नष्ट करने के लिए और पुण्य का उदय होने के लिए इस यंत्र की पूजा प्रतिष्ठा करें ऐसा करने से लाभ प्राप्त होगा। इस यंत्र की विधिपूर्वक सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण में पूजा प्रतिष्ठा एवं उपयोग करने से कालसर्पयोग का प्रभाव नष्ट हो जाता है और संघर्षमय जीवन में मानसिक एवं शारीरिक शान्ति प्राप्त होती है। बगलामुखी महायंत्र व्यक्ति रूप में शत्रुओं क¨ नष्ट करने वाली समष्टि रूप में परमात्मा की संहार शक्ति ही बगला है। इनकी साधना शत्रु भय से मुक्ति अ©र वाक् सिद्धि के लिए की जाती है। इसकी साधना से जहां घ¨र शत्रु अपनी ही विनाष बुद्धि से पराजित ह¨ जाते हैं वहां साधक का जीवन निष्कंटक तथा ल¨कप्रिय बन जाता है। इस यंत्र द्वारा शत्रुओं पर विजय व वांछित सफलता प्राप्त हो सकती है। महामृत्युंजय यंत्र महामृत्युंजय यंत्र भगवान मृत्युंजय से सम्बन्धित है जिसका शाब्दिक अर्थ स्पष्ट है कि मृत्यु पर विजय। यह यंत्र मानव जीवन के लिए अभेद्य कवच है, बीमारी अवस्था में एवं दुर्घटना इत्यादि से मृत्यु के भय को यह यंत्र नष्ट करता है। डाक्टर, वैद्य से सफलता न मिलने पर यह यंत्र मनुष्य को मृत्यु से बचाता है। शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा को नष्ट करता है। यह अपने उपासकों के पुत्र-पौत्रादि (बच्चों) तक को आरोग्य व दीर्घायु प्रदान करता है। वाहनदुर्घटना नाशक यंत्र यह यन्त्र वाहन के लिए कवच का काम करता है और इस यंत्र को लगाने से वाहन अभिमन्त्रित व सुरक्षित हो जाता है इसलिए नया वाहन खरीदते ही लोग इसे अपने वाहन में लगाते हैं ताकि वाहन अचानक दुर्घटनाग्रस्त नहीं होते, आई विपत्ति टल जाती है तथा वाहन ठीक समय पर लक्षित स्थान पर पहुंच जाता है। आकर्षण यंत्र इस यंत्र को अपने घर में नित्य पूजा एवं दर्शन करने से आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है। यंत्र को लाल कपड़े में रखकर कमीज की जेब में या पर्स आदि में रखने पर जिस व्यक्ति को आकर्षित करना चाहें, यंत्र के प्रभाव से उसका आकर्षण हो जाता है। 42 दिन तक श्रद्धा, विश्वासपूर्वक ऐसा प्रयोग करने से सफलता प्राप्त होती है। वशीकरण यंत्र यह यंत्र सभी तरह के लोगों का वशीकरण करता है और यंत्र धारी को वांछित सफलता प्रदान करता है। अभिचार कर्म से अच्छा है कि शत्रु को वशीकृत कर लिया जावे। इससे प्रथम लाभ तो यह कि दुष्टजन में सुधार आएगा, द्वितीय यह कि कर्ता किसी दोष का शिकार भी नहीं होगा। गायत्री यंत्र गायत्री यंत्र पाप को नष्ट करने और पुण्य को उदय करने की अद्भुद शक्ति का पुन्ज कहा जाता है। इस यंत्र की पूजा उपासना करने से इस लोक में सुख प्राप्त होता है एवं विष्णु लोक में स्थान प्राप्त होता है। अनेक जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है। माँ गायत्री चारों वेदों की प्राण, सार, रहस्य एवं तन (साम) हैं। सूर्य ग्रह अगर कुंडली में अशुभ या कमजोर स्थिति में हो अथवा सूर्य ग्रह की महादशा/अंतरदशा चल रही हो तो आंख में किसी न किसी प्रकार की पीड़ा या हड्डी संबंधी रोग होने की संभावना रहती है। ऐसे में इस यंत्र के पूजन से विशेष शांति प्राप्त होती है। चंद्र यंत्र इस यंत्र की साधना विशेषतया मानसिक सुख शांति तथा आर्थिक समृद्धि के लिए की जाती है। इस यंत्र के नित्य दर्शन से व्यक्ति का मन प्रसन्न रहता ह ै जिसस े व्यवहार म ंे भी सरसता आती है तथा जीवन में व्यक्ति अपनी मृदुल प्रकृति से सफल हो जाता है। मन बार-बार अशांत रहता हो तथा किसी कार्य में मन न लगता हो ऐसी परिस्थिति में इस चंद्र यंत्र के नित्य दर्शन, पूजन से शांति प्राप्त होती है। मंगल यंत्र मंगल ग्रह के अशुभ होने से रक्तचाप, रक्ति विकार, खुजली, फोड़ा-फुंसी, रक्तस्राव, कुष्ठ रोग, आकस्मिक दुर्घटना जन्य रोग, अग्नि भय, गुप्त रोग, सूजन, वात, पित्त संबंधी रोग होते हैं। अथक परिश्रम करने के बाद भी वांछित सफलता जिन्हें नहीं मिलती तथा कार्यों में असफलता मिलती है। बार-बार अपयश का सामना होता है। तो ऐसी स्थिति में यह यंत्र अत्यन्त लाभकारी है। इस यंत्र के सम्मुख सिद्धि विनायक मंत्र का जप करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है तथा अकारण हुये अपमान का शत्रु प्रायश्चित करता है और जीवनपर्यन्त सम्मान प्रदान करता है। बुध यंत्र इसके अशुभ होने से गले के रोग, हिस्टीरिया, चक्कर आना, त्रिदोष ज्वर, टाइफाइड, पांडु, मंदाग्नि, उदर रोग आदि होते हैं। बुध ग्रह का संबंध सौम्यता तथा बुद्धि से है। विशेष रूप से इसका प्रभाव बुद्धि पर रहता है।