कुंडली व्याख्या (पृष्ठ-24)

कुंडली व्याख्या


शिक्षा, व्यवसाय और धन योग

शिक्षा, व्यवसाय और धन योग

सेवाराम जयपुरिया

किसी जातक की कुंडली में चतुर्थ भाव का स्थान अति महत्वपूर्ण है। यह भाव माता का भाव है। इसका शिक्षा से गहरा संबंध है, क्योंकि बच्चे की मां उसकी पहली शिक्षक होती है। कुंडली के पंचम, अष्टम और नवम भाव भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। भाव, भा... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगशिक्षाकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकव्यवसायसंपत्ति

जनवरी 2005

व्यूस: 11249

शुक्रअष्टकवर्ग से सटीक फलकथन

अष्टकवर्ग विद्या में नियम है कि कोई भी ग्रह चाहे वह स्वराद्गिा या उच्च का ही क्यों न हो, तभी अच्छा फल दे सकता है जब वह अपने अष्टकवर्ग में 5 या अधिक बिंदुओं के साथ हो क्योंकि तब वह ग्रह बली माना जाता है। अतः यदि शुक्र ग्रह शुक्र अष... और पढ़ें

ज्योतिषअष्टकवर्गकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2010

व्यूस: 13600

शनि और करियर

शनि और करियर

यशकरन शर्मा

करियर निर्माण में सभी ग्रहों की अलग-अलग भूमिका है। शनि सभी ग्रहों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रह है जो व्यावसायिक जीवन में स्थिरता व सुरक्षा प्रदान करता है। शनि के इसी महत्वपूर्ण गुण को उजागर करने हेतु प्रस्तुत है यह लेख जिसमें शन... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणकुंडली व्याख्याग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसाय

नवेम्बर 2014

व्यूस: 34715

काल सर्प योग कष्टदायक अथवा ऐश्वर्यदायक

कालसर्प योग जितना कष्टदायक होता हैं। उतना ही ऐश्वर्य दायक भी होता हैं। निम्नांकित छ: योग जातक के भाग्य निर्णय में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। पहले से सातवें स्थानों में बनने वाला योग, दूसरे से आठवें स्थानों में बनने वाला योग।... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीक

मार्च 2013

व्यूस: 12359

ज्योतिष व आनुवंशिकता द्वारा संतान विचार

प्राचीन ऋषियों व ज्योतिष सिद्धांतानुसार संतान संबंधी विचार (संतान की संखया व लिंग) लग्न, लग्नेश, पंचम, पंचमेश, सप्तम, सप्तमेश व चंद्र कुंडली में स्थित शुभाशुभ योगों के द्वारा ज्ञात करते हैं। किसी भी क्षेत्र में आधुनिकता लाने के लि... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगबाल-बच्चेकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2010

व्यूस: 12310

सूर्य-चंद्र दिलाते हैं कामायाबी

व्यक्ति के सफलता व प्रभावशीलता ग्रहों की स्थिति, गति और नक्षत्रों की चाल से तय होती है। इनकी स्थिति के अनुरूप व्यक्ति को कामयाबी मिलती है। इनके विपरीत स्थिति में होने पर व्यक्ति चाह कर भी सफलता का स्वाद नहीं चख पाता है। ग्रहों का ... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगयशकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2013

व्यूस: 12949

विवाह का काल निर्धारण

ज्योतिष शास्त्र में संभावित घटना का काल निर्धारण सर्वाधिक दुस्साध्य प्रक्रिया है क्योंकि काल को परमशक्ति का प्रतिरूप स्वीकारा गया है, अतएव रहस्यात्मकता के अतिगोपनीय विश्व के सूत्रों का सम्यक् उद्घाटन दुष्कर कर्म है। विवाह जैसे महत... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरविवाहमुहूर्तग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2013

व्यूस: 13265

दुर्योग

दुर्योग

जय इंदर मलिक

ज्योतिष में शुभ-अशुभ योग होते है। अर्थात जातक की कुंडली में ग्रहों का सम्बन्ध कैसा है। ग्रहों का आपसी सम्बन्ध जैसे युति एक-दूसरे से २/१२ होना केंद्र या त्रिकोण में होना, भावाधिपति होना।... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2013

व्यूस: 14796

सीमा का वहम

सीमा का वहम

आभा बंसल

आप सभी के संपर्क में कभी न कभी ऐसा व्यक्ति अवश्य आया होगा जिसे वहम की बीमारी होती है। यह बीमारी किसी भी तरह की हो सकती है। कुछ लोग लगातार हाथ धोते रहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि हाथ गंदे हैं। इसी तरह कुछ बार-बार ताले को चेक कर... और पढ़ें

ज्योतिषदशाकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकगोचर

जुलाई 2013

व्यूस: 11952

द्वादश भावों में राहु का फल

राहु आलस्य, अस्थिरता, स्थावर संपत्ति, योगाभ्यास, उदर रोग, वाहन, जन नेता, विधान/लोक सभा पद, कूटनीति, राजदूत आदि का कारक है। 3, 6, 11 भावों में यह कारक ग्रह है। नवग्रहों में राहु एक छाया ग्रह है। राहु से पितामह का विचार किया ज... और पढ़ें

ज्योतिषकुंडली व्याख्याग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2014

व्यूस: 13662

कैरियर और ज्योतिष

कैरियर और ज्योतिष

शरद त्रिपाठी

आजीविका और कैरियर के विषय में दशम भाव को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अतिरिक्त कैरियर के लिए हम द्वितीय तथा षष्ठ भाव को भी महत्वपूर्ण दर्जा देते हैं जिसमें दशम भाव हमारा कर्म क्षेत्र है हम जो भी कार्य करते हैं उसका निर्... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसाय

अप्रैल 2010

व्यूस: 15978

शिक्षा, व्यवसाय और धन योग

शिक्षा, व्यवसाय और धन योग

सेवाराम जयपुरिया

जातक की कुंडली में चतुर्थ भाव का स्थान अति महत्वपूर्ण है। यह भाव माता का भाव है। इसका शिक्षा से गहरा संबंध है, क्योंकि बच्चे की मां उसकी पहली शिक्षक होती है। कुंडली के पंचम, अष्टम और नवम भाव भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। भाव, भावेश औ... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगशिक्षाकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसायसंपत्ति

अप्रैल 2010

व्यूस: 12126

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