ग्रह (पृष्ठ-26)
विवाह का काल निर्धारण

ज्योतिष शास्त्र में संभावित घटना का काल निर्धारण सर्वाधिक दुस्साध्य प्रक्रिया है क्योंकि काल को परमशक्ति का प्रतिरूप स्वीकारा गया है, अतएव रहस्यात्मकता के अतिगोपनीय विश्व के सूत्रों का सम्यक् उद्घाटन दुष्कर कर्म है। विवाह जैसे महत... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरविवाहमुहूर्तग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2013

व्यूस: 13054

दुर्योग

दुर्योग

जय इंदर मलिक

ज्योतिष में शुभ-अशुभ योग होते है। अर्थात जातक की कुंडली में ग्रहों का सम्बन्ध कैसा है। ग्रहों का आपसी सम्बन्ध जैसे युति एक-दूसरे से २/१२ होना केंद्र या त्रिकोण में होना, भावाधिपति होना।... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2013

व्यूस: 14606

द्वादश भावों में राहु का फल

राहु आलस्य, अस्थिरता, स्थावर संपत्ति, योगाभ्यास, उदर रोग, वाहन, जन नेता, विधान/लोक सभा पद, कूटनीति, राजदूत आदि का कारक है। 3, 6, 11 भावों में यह कारक ग्रह है। नवग्रहों में राहु एक छाया ग्रह है। राहु से पितामह का विचार किया ज... और पढ़ें

ज्योतिषकुंडली व्याख्याग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2014

व्यूस: 13517

सफल शिक्षक बनने के ग्रह योग

शिक्षक का हमारे समाज में महत्वपूर्ण स्थान होता है। किसी भी छात्र को योग्य बनाने व उसको शारीरिक व मानसिक तौर पर सक्षम बनाने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। जैसा कि हमारे शास्त्रों में विदित है माता-पिता के पश्चात वह गुरु ह... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसाय

मई 2016

व्यूस: 16839

कैरियर और ज्योतिष

कैरियर और ज्योतिष

शरद त्रिपाठी

आजीविका और कैरियर के विषय में दशम भाव को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अतिरिक्त कैरियर के लिए हम द्वितीय तथा षष्ठ भाव को भी महत्वपूर्ण दर्जा देते हैं जिसमें दशम भाव हमारा कर्म क्षेत्र है हम जो भी कार्य करते हैं उसका निर्... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसाय

अप्रैल 2010

व्यूस: 15801

शिक्षा, व्यवसाय और धन योग

शिक्षा, व्यवसाय और धन योग

सेवाराम जयपुरिया

जातक की कुंडली में चतुर्थ भाव का स्थान अति महत्वपूर्ण है। यह भाव माता का भाव है। इसका शिक्षा से गहरा संबंध है, क्योंकि बच्चे की मां उसकी पहली शिक्षक होती है। कुंडली के पंचम, अष्टम और नवम भाव भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। भाव, भावेश औ... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगशिक्षाकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसायसंपत्ति

अप्रैल 2010

व्यूस: 12028

कैसे बनते है हत्या के ग्रह योग

हिंसा का प्रतिनिधि मंगल है, नीच एवं घृणित कार्यों का प्रतीक शनि है तथा आवेश व अप्रत्याशितता के उत्प्रेरक राहु केतु है। जब मंगल, शनि और राहु केतु की दृष्टि, युति या अन्य दृढ़ संबंध लग्न और अष्टम भाव या उनके अधिपतियों से होता है तो ज... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2010

व्यूस: 15981

सूर्य

सूर्य

अजय भाम्बी

आदिकाल में जब ब्रह्माण्ड से ब्रह्मा जी की उत्पति हुई तो उन्होंने सर्वप्रथम ॐ का उच्चारण किया। यही ॐ दृष्टि का प्रथम शब्द था सूर्य का शरीर कहा जाता है। जब ब्रह्मा के चारों मुखों से वेद प्रकट हुए तब वे सूर्य के तेज से प्रकाशित हुए।... और पढ़ें

ज्योतिषघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकराशि

मार्च 2013

व्यूस: 12677

केतु

केतु

अजय भाम्बी

मानव मन सदा कथाओं में रूचि रखता है तथा हम उनके बार - बार कथन और उनके नये अर्थ विस्तार से सदा ही आत्मिक संतोष प्राप्त करते हैं। यही कारण है कि हम ज्योतिष में ग्रहों के जन्म और प्रभाव के विषय में विभिन्न कथाएं पाते हैं। यह कथाएं अपन... और पढ़ें

ज्योतिषग्रह

अप्रैल 2014

व्यूस: 13018

ग्र्रह युद्ध में पराजित ग्रह

जब दो ग्रह एक ही भाव में एक दूसरे के बहुत निकट होते हैं व दोनों ग्रहों की डिग्री में 10 से कम का अंतर होता है तो यह अवस्था ग्रह युद्ध की अवस्था कहलाती है। जिस ग्रह की डिग्री कम होती है वह ग्रह युद्ध में जीता हुआ माना जाता है व जिस... और पढ़ें

ज्योतिषकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2011

व्यूस: 14448

विवाह के लिए विशेष महत्वपूर्ण हैं गुरु, शुक्र एवं मंगल

हमारे शास्त्रों में 16 संस्कार बताये गये हैं जिनमें विवाह सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। हमारे समाज में जीवन को सुचारू रूप से चलाने एवं वंश को आगे बढ़ाने के लिए विवाह करना आवश्यक माना गया है। जब हम कुंडली में विवाह का विचार करते हैं ... और पढ़ें

ज्योतिषविवाहग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2013

व्यूस: 13405

मंगलदोष शांति और लाल किताब

भारतीय ज्योतिषशास्त्र न केवल जातक के भावी जीवन में होने वाली घटनाओं को सूचित करता है, अपितु अनिष्ट परिहार और ईष्ट प्राप्ति से संबंधित क्रियाओं का भी प्रावधान करता है। अनिष्ट, दुःख, कष्टादि से मुक्ति के उपाय वैदिक काल से ही ... और पढ़ें

उपायलाल किताबग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2015

व्यूस: 11041

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