अन्य पराविद्याएं (पृष्ठ-23)

अन्य पराविद्याएं


स्नेह, सदभावना एवं कर्तव्य का सूत्र : रक्षा बंधन

भारतीय संस्कृति इतनी विशाल एवं लचीली है की इसमें हर संस्कृति समाहित होती चली जाती है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, सौराष्ट्र से असम तक देखें तो यहां लोग लगभग प्रतिदिन कोई न कोई त्योहार मनाते मिलेंगे। इन त्योहारों के मूल में आपसी रिश्... और पढ़ें

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आगस्त 2006

व्यूस: 6820

चेहरे से जानिए स्वभाव

चेहरे से जानिए स्वभाव

फ्यूचर समाचार

एक बार किसी का स्वभाव जैसा बन जाता है वैसा सदैव बना रहता है। हाँ, चित को एकाग्र का मूलभूत आदतों में परिवर्तन अवश्य लाया जा सकता है। वात्सायन के कामसूत्र में महिलायों के चेहरे चार प्रकार के बताए गए है। पदिमनी, चित्रिणी, हस्तिनी और ... और पढ़ें

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आगस्त 2006

व्यूस: 60645

क्या खाते हैं विभिन्न पुरुषों एवं महिलाओं के चेहरे

चेहरा सिर्फ भावी जीवन का ही द्योतक नहीं होता बल्कि मनुष्य के मन में उठने वाले विचारों का भी परिचायक होता है। कदाचित इसलिए चेहरे को मन का दर्पण कहा गया है। गर्भ स्थित शिशु के चेहरे पर विधाता भावी जीवन के संकेत मानों पहले से ही लिख ... और पढ़ें

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आगस्त 2006

व्यूस: 8582

आपके विचार

आपके विचार

फ्यूचर समाचार

रुद्राक्ष की उत्पति की कथा पाताल नरेश मय के लिए यम बने रौद्र रूपधारी भगवान शिव के साथ जुडी है। प्राचीन काल में पाताल नरेश माय दाँव ने पाताल लोक निवासी दानवों के साथ मिलकर मानवों, देवताओं, गंधर्वों पर अत्याचार, तथा तीन पुर बनवा लिए... और पढ़ें

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आगस्त 2006

व्यूस: 5865

टोटके

टोटके

फ्यूचर समाचार

नये कपडे सिलवा कर तुरंत कभी नहीं पहनने चाहिए। शुक्ल पक्ष की द्वितीया को नवीन वस्त्र पहने तो मनुष्य दीर्घायु और निरोगी होता है। यदि द्वितीया को मंगवार या शुक्रवार हो तो बहुत ही शुभ मुहूर्त माना जाता है। स्त्रियों को उतम पतिसुख और उ... और पढ़ें

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आगस्त 2006

व्यूस: 6412

पितृ कौन, उनकी पूजा आवश्यक क्यों ?

माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। जो जीवन रहते उनकी सेवा नहीं कर पाते, उनके देहावसान के बाद बहुत पछताते है। इसलिए हिन्दू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए पुत्र की अनिवार्यता मानी गई है। राजा भागीरथ ने ... और पढ़ें

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सितम्बर 2006

व्यूस: 8124

पितृ पक्ष का महत्त्व

पितृ पक्ष का महत्त्व

फ्यूचर समाचार

ज्योतिष शास्त्र में ऋतुओं तथा काल, पक्ष, उतरायण तथा दक्षिणायन, उतर गोल और दक्षिण गोल का अत्यधिक महत्व है। उतर गोल में देवता पृथ्वी लोक में विचरण करते हैं। वहीं दक्षिण गोल भाद्र मास की पूर्णिमा को चंद्रलोक के साथ-साथ पृथ्वी के नजदी... और पढ़ें

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सितम्बर 2006

व्यूस: 7024

ज्योतिष एवं आयुर्विज्ञान

ज्योतिष शास्त्र एवं आयुर्वेद दोनों ही वेदांग अर्थात वेदों के अंग है। जहां आयुर्वेद रोग का उपचार करने में सक्षम है। वहीं ज्योतिष शास्त्र मानव शरीर में पनपने वाले रोगों की पूर्व जानकारी देने में सक्षम है। यदि रोग के कारणों की सही जा... और पढ़ें

ज्योतिषअन्य पराविद्याएं

सितम्बर 2006

व्यूस: 7296

रत्नों द्वारा बाधा निवारण

हमारी भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में प्राचीन काल से ही रत्न धारण की परम्परा रही है। नाना प्रकार के कार्यों की सिद्धि के लिए रत्न –उपरत्न धारण करने से लाभ प्राप्त होता है। यदि किसी कन्या के विवाह में परेशानियां आ रही हों, तो जन्म क... और पढ़ें

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सितम्बर 2006

व्यूस: 10685

दशा एवं अंतर्दशा फल की विवेचना

लघु पाराशरी के श्लोक २९ में एक सामान्य नियम का निर्देश दिया गया है। किस सभी ग्रह अपनी दशा एवं अपनी ही अंतर्दशा के समय में अपना आत्मभावानुरूपी या स्वाभाविक फल नहीं देते। तात्पर्य यह है की किसी ग्रह की दशा में उसकी अंतर्दशा के समय म... और पढ़ें

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सितम्बर 2006

व्यूस: 13550

आपके विचार

आपके विचार

फ्यूचर समाचार

शनि पाप ग्रह है। यह सूर्य का पुत्र यम तथा यमुना का भाई है। मनुष्य को उसके पूर्व पाप का दंड देने के लिए वह अपने हाथ में लोहे का दंड धारण किए हुए है। शनि को कालपुरुष का दुःख माना गया है। इसके भयंकर प्रकोप से राजा भी रंक हो जाता है।... और पढ़ें

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सितम्बर 2006

व्यूस: 12219

काली मिर्च

काली मिर्च

फ्यूचर समाचार

साबुत काली मिर्च आदि काल से ही भारत में उगाई जाती है और एक कीमती वातु के रूप में इसका इस्तेमाल होता रहा है। इसका केवल भोजन में मसाले के रूप में नहीं, अपितु इसे व्यापार में पैसे के स्थान पर इस्तेमाल किया जाता रहा है।... और पढ़ें

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सितम्बर 2006

व्यूस: 6444

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Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

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